मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास योजना में घपला! मृतकों व एक ही परिवार को कर दिया 45.15 लाख का भुगतान

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बीपीएस आवास योजना में बांसवाड़ा की कनेला पंचायत के अफसरों ने मृतकों, राजकीय कर्मचारियों और एक परिवार के कई सदस्यों को आवास बनाने पर 45.15 लाख रुपए का भुगतान कर दिया।

image 2024 01 28T080649.128 | Sach Bedhadak

जयपुर। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बीपीएस आवास योजना में बांसवाड़ा की कनेला पंचायत के अफसरों ने मृतकों, राजकीय कर्मचारियों और एक परिवार के कई सदस्यों को आवास बनाने पर 45.15 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। एसीबी ने तीन साल बाद एक परिवाद की जांच के बाद अब आठ जनों के खिलाफ पद का दुरुपयोग करके राजस्व को चपत लगाने पर मामला दर्ज कर लिया।

एसीबी ने आरोपी तत्कालीन विकास अधिकारी (बीडीओ) रमेश चंद मीणा व कैलाश मीणा, ग्राम विकास अधिकारी विनोद पारगी, अनिल जोशी, नानगराम कटारा व मुकेश कटारा के साथ ही कनिष्ठ लिपिक चंपालाल व कम्प्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। एसीबी ने प्रारंभिक जांच के बाद अब आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है। 

दरअसल, योजना के तहत 890 आवासों का भुगतान किया था। एसीबी को शिकायत मिली थी कि 47 आवास बनाने पर लाभािन्वतों के गलत भुगतान किया है। एसीबी ने 47 आवास भुगतान के प्रकरणों की जांच की तो 37 आवासों का भुगतान करना अनियमित पाया गया।

इन आवासों का भुगतान बांसवाड़ा की कनेला पंचायत में वर्ष 2012 से वर्ष 2020 के बीच में किया गया है। इस मामले में एसीबी में वर्ष 2020 में शिकायत की थी। एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि मामला दर्ज कर लिया है। अनियमित भुगतान करने का मामला है। अब जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

एक परिवार के नाम से एक से अधिक बार किया भुगतान 

एसीबी की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम से आवासों का भुगतान किया है। एक परिवार के 15 सदस्यों को एक से अधिक बार आवास स्वीकृत करके उनके नाम से 23 लाख रुपए से ज्यादा का भुगतान किया। पांच परिवार गांव में रहते ही नहीं और उनके नाम भी योजना का लाभ देकर कागजों में 3.50 लाख रुपए का भुगतान कर दिया।

15 लाभार्थियों के नाम से अन्य को भुगतान 

पड़ताल में सामने आया कि आरोपियों ने आपस में मिलीभगत करके 15 लाभार्थियों के नाम से किसी अन्य व्यक्ति काे उनके नाम से आवास स्वीकृत करके 18 लाख रुपए का भुगतान कर दिया। यही नहीं, आरोपियों ने दो राजकीय कर्मचारियों को भी बीपीएल योजना का लाभ देकर उनके नाम से भुगतान कर दिया, जबकि हकीकत में उनको भुगतान ही नहीं हुआ। आरोपियों ने योजना में कई लोगों को दोहरा लाभ देकर, मृत्यु के बाद और बिना आवेदन करने पर लाखों रुपए का भुगतान किया है।