NASA की नई तकनीक सिर्फ 5 मिनट में फुल चार्ज कर देगी इलेक्ट्रिक कार, स्पेसशिप में होती है प्रयोग

NASA ने चार्जिंग की समस्या का समाधान बताते हुए एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो सिर्फ पांच मिनट में ही किसी भी इलेक्ट्रिक कार को पूरी तरह से चार्ज कर देगी।

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पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का क्रेज बढ़ रहा है लेकिन इनकी चार्जिंग में लगने वाले समय और ज्यादा कीमत के चलते लोग इन्हें खरीदने में थोड़ा हिचकते हैं। अब अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने चार्जिंग की समस्या का समाधान बताते हुए एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो सिर्फ पांच मिनट में ही किसी भी इलेक्ट्रिक कार को पूरी तरह से चार्ज कर देगी। हालांकि इस तकनीक में अभी कुछ समस्याएं हैं परन्तु उनका समाधान भी खोज लिया गया है।

स्पेस शिप में काम आती है NASA की नई तकनीक

रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका में पर्ड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर लंबी अवधि के माइक्रोग्रैविटी वातावरण में टू-फेज फ्लूइड फ्लो (दो-चरण द्रव प्रवाह) और हीट ट्रांसफर (गर्मी हस्तांतरण) प्रयोग करने के लिए फ्लो बॉयलिंग एंड कंडेनसेशन एक्सपेरिमेंट (FBCE) टेकनीक को डवलप किया है।

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इस तकनीक का प्रयोग भविष्य में स्पेस शिप के अंदर सिस्टम्स के टेम्परेचर को कंट्रोल करने के लिए किया जाएगा। रिसर्चर्स के अनुसार इस तकनीक को पृथ्वी पर भी प्रयोग किया जा सकेगा। इस तकनीक का प्रयोग कर किसी भी इलेक्ट्रिक व्हीकल को बहुत कम समय में फुल चार्ज किया जा सकेगा।

वर्तमान में किसी भी कार या दूसरे इलेक्ट्रिक व्हीकल को पूरी तरह से चार्ज करने में 20 मिनट से लेकर लगभग 8 घंटों तक का समय लगता है। इतने लंबे समय तक चार्जिंग करना लोगों के लिए एक बड़ी समस्या है जिसके कारण लोग ईवी को खरीदने से बचते हैं। इस वक्त पूरी ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इसी एक चीज पर रिसर्च कर रही है कि किस तरह से चार्जिंग में लगने वाले समय को न्यूनतम किया जा सके।

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तकनीक के उपयोग में है यह दिक्कत

शोधकर्ताओं के अनुसार एक इलेक्ट्रिक कार को पांच मिनट में चार्ज करने के लिए 1,400 एम्पीयर करंट प्रदान करने वाले चार्जिंग सिस्टम की आवश्यकता पड़ेगी। जबकि फिलहाल मौजूद सबसे एडवांस्ड चार्जर 520 एम्पीयर तक का ही करंट दे सकते हैं जबकि मार्केट में मौजूद अधिकतर चार्जर 150 एम्पीयर से कम करंट सप्लाई करते हैं। 1,400 एम्पीयर करंट चार्जिंग सिस्टम में सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसमें हीट काफी ज्यादा पैदा होती है और उस हीट को कंट्रोल करने के लिए एक अल्टरनेट सिस्टम भी चाहिए होगा।

यहीं पर NASA की टेक्निक काम आती है। नई तकनीक में dielectric (डायइलेक्ट्रिक) – नॉन-इलेक्ट्रिकली कंडक्टिंग (गैर-विद्युत रूप से संचालन) – लिक्विड कूलेंट को चार्जिंग केबल के जरिए पंप किया जाता है, जहां यह कंरट-वाहक कंडक्टर द्वारा पैदा हुई गर्मी को अवशोषित कर लेता है। इस तरह कार को जल्दी चार्ज किया जा सकता है।

सिर्फ 5 मिनट में फुल चार्ज हो सकेगी इलेक्ट्रिक कार

शोधकर्ताओं के अनुसार एक 2,400 एम्पीयर वाला चार्जिंग सिस्टम किसी भी कार को सिर्फ 5 मिनट तक में चार्ज कर सकेगा। इस तरह नासा की टेक्नोलॉजी को अपना कर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की चार्जिंग में लगने वाले समय को बहुत कम किया जा सकता है ताकि आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का प्रयोग बढ़ सके।

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