Rajasthan: 2023 में जाटलैंड में किसकी लहर, क्या महरिया के सहारे कांग्रेस के किले को भेद पाएगी BJP

जय़पुर में सीकर के दिग्गज जाट चेहरे सुभाष महरिया घरवापसी करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए हैं. महरिया 3 बार सांसद रहे हैं जाट समाज में काफी पैठ रखते हैं.

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जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में गहमागहमी तेज हो गई है जहां चुनावी अभियान तेज होने के साथ ही नेताओं के पाला बदलने का दौर भी शुरू हो चुका है. ताजा घटनाक्रम शुक्रवार को जय़पुर में हुआ जहां सीकर के दिग्गज जाट चेहरे सुभाष महरिया ने घरवापसी करते हुए बीजेपी की सदस्यता ली. वहीं महरिया के साथ कई अन्य नेताओं ने भी बीजेपी का दामन थामा. महरिया सीकर से आते हैं जहां से वह 3 बार सांसद रहे हैं जाट समाज में काफी पैठ रखते हैं.

महरिया के बीजेपी में आते ही कांग्रेस के जाट चेहरे गोविंद सिंह डोटासरा के सामने उनको चुनावी मैदान में उतारे जाने की अटकलें भी तेज हो गई है. दरअसल सीकर और लक्ष्मणगढ़ इलाके जाट बाहुल है और वहां से ही गोविंद डोटासरा आते हैं ऐसे में बीजेपी को किसी बड़े जाट चेहरे की चुनावों से पहले ज़रूरत थी जिसके बाद महरिया का पार्टी में आने का रास्ता साफ किया गया.महरिया ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उनको करीब 3 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा था.

दरअसल राजस्थान की राजनीति में शेखावाटी हमेशा से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन पिछले 2 चुनावों में यहां समीकरण एकदम से बदल गए हैं और 2013 के विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के बीच जाटलैंड कहे जाने वाले सीकर,झुंझुनू और चूरू जिलों में बीजेपी ने कांग्रेस के किले में सेंध लगा ली थी. वहीं इसके बाद 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने फिर वापसी की और बीजेपी को महज 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा.

अब एक बार फिर राजस्थान चुनावी मुहाने पर खड़ा है जहां शेखावाटी रीजन की कमजोर सीटों पर पकड़ बनाने के लिए बीजेपी पुराने चेहरों को वापस लाने की रणनीति पर काम कर रही है जिसकी शुरूआत महरिया से की गई है. महरिया को 2009 के चुनाव में हार मिली जिसके बाद 2014 में उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था और वह पार्टी से नाराज हो गए जिसके बाद उन्होंने 2016 में कांग्रेस ज्वॉइन कर ली और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था.

2018 में कांग्रेस ने फिर किया गढ़ पर कब्जा

2013 में मिली हार के बाद कांग्रेस ने 2018 में एक बार फिर वापसी की जहां कांग्रेस की आंधी में सीकर की आठ सीटों में से 7 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की वहीं एक पर निर्दलीय को जीत मिली. इसके अलावा झुंझुनूं की 7 सीटों में से 6 पर कांग्रेस को जीत मिली. वहीं चूरू की 6 सीटों में बीजेपी को महज दो सीटें ही मिली. बता दें कि सीकर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं जिनमें सीकर,लक्ष्मणगढ़,नीमकाथाना,धोद,श्रीमाधोपुर,खण्डेला,दांतारामगढ़ और चौमूं है. हालांकि फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र झुंझुनूं जिले में आता है.

मालूम हो कि जाट बाहुल्य सीकर और शेखावाटी इलाके में पिछले कई चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही जाट प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. सीकर से फिलहाल स्वामी सुमेधानंद सरस्वती सांसद है जो हरियाणा से आते हैं और जाट समुदाय से ही ताल्लुक रखते हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी ने 2023 के लिए कमजोर सीटों को मजबूत कर फिर से जीत हासिल करने की रणनीति बनाई है.

डोटासरा और महरिया में होगा सीधा मुकाबला!

गौरतलब है कि शेखावाटी इलाके में 2018 के चुनावों के बाद पिछले 2 साल में हुए दो उप चुनावों में भी सत्तारूढ़ कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया जहां अप्रैल 2021 में कांग्रेस ने सुजानगढ़ सीट जीती और इसके बाद सरदारशहर विधानसभा के उप चुनाव में भी कांग्रेस ने परचम लहराया.दरअससल शेखावाटी इलाके में दोनों ही पार्टियां जाट चेहरे पर दांव लगाती रही है और हालांकि शेखावाटी में अन्य पार्टियां भी जाट चेहरों को ही मौका देती है. वहीं अब महरिया के बीजेपी में आने को बीजेपी द्वारा गोविंद सिंह डोटासरा की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है जहां बताया जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनावों में गोविंद सिंह डोटासरा के सामने महरिया को उतारा जा सकता है.

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