चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति छोड़ रहे ओल्ड गार्ड, प्रभारी की सलाह का असर या उम्र का तकाजा?

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत और श्रीकरणपुर से कांग्रेस विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर ने अगला चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है.

sb 1 35 | Sach Bedhadak

जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले दल-बदल और नेताओं की जनता की नब्ज टटोलने के अलावा सत्ता का मोह छोड़ने के रूझान भी लगातार दिख रहे हैं जहां गुरुवार को दो कांग्रेस विधायकों ने एक ही दिन में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया. सचिन पायलट गुट के माने जाने वाले विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत और श्रीकरणपुर से पूर्व मंत्री ओर कांग्रेस विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर ने अगला चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया. शेखावत ने जहां स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया वहीं कुन्नर ने अपने बेटे को टिकट देने की पैरवी की.

मालूम हो कि इससे पहले मंत्री हेमाराम चौधरी और सांगोद विधायक भरत सिंह कुंदनपुर भी चुनाव नहीं लड़ने का रूख दिखा चुके हैं. इधर कांग्रेस विधायकों के चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करने के साथ ही उनकी सीटों पर उनके बेटों के चुनाव लड़ने की अटकलों को बल मिलने लगा है. वहीं दूसरी ओर बीते दिनों प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का बुजुर्ग नेताओं को चुनाव लड़ने का मोह छोड़ देने का बयान भी चर्चा में है.

इधर कांग्रेस विधायकों के चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करने के साथ ही उनकी सीटों पर उनके बेटों के चुनाव लड़ने की अटकलों को बल मिलने लगा है. वहीं दूसरी ओर बीते दिनों प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का बुजुर्ग नेताओं को चुनाव लड़ने का मोह छोड़ देने का बयान भी चर्चा में है. माना जा रहा है कि इस बार चुनावों में कांग्रेस टिकट वितरण को लेकर खास तरह की रणनीति पर काम कर रही है.

हेमाराम ने पहले ही कर दिया ऐलान

वन मंत्री हेमराम चौधरी ने बीते दिनों विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की अपनी इच्छा जाहिर की थी जहं हेमाराम बाड़मेर के गुडामालानी से 6 बार विधायक रह चुके हैं. हेमाराम भी पायलट समर्थक माने जाते हैं. इससे पहले चौधरी ने एक बार नाराजगी जाहिर करते हुए अपना इस्तीफा भी स्पीकर सीपी जोशी को भेजा था लेकिन बाद में उन्होंने वापस ले लिया था. हेमाराम अभी 75 साल के हैं और एक लंबे अरसे से वह चुनावी राजनीति में है.

दूसरों को मौका मिले : कुंदनपुर

वहीं बीते दिनों कोटा के सांगोद से विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि अगर मैं ही चुनाव लड़ता रहूंगा तो दूसरों को मौका कैसे मिलेगा? विधायक ने कहा कि 2018 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद ही मैंने भविष्य में आगे चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था. मालूम हो कि कुंदनपुर काफी लंबे समय से युवाओं को राजनीति में मौका दिए जाने की पैरवी करते रहे हैं.

रंधावा ने दी थी सलाह

वहीं बीते दिनों युवाओं और नए चेहरों को मौका दिए जाने की चर्चा के बीच राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सीधे तौर पर ना सही लेकिन कहा था कि बुजुर्ग नेताओं को अब टिकट का मोह छोड़ देना चाहिए जिससे युवा आगे आ सकें.

उन्होंने कहा था कि राजनीति में कोई तारीख या उम्र की ऐसे कट ऑफ नहीं होती है और हम ऐसे भी नहीं कह सकते हैं कि कोई नेता बूढ़ा हो गया तो आप घर बैठें. रंधावा ने कहा कि हालांकि बड़ी उम्र के नेताओं को खुद ही अपने आप टिकट का मोह छोड़ देना चाहिए और उनको कहने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए उनको खुद ही एक मिसाल पेश करनी चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *