uttarakhand tunnel collapse: सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने आए अर्नोल्ड डिक्स…ग्रामीणों ने बताया क्यों नहीं मिल रही सफलता

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 10 दिन पहले एक सुरंग धंस गई, जिसमें 7 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को निकालने के…

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उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 10 दिन पहले एक सुरंग धंस गई, जिसमें 7 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को निकालने के लिए रेक्स्यू लगातार चल रहा है, जिसमें एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत कई नागरिक सुरक्षा बलों के जवान जुटे हुए हैं। प्रशासन की ओर से रेस्क्यू के तमाम प्रयास विफल होने के बाद अब इंटरनैशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस प्रफेसर के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स से मदद मांगी गई है।

सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने आए अर्नोल्ड डिक्स…

ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले अर्नोल्ड डिक्स सोमवार को उत्तराखंड पहुंच भी गए। अर्नोल्ड डिक्स ने भारत आने के बाद सिलक्यारी में मौके का मुआयना किया और फिर काम शुरू कर दिया। इससे पहले डिक्स ने एक चीज और की जिसने लोगों का दिल जीत लिया। डिक्स ने अपना काम शुरू करने से पहले सुरंग के बाहर स्थित मंदिर के सामने हाथ जोड़े। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दरअसल, इस हादसे को लेकर ग्रामीणों का मानना है कि सुरंग ढहने के पीछे स्थानीय देवता बाबा बौखनाग का प्रकोप है।

मंदिर तोड़ने से हुआ था हादसा!

ग्रामीणों ने कहना है कि परियोजना के शुरू होने से पहले सुरंग के मुंह के पास एक छोटा-सा मंदिर बनाया गया था और स्थानीय मान्यताओं को सम्मान देते हुए अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही सुरंग के अंदर दाखिल होते थे, लेकिन दिवाली से कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी प्रबंधन ने मंदिर को वहां से हटवा दिया।

लोगों का मानना है कि इसी की वजह से बाबा बौखनाग क्रोधित हो गए। बाबा के क्रोध के कारण सुरंग धसक गई, क्योंकि उनका मंदिर निर्माण कार्य के चलते ध्वस्त कर दिया गया था। लोगों ने कहा कि चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का काम चल रहा था। इसी में सुरंग बनाई गई थी, जिसका एक हिस्सा ढह गया था। निर्माण कंपनी ने मंदिर को तोड़ दिया था, इसी के कुछ दिनों बाद सुरंग ढहने से 41 मजदूर फंस गए।

ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ इतना ही नहीं, सुरंग के एक हिस्से के ढह जाने से उसके अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए मलबे को ड्रिल कर उसमें माइल्ड स्टील पाइप डालकर ‘एस्केप टनल’ बनाने के लिए ऑगर मशीन स्थापित की गई थी, लेकिन ड्रिलिंग शुरू होने के कुछ देर बाद ही ऊपर से भूस्खलन होने के कारण उसे रोकना पड़ा। बाद में ऑगर मशीन में भी खराबी आ गई। मजदूरों को बाहर निकालने के सारे इंतजाम विफल होने पर सोमवार को निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने बौखनाग देवता के पुजारी को बुलाकर उनसे क्षमा याचना की और पूजा संपन्न करवाई।

ग्रामीणों के दबाव के बाद कंपनी प्रबंधन ने सुरंग के बाहर बौखनाग देवता का मंदिर फिर से स्थापित कर दिया। बौखनाग देवता के पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण ने सुरंग में पूजा अर्चना की और शंख बजाया। देवता की आरती करने के बाद उन्होंने सुरंग के चारों तरफ चावल फेकें और मजदूरों को बचाने के लिए किए जा रहे अभियान की सफलता के लिए प्रार्थना की। बता दें कि बौखनाग देवता को इलाके का रक्षक माना जाता है।

ग्रामीण ने कहा- कंपनी को सुझाव दिया था, लेकिन नहीं माना

वहीं एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि हमने निर्माण कंपनी से मंदिर को न तोड़ने के लिए कहा था। उनसे यह भी कहा था कि अगर उन्हें ऐसा करना ही है तो पास में एक दूसरा मंदिर बनवा दें, लेकिन कंपनी ने हमारे सुझाव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह अंधविश्वास है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी प्रोजेक्ट की शुरुआत में सुरंग का एक हिस्सा धंस गया था, लेकिन तब एक भी मजदूर नहीं फंसा और न ही किसी का नुकसान हुआ, तब वहां मंदिर था।

कैसे हुआ था सुरंग में हादसा…

बता दें कि ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच सुरंग बन रही थी। 12 नवंबर को बड़ी दिवाली के दिन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 10 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली। इस सुरंग की कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर है। इसमें सिल्क्यारा के छोर से 2,340 मीटर और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर तक निर्माण किया गया है। सुरंग के दोनों किनारों के बीच 441 मीटर की दूरी का निर्माण होना था। अधिकारियों ने कहा था कि सुरंग सिल्क्यारा की तरफ से ढही है। सुरंग का जो हिस्सा ढह गया, वह एंट्री गेट से 200 मीटर की दूरी पर था।