नए जिलों के गठन से 5 करोड़ लोगों की जेब पर भार, दस्तावेजों के अपडेशन पर खर्च होंगे दो हजार रुपए

राज्य सरकार ने प्रदेश में 19 नए जिलों का गठन कर जिलों की संख्या 50 करने की घोषणा तो कर दी, लेकिन इससे प्रदेश के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की आबादी प्रभावित होगी।

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(लोकेश ओला) जयपुर। राज्य सरकार ने प्रदेश में 19 नए जिलों का गठन कर जिलों की संख्या 50 करने की घोषणा तो कर दी, लेकिन इससे प्रदेश के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की आबादी प्रभावित होगी। यहां की करीब 5 करोड़ आबादी के पते और सरकारी दस्तावेज बदलेंगे। राज्य सरकार द्वारा नए जिलों के गठन के पीछे आर्थिक व प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने और आमजन को राहत देने के साथ ही नए जिलों के गठन को विकास का नया मॉडल बनाने की मंशा का दावा किया गया है। लेकिन, नए जिलों के गठन के बाद स्थानीय लोगों के आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, जन आधार कार्ड, मूल निवास, जाति प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस सहित अन्य डॉक्यूमेंट बदलेंगे, जिससे प्रति व्यक्ति करीब 2 हजार रुपए तक का आर्थिक भार आएगा।

प्रदेश के 33 जिलों की 2023 की अनुमानित आबादी 7,95,02,477 है। इनमें सर्वाधिक आबादी के जिलों में जयपुर में 76,85,041 जोधपुर में 42,76,374, अलवर में 42,61,313 और नागौर में 38,36,320 जनसंख्या है। इन 4 जिलों के अब 9 नए जिले बनेंगे। जहां जयपुर और जोधपुर की पूरी आबादी को दस्तावेज बदलने होंगे। वहीं, अलवर में खैरथल और नागौर में डीडवाना-कुचामन को जिला बनाया है। यहां की करीब आधी आबादी प्रभावित होगी।

नहीं बदलेंगे पिन कोड नंबर

दस्तावेजों में नए जिलों का नाम बदला जाएगा, लेकिन पिन कोड नहीं बदलेगा। अधिकारियों के अनुसार पिन कोड केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। जिलों की सीमा तय करने का काम राज्य सरकार का होता है। ऐसे में पिन कोड नंबर एक जिले से दूसरे जिले का एक हो सकता है।

सीमांकन के बाद बदलेंगे दस्तावेज

नए जिलों के गठन के लिए राज्य सरकार द्वारा जिलों का सीमांकन कर गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। राजस्व विभाग के अधिकारियों के अनुसार जुलाई माह तक जिलों के सीमांकन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद प्रशासनिक ढांचे को स्थापित करने, रेवेन्यू रिकॉर्ड, पंचायती राज संस्थाओं के गठन सहित अन्य कार्य शुरू होंगे। नए जिलों मेंप्रशासनिक कार्य शुरू होने के बाद आमजन को अपने दस्तावेजों में बदलाव करना होगा। नए जिलों के गठन से आमजन के दस्तावेजों में बदलाव से पडने वाले आर्थिक भार को कम करने के लिए सरकार से विशेष व्यवस्था करने की मांग उठने लगी है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए सरकार द्वारा जिले के गठन के बाद कैम्प आयोजित किए जाएंगे।

ई-मित्र संचालक देवेंद्र निठारवाल ने बताया कि सरकार करे डॉक्यूमेंट अपडेशन की कोई माकूल व्यवस्था जो दस्तावेज बनाए जाते हैं, उन्हें अपडेट करने और नए बनाने के लिए समय और पैसा खर्च होगा। जनाधार कार्ड और आधार कार्ड से सरकारी योजनाओंका लाभ मिलता है। अपडेट करने और उसके बाद पुनः कार्ड निकलवाने में सरकार दरें फिक्स कर रखी हैं। महेंद्र घोसल्या ने बताया कि सरकार ने नए जिला बनाने का तो काम कर दिया, लेकिन हमारा काम बढ़ा दिया। सरकारी काम हो या अन्य काम सभी में दस्तावेजों की जरूरत होती है। नए जिला बनने के बाद फिर से दस्तावेज बनाने होंगे। इससे समय और पैसे खर्च होंगे। साथ ही, सरकारी कार्यालयों के भी चक्कर लगाने होंगे। अच्छा रहेगा सरकार अपने स्तर पर ही कोई व्यवस्था करे, ताकि आमजन को परेशानी न हो।

ई-मित्र सेवा पर दस्तावेजों का अपडेशन दस्तावेज शुल्क (रु)

आधार कार्ड – 50
जनाधार कार्ड – 100
मूल निवास प्रमाण पत्र – 70
जाति प्रमाण पत्र – 70
राशन कार्ड – 70
ड्राइविंग लाइसेंस – 200
पासपोर्ट – 1500

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