‘फायर-फायर…’PUBG ने किया 15 साल के बच्चे का जीवन नर्क! खाना-पीना छोड़ा…नींद में चलाता है गोलियां

पब्जी और फ्री-फायर जैसे ऑनलाइन गेम्स की लत कितनी खतरनाक है इसका तरो ताजा उदाहरण राजस्थान के अलवर जिले में देखने को मिला है।

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PUBG Mobile Games Side Effects : अलवर। पब्जी और फ्री-फायर जैसे ऑनलाइन गेम्स की लत कितनी खतरनाक है इसका तरो ताजा उदाहरण राजस्थान के अलवर जिले में देखने को मिला है। 14 साल के बच्चे पर ऑनलाइन गेम्स का ऐसा भूत सवार हुआ कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। वह नींद में भी फायर-फायर चिल्लाता रहा है। बच्चे की आंखें घूम गईं और हाथ-पैर भी हिलने लग गए।

इतना ही नहीं, बच्चे पर ऑनलाइन गेम्स का इस कदर असर पड़ा कि उसे घर से भागने की लत ने भी जकड़ लिया। बच्चा कई बार घर छोड़कर कभी रेवाड़ी तो कभी बांदीकुई तक भाग जाता है। ऐसे में परिजन अपने ही बच्चे को बंधक बनाने को मजबूर हो गए। परिजनों ने बच्चे का काफी इलाज कराया। लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ। आज हालात ऐसे बन गए है कि बच्चे को अलवर के बौद्धिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय में भर्ती कराया गया है।

दरअससल, ऑनलाइन गेम की लत के कारण बच्चे का मानसिक संतुलन बिगड़ने का ये मामला अलवर शहर के मूंगस्का का है। परिजनों ने सात महीने पहले एंड्रायड फोन लिया। तभी ये कक्षा 7वीं में पढ़ने वाले 14 साल के बच्चे को मोबाइल देखने का चस्का लग गया। इस दौरान बच्चे को पब्जी और फ्री-फायर जैसे ऑनलाइन गेम्स की लत लग गई। वह कभी दिन तो कभी रात में मोबाइल देखता रहता। पता चलने पर परिजन मोबाइल ले लेते। लेकिन, तीन महीने के अंदर ही बच्चे की तबीयत खराब होने लगी।

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होली के बाद बच्चे के दोनों आंखें घूम गई और हाथ-पैर भी हिलने लग गए। कई जगह इलाज कराया, लेकिन जब फायदा नहीं हुआ तो जयपुर लेकर गए। इस दौरान बच्चे को एक और नई बीमारी ने जकड़ लिया। वह कभी भी घर छोड़कर भाग जाता। जिसके कारण 2 महीने तक बच्चे को घर में बेल से बांधकर रखना पड़ा। अभी अलवर के बौद्धिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय में भर्ती कराया गया है। लेकिन, बच्चे की इस बीमारी से परिजन काफी घबराए हुए हैं।

बच्चे की आंखें घूम गईं, परिजन नहीं दे पाए ध्यान

बच्चे के पिता ने बताया कि वह ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है और उसकी पत्नी घरों में झाड़ू-पोंछा का काम करती है। ऐसे में हम दोनों बच्चे का ध्यान नहीं रख पाते थे। जब बच्चा स्कूल से आता तो मोबाइल लेकर बैठ जाता। कई बार तो रात में भी फोन देखता रहा था। लेकिन, हमें इस बारे में कभी पता नहीं चला कि वो ऑनलाइन गेम्स खेलता है। हम तो यही सोचते थे कि वो गाने सुन रहा होगा या नाटक देख रहा होगा।

लेकिन, होली के बाद बच्चे की आंखें घूमने लग गई। तब हमें पता चला कि ऑनलाइन गेम्स के कारण ऐसा हुआ है। मार्च महीने में तो वह 8 से 10 घंटे तक गेम खेलता था। वह 15 घंटे तक गेम खेलने लगा और धीरे-धीरे उसका दिमागी संतुलन बिगड़न गया। हमनें अलवर के कई अस्पतालों में बच्चे का इलाज कराया। जब सही नहीं हुआ तो खैरथल ले गए। वहां पर हुए इलाज से बच्चे की आंख थोड़ी सही हो गई। हालांकि, बाद में जयपुर ले गए।

होली के बाद पड़ी घर से भागने की लत

उन्होंने बताया कि बच्चे की शरीर पर तो ऑन लाइन गेम का असर पड़ा। वहीं, उसका मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया। उसे घर से भागने की लत लग गई। जयपुर इलाज के लिए लेकर गए तो वह दो बार भाग गया और थकने पर रूक जाता। इस दौरान हमने पीछा कर बच्चे को पकड़ लिया। यह पहली बार नहीं था।

इससे पहले भी होली के बाद से अब तक वह कई बार भाग चुका था। दो बार बच्चा ट्रेन में बैठकर रेवाड़ी भाग चुका। वहां पर मेरी साली बच्चे को लेकर आई। एक बार बांदीकुई भाग गया। तब पुलिस वाले इसे लेकर आए थे। आज भी हालात ऐसे है कि अगर खुला छोड़ देते है तो घर से भाग जाता है और उसे पकड़ने के लिए भागना पड़ता है। अब बच्चे का अलवर के एक अस्पताल में उपचार चल रहा है और बौद्धिक दिव्यांग आवासीय विद्यालय में पढ़ा रहे है।

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