‘मेरे पिता ने मिजोरम में नहीं… पाक में गिराए थे बम’ मालवीय के दावे पर सचिन पायलट का पलटवार

मिजोरम की राजधानी आइज़वाल पर एयरफोर्स की बमबारी मुद्दे पर एक बार फिर सियासी विवाद खड़ा हो गया है।

Sachin Pilot

Aizawl bombing issue : जयपुर। मिजोरम की राजधानी आइज़वाल पर एयरफोर्स की बमबारी मुद्दे पर एक बार फिर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी पर आइज़वाल पर बम का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। मालवीय के दावे पर पलटवार करते हुए पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि उनके पिता ने बम जरूर गिराए थे। लेकिन, साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर गिराए थे। साथ ही सचिन पायलट ने अमित मालवीय के दावे को पूरी तरह झूठा करार दिया।

पायलट ने दावे को बताया तथ्यहीन

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सचिन पायलट ने अमित मालवीय पर पलटवार करते हुए कहा कि एयरफोर्स पायलट के तौर पर मेरे स्वर्गीय पिता राजेश पायलट ने साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान में बमबारी की थी। 1966 में मिजोरम में नहीं की थी। साथ ही उन्होंने पूछा कि जब मेरे पिता 29 अक्टूबर, 1966 को एयरफोर्स ऑफिसर बने थे तो मार्च 1966 में मिज़ोरम में बमबारी कैसे कर सकते हैं?

ये सर्टिफिकेट किया अटैच

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सचिन पायलट ने पिता राजेश पायलट के वायुसेना में कमीशन होने का सर्टिफिकेट अटैच करते हुए मंगलवार को ट्वीट किया कि स्व. श्री राजेश पायलट 29 अक्टूबर, 1966 को भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए थे। यह कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 में मिज़ोरम में बमबारी की थी। यह पूरी तरह काल्पनिक है, तथ्यहीन है और पूर्ण तरह भ्रामक है। हां, 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मिज़ोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थाई शांति संधि स्थापित करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी।

अमित मालवीय ने किया था ये दावा

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बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने 13 अगस्त को मिजोरम की राजधानी आइज़वाल में बमबारी का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस पर हमला बोला था। मालवीय ने ट्वीट किया था कि राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भारतीय वायुसेना के उन विमानों को उड़ा रहे थे। जिन्होंने 5 मार्च 1966 को मिज़ोरम की राजधानी आइज़वाल पर बम गिराए थे। बाद में दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री भी बनें। स्पष्ट है कि नार्थ ईस्ट में अपने ही लोगों पर हवाई हमला करने वालों को इंदिरा गांधी ने बतौर इनाम राजनीति में जगह दी, सम्मान दिया।

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