विदेशों में होने वाली सर्जरी पहली बार SMS अस्पताल में, फेफड़ा निकालने के बाद फटी श्वास नली तो सर्जरी कर बचाई जान

बायां फेफड़ा निकालने के बाद फटी सांस की नली ब्रोंकोप्ल्यूरल फिस्टुला की सफल सर्जरी कर एसएमएस अस्पताल के डॉक्टर्सने एक बार फिर कारनामा किया है।

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SMS Hospital : जयपुर। बायां फेफड़ा निकालने के बाद फटी सांस की नली ब्रोंकोप्ल्यूरल फिस्टुला की सफल सर्जरी कर एसएमएस अस्पताल के डॉक्टर्सने एक बार फिर कारनामा किया है। एसएमएस अस्पताल प्रशासन का दावा है कि विदेशों में होने वाली इस तरह की ओपन हार्ट सर्जरी कर देश में पहली बार किसी मरीज की जान बचाई गई है। फेफड़े को निकालकर मरीज को राहत देने का काम भारत में कई अस्पताल करते हैं, लेकिन एसएमएस में आए इस मरीज की सर्जरी अपने आप में इसलिए पहली बार महत्वपूर्ण बताई जा रही है, क्योंकि इसमें फेफडों को निकालने के बाद भी मरीज को राहत नहीं मिली थी और उसके श्वास की नली तक फट गई थी। इस कारण मरीज मौत के मुंह में चला गया था, जिस मरीज के श्वास की नली की सर्जरी एसएमएस अस्पताल में की गई। इस मरीज ने फेफड़ा अहमदाबाद में निकलवाया था, लेकिन इसके बाद श्वास की नली में पस पड़ा तो इसने सवाई मानसिंह चिकित्सालय के डॉक्टर्स का इलाज लिया।

मरीज स्वस्थ, घर भेजा 

इसमें सामने की छाती खोली और हार्ट की दो धमनियों के बीच से जाने वाली हार्ट की झिल्ली खोली। झिल्ली के पीछे से फेफड़े में जाने वाली नस को बंद कर दिया। यह सर्जरी अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण रही, क्योंकि हार्ट के झिल्ली के पीछे की नस को बंद किया गया, जिससे मरीज को उसकी तकलीफ से निजात मिली। इसके बाद उसे ऑब्जर्वेशन में रखकर 18 अक्टूबर को छु ट्टी दे दी गई। इस पूरी सर्जरी में डॉ. के के मावर, डॉ. शैफाली, डॉ.केशा, डॉ. मनीष व डॉ. सतवीर ने इस सर्जरी को डॉ. संजीव देवगढ़ा के निर्देशन में किया गया।

महाधमनियों के बीच से झिल्ली के पीछे की सर्जरी पहली बार

एसएमएस अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. संजीव देवगढ़ा ने बताया कि चितौड़गढ़ के 27 वर्षीय शाहरूख की यह ओपन हार्ट की इस तरह सर्जरी की गई। इस मरीज का फे फड़ा सड़ जाने के कारण अहमदाबाद में सर्जरी कर वहां के डॉक्टर्स ने बायां फे फड़ा 29 अगस्त 2022 को निकाल दिया था। इसके बाद शाहरूख की दाएं फे फड़े की नली फट जाने के कारण इसके परिजन नवम्बर माह में इसे एसएमएस में लेकर आए। अहमदाबाद के डॉक्टर्स ने श्वास की नली को बांधने में कोई गलती कर दी थी, जिससे मरीज को फिर यह परेशानी शुरू हुई। इससे मरीज को सांस लेने में फिर तकलीफ होने लगी और उसके दाएं तरफ छाती में मवाद भर गया। जिसे अस्पताल के चिकित्सकों ने छाती में छेद कर निकालकर इसकी जान बचाई। इसके बाद भी राहत नहीं मिली और अप्रैल में यह मरीज दोबारा एसएमएस पहुंचा। जब यह यहां पहुंचा तो इसके फिर से छाती में पस बन गया था और वह मवाद मुंह से बाहर निकलने लगा था। इससे दाएं फे फडे ़ के भी खराब होने की संभावना बन गई थी। ऐसे में एक बार फिर से सर्जरी करना चुनौती थी, लेकिन अस्पताल के चिकित्सकों ने चुनौती ली और सामने से ओपन सर्जरी की।

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