‘जब तक जिंदा है तब तक जेल में रहेगा’ बुजुर्ग पिता के कत्ल को इंसाफ! हत्यारे बेटे को मिली उम्रकैद की सजा

झुंझुनूं। राजस्थान के झुंझुनूं में चार साल पहले बुजुर्ग पिता की हत्या के आरोपी बेटे को कोर्ट ने सजा सुनाई है। जिला एवं सेशन न्यायाधीश…

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झुंझुनूं। राजस्थान के झुंझुनूं में चार साल पहले बुजुर्ग पिता की हत्या के आरोपी बेटे को कोर्ट ने सजा सुनाई है। जिला एवं सेशन न्यायाधीश देवेन्द्र दीक्षित ने आरोपी बेटे को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपी को 10 हजार रुपए के आर्थिक अर्थदंड से भी दंडित किया है।

जिला एवं सेशन कोर्ट ने छोटूराम पुत्र शिवमाल उर्फ श्योमाल निवासी नितड़ो की ढाणी तन भौड़की थाना गुढ़ागौड़जी जिला झुंझुनूं को उम्र कैद की कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

जानकारी के अनुसार, चार साल पहले अगस्त 2019 में आरोपी छोटूराम के भाई हरीराम ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। हरीराम ने शिकायत में बताया कि वे 4 भाई हैं। 9 अगस्त की सुबह करीब 9 बजे उसके पिता शिवमाल (80) उनके खेत में बने मकानों के पास बनी कच्ची रसोई घर के पास बैठे थे।

उसी समय उसका भाई छोटूराम अपने हाथ में दांतली लेकर वहां आया। छोटूराम ने आते ही उसके पिता शिवमाल पर जान से मारने के लिए उनकी गर्दन पर ताबड़तोड़ कई वार किए। हमले में उसके पिता की मौके पर मौत हो गई। पुलिस ने जांच के बाद चालान पेश किया।

राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने इस्तगासा पक्ष की तरफ से गवाहों के बयान करवाकर दस्तावेज पेश किए। कोर्ट ने तर्क दिया कि जिस उम्र में पिता को बेटे के सहारे की जरूरत होती है, उस उम्र में आरोपी ने अपने वृद्ध पिता की सेवा करने की बजाय उसकी क्रूरतापूर्ण हत्या कर दी, यह जघन्य कृत्य है, आरोपी बेटे को मृत्युदंड दिया जाए।

जज ने फैसला सुनाते हुए ये लिखा…

जज ने अपना फैसला सुनाते हुए लिखा कि आरोपी बेटे ने अपने पिता की नृशंस हत्या की है। बेटे के जन्म पर खुशियां मनाना और पूरे मोहल्ले में लड्डू बांटना भारतीय परंपरा में शामिल है। प्रत्येक पिता की अपने पुत्र से जायज आशा रहती है कि वृद्धावस्था में उसका ध्यान रखेगा, लेकिन वहीं बेटा जब 80 साल के वृद्ध पिता की निर्दयता से हत्या करता है तो इससे पूरा समाज प्रभावित होता है। यह सामाजिक दृष्टि से भी अधिक निदंनीय है।

लोक अभियोजक की ओर से ऐसे आरोपी के लिए की गई मृत्युदण्ड की मांग बलहीन नहीं है, लेकिन उसे मृत्युदंड की बजाय जीवनपर्यन्त कारावास की सजा दिया जाना न्यायोचित होगा, ताकि वह जीवनपर्यन्त जेल की चारदीवारी में अपने जन्मदाता पिता के प्रति किए गए कृत्य के संबंध में आत्म विश्लेषण कर आंसू बहाए।

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