केंद्रीय मंत्री पर ‘अपने ही हमलावर’…लोकसभा के घमासान से पहले क्यों हो रही शेखावत की घेराबंदी?

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर बीजेपी विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने तीखा जुबानी हमला किया है.

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Gajendra Singh Shekhawat: राजस्थान में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में पूर्व सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस नेताओं के सबसे ज्यादा निशाने पर रहने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं लेकिन इस बार वजह विपक्षी दल की घेराबंदी नहीं है बल्कि अपने ही दल के एक विधायक द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप हैं. जोधपुर के शेरगढ़ से आने वाले बीजेपी विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने शेखावत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शेखावत काम नहीं करते हैं उन्हें बस वादें करने आते हैं. वहीं शेरगढ़ विधायक ने यह तक कहा कि शेखावत सीकर के मेहरौली के निवासी हैं ऐसे में उनको जोधपुर में काम करना पसंद नहीं आता है.

हालांकि बाबू सिंह राठौड़ के इस जुबानी हमले के बाद शेखावत का पलटवार आया और उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने काम गिनवाए. दरअसल लोकसभा चुनावों से पहले पश्चिमी राजस्थान में दो राजपूत चेहरों की इस टकराहट से बीजेपी को अंदरखाने भीतरघात का नुकसान उठाना पड़ सकता है.

मालूम हो कि शेखावत जिस इलाके से सांसद हैं वहां से ही अशोक गहलोत सालों से राजनीति करते रहे हैं. इसके अलावा बाबू सिंह राठौड़ को वसुंधरा राजे का भी करीबी माना जाता है ऐसे में माना जा रहा है कि शेखावत की चुनावों से पहले हो रही घेराबंदी किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है.

ERCP पर फ्रंट-फुट पर खेल रहे शेखावत!

दरअसल वर्तमान में राजस्थान में ईआरसीपी पर यात्रा निकली जहां बीजेपी लोकसभा चुनावों में पूर्वी राजस्थान में इस योजना को बड़ा मुद्दा बनाने पर जोर लगा रही है, अब शेखावत के पास केंद्र में जल का मंत्रालय है ऐसे में सीएम भजनलाल की धन्यवाद यात्रा में वह लगातार साथ दिखाई दिए. जानकारों का कहना है कि शेखावत लगातार प्रदेश की राजनीति में खुद को भजनलाल के बाद नंबर-2 का नेता बनाने की ओर बढ़ रहे हैं.

मालूम हो कि राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया अपना विधानसभा चुनाव हार गए और वसुंधरा राजे को सीएम नहीं बनाया गया इसके बाद से ये तीनों ही चेहरे लंबे समय से सियासी तौर पर शांत हैं. ऐसे में अब माना जा रहा है कि शेखावत के प्रदेश में फ्रंट-फुट पर खेलने की वजह से वसुंधरा राजे गुट नाराज चल रहा है और भीतरखाने विरोध के सुर भी तेज हो गए हैं. जोधपुर के शेरगढ़ विधायक बाबूसिंह राठौड़ वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं और वह सीनियर विधायक हैं.

शेखावत-राजे गुट में पुरानी खींचतान!

गौरतलब है कि गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार राजस्थान में चर्चा में रहते हैं जहां ईआरसीपी को लेकर पहले कांग्रेस आरोप लगाती थी कि राजस्थान से मंत्री बनने के बाद भी ईआरसीपी योजना की कोई सुध नहीं ले रहे हैं, वहीं बीजेपी सरकार आते ही योजना को लेकर एमओयू साइन हो गया जिसके बाद भी शेखावत की पहली लाइन में रहे.

माना जाता है कि बीजेपी में वसुंधरा राजे का विरोध करने वालों में भी शेखावत का नाम हमेशा रहा है. हालांकि विधानसभा चुनावों के बाद से ही राजस्थान में वसुंधरा राजे गुट शांत है. इधर माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में गजेंद्र सिंह शेखावत को जोधपुर से ही टिकट मिलेगा लेकिन अंदरखाने ऐसे विरोध के चलते उनकी राह आसाना नहीं रहने वाली है.