सरकारी कर्मचारियों पर मेहरबान गहलोत सरकार, क्या सूबे का ‘साइलेंट वोटर’ देगा रिवाज बदलने का आशीर्वाद?

सीएम गहलोत ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया कि सरकारी कर्मचारियों को अब 28 की जगह 25 साल की नौकरी के बाद रिटायरमेंट लेने पर पूरी पेंशन का लाभ मिलेगा.

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जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले गहलोत सरकार हर वर्ग को राहत देते हुए लगातार घोषणाएं कर रही है जहां सीएम अशोक गहलोत अपने बजट वादों को अमलीजामा पहना रहे हैं. इसी कड़ी में बीते मंगलवार को सीएम गहलोत की अध्यक्षता में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक और ऐतिहासिक फैसला लिया गया जहां कैबिनेट की बैठक में तय किया गया कि सरकारी कर्मचारियों को अब 28 की जगह 25 साल की नौकरी के बाद रिटायरमेंट लेने पर पूरी पेंशन का लाभ मिलेगा. वहीं 75 साल के पेंशनर्स या उसके किसी पारिवारिक सदस्य को 10 फीसदी अतिरिक्त पेंशन का भत्ता दिया जाएगा और कर्मचारी या पेंशनर की मौत होने पर उसके शादीशुदा निःशक्त बेटे-बेटी को पेंशन मिलेगी.

वहीं कैबिनेट ने कर्मचारियों के स्पेशल-पे में बढ़ोतरी करना भी तय किया है जहां राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही कैबिनेट ने सरकारी विभागों के वर्क चार्ज कर्मचारियों को भी नियमित मानते हुए बराबर वेतन और पद देने का फैसला लिया है.

दरअसल सीएम गहलोत लगातार कर्मचारियों के हितों के लिए फैसले ले रहे हैं जिनमें ओपीएस, महंगाई भत्ता बढ़ाने और एडवांस में सैलरी लेने जैसे कई अहम फैसले लिए हैं. मालूम हो कि 2003 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश में छिड़े कर्मचारियों के अलग-अलग आंदोलनों ने सरकार वापसी का रास्ता रोक दिया था.

कर्मचारियों की नाराजगी, खुद CM ने स्वीकारी

खुद सीएम अशोक गहलोत कई मौकों पर कह चुके हैं कि 2003 में कर्मचारियों की नाराजगी के चलते चुनावों में हार हुई. गहलोत के मुताबिक मुझे हड़ताल का सामना करना पड़ा और 60 दिन तक कर्मचारियों की हड़ताल चली औक दौरान मैं नया नया सीएम बना ही था और हम कर्मचारियों से समय पर चर्चा नहीं कर पाए जिनकी नाराजगी का असर चुनावों में देखने को मिला.

चुनावी आंकड़ों के मुताबिक 1998 में 153 सीटों पर जीतकर आई कांग्रेस 2003 में 156 से सीधे 56 पर सिमट गई थी. वहीं गहलोत सरकार के हाल के फैसलों को लेकर जानकारों का कहना है कि कर्मचारियों में सरकार के कामकाज को लेकर सकारात्मक माहौल है और सूबे में 4 साल बाद भी सरकार के खिलाफ पहले के चुनावों जैसी एंटी इंकन्बेंसी की हवा नहीं चल रही है.

OPS बनेगा बड़ा चुनावी मुद्दा!

दरअसल सीएम गहलोत ने बीते दिनों सरकार के बजट में सरकारी कर्मचारियों को सबसे बड़ा तोहफा देते हुए पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का ऐलान किया था जिसके बाद दिल्ली तक हलचल तेज हो गई थी. मालूम हो कि यूपी विधानसभा चुनाव में ओपीएस एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहा था जिसके बाद हिमाचल के चुनावों में कांग्रेस को इसका फायदा मिला.

वहीं सीएम गहलोत कई बार केंद्र सरकार से कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ओपीएस को केंद्र स्तर पर लागू करने की कई बार मांग कर चुके हैं. मालूम हो कि राजस्थान सरकार ने 1 जनवरी 2004 और उसके बाद नियुक्त हुए कर्मियों के लिए ओपीएस लागू कर दिया है.

ए़डवांस ले सकेंगे कर्मचारी वेतन

वहीं हाल में सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों को एक राहत देते हुए ऐलान किया कि जिसके मुताबिक राज्य कर्मचारी अब क‍िसी तरह की आकस्मिक आवश्यकता पर अपने अगले महीने का वेतन पहले ही ले सकते हैं. मालूम हो कि इस तरह की व्यवस्था करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है जहां सरकार ने बीते दिनों ‘अर्नड सैलरी एडवांस विड्राल एक्सेस स्कीम’ को स्वीकृति जारी की.

महंगाई भत्ते में की बढ़ोतरी

वहीं सीएम गहलोत ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक और राहत भरा ऐलान करते हुए उन्हें महंगाई से राहत दी है जहां राज्य कार्मिकों के महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. सरकार के आदेश के मुताबिक राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स को 1 जनवरी, 2023 से 42 प्रतिशत महंगाई भत्ते का भुगतान होगा जहां इससे पहले कर्मचारियों और पेंशनर्स को 38 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा था. बता दें कि सीएम के इस फैसले का सीधा असर 12 लाख से ज्यादा कर्मचारियों पर पड़ेगा.

1998 में गहलोत ने झेली थी नाराजगी

गौरतलब है कि 1998 में सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी और अशोक गहलोत को सीएम बनाया गया लेकिन सरकार बनने के एक साल बाद ही कर्मचारी आंदोलन पर उतर आए और 1998 से लेकर 2003 तक किसी ना किसी तरह से लगातार कर्मचारियों की हड़ताल, आंदोलन जारी रहे.

उस दौरान कर्मचारियों का कहना था कि सरकार सुनवाई नहीं कर रही है और आंदोलन ने विकराल रूप ले लिया. इसके बाद कर्मचारियों की यही नाराजगी गहलोत सरकार को 2003 में हुए चुनावों में भारी पड़ी जहां 153 सीटों वाली कांग्रेस 56 सीटों पर आ सिमटी.

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