12वीं पास खुद को सब इंस्पेक्टर बताता, करता था लुटेरी दुल्हनों की दलाली…जेल से बाहर रची कहानी

उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी पुलिसकर्मी को पकड़ा है। आरोपी 10 महीने से प्रतापनगर थाने का सब इंस्पेक्टर…

Udaipur Fake SI Inspector | Sach Bedhadak

उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी पुलिसकर्मी को पकड़ा है। आरोपी 10 महीने से प्रतापनगर थाने का सब इंस्पेक्टर बनकर घूमता रहा, लेकिन पुलिस को भनक तक नहीं लगी। वह इस तरह पुलिसवाला बनकर घूमता कि जैसे सच में पुलिसकर्मी हो। पुलिस की वर्दी में देखकर होटल-ढाबे वाले उससे डरकर वसूली दे देते और लोग कानून से जुड़ा काम कराने उसके पास फाइल लेकर आने लगे।

आरोपी ने खाकी का झांसा देकर अनजान लोगों को ही नहीं ठगा। उस फर्जी पुलिसकर्मी ने अपनी पत्नी तक को भी धोखे में रखा। लेकिन कहते है ना कि एक न एक दिन सच सामने आ ही जाता है। पुलिस ने फर्जी पुलिसकर्मी को पकड़ लिया। 12 अक्टूबर को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर उदयपुर साउथ-1 कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जमानत मिल गई। लेकिन, पुलिस पूछताछ में उसने जो बताया, उसे सुनकर पुलिस भी हैरान रह गई।

प्रतापनगर थानाधिकारी हिमांशु सिंह राजावत ने बताया कि आरोपी देवराज सिंह उर्फ देवेंद्र सांखला उदयपुर जिले के वल्लभनगर तहसील के कानोड़ इलाके के मूल निवासी है। आरोपी देवराज 12वीं तक पढ़ा हुआ है। आरोपी देवराज पहले छोटा-मोटा मजदूरी का काम करता था। कुछ दिनों पहले तक फाइनेंस का काम किया।

कैसे पुलिसवाला बनने का आया आइडिया…

आरोपी देवराज के रिश्तेदारी में 3-4 लोग पुलिस विभाग में है। कोई कांस्टेबल तो कोई इंस्पेक्टर पद पर हैं। उन्हीं लोगों को देखकर देवराज का दिमाग बचपन से खाकी के इर्द-गिर्द घूमता रहा। उसने फर्जी पुलिसवाला बनकर ठगी का रास्ते पर चले लगा।

वर्तमान में आरोपी देवराज (31) अपनी पत्नी पूजा कंवर के साथ उदयपुर में गोवर्धन विलास सेक्टर-14 में किराए के मकान में रहता है। उसने यहां पड़ोसियों और मकान मालिक को भी यही बता रखा था कि वह राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर है।

फर्जी नेम प्लेट खरीदी, पुलिस की वर्दी सिलाई…

खुद को पुलिसकर्मी बताने के लिए आरोपी देवराज ने जयपुर से सब इंस्पेक्टर की वर्दी इसके बाद वहीं से ही नेमप्लेट बनवा ली। पुलिस वाल जैसा दिखने के लिए उसने बाल छोटे कराकर और मूंछें बढ़ा लीं। किसी को शक ना हो इसलिए उसने पुलिस के फर्जी दस्तावेज भी तैयार कर लिए। आरोपी इतना शातिर है कि उसने दोस्त से कार उधार लेकर उसमें सीटों पर सफेद कवर और पर्दे लगवाए। इसके बाद कार के आगे-पीछे पुलिस का स्टिकर चिपकाया और कार में ही हैंगर में वर्दी टांगकर चलता।

ऐसे धरा गया फर्जी सब इंस्पेक्टर…

आरोपी देवराज की पोल करीब 5 दिन पहले 11 अक्टूबर को खुली। उदयपुर की प्रतापनगर थाना पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि एक आदमी फर्जी इंस्पेक्टर बनकर देबारी हाईवे के आस-पास घूम रहा है। सूचना पर पुलिस टीम सादा वर्दी में मौके पर पहुंची। वह अपने साथी के साथ कार में बैठा हुआ था।

कार में बैठकर कर रहा था डील…

11 अक्टूबर की दोपहर 2 बजे आरोपी देवराज अपने साथी इंदौर निवासी अजय शर्मा के साथ बैठा था। अजय फाइनेंस कंपनी से जुड़ा हुआ है। वह देवराज को पुलिसकर्मी समझकर अजय अटकी हुई रिकवरी निकलवाता था। अजय के कहने पर देवराज ने लोन की रकम कस्टमर से निकलवाई। इसी को लेकर दोनों में डील चल रही थी। अजय ने देवराज को 3 बार में 30 हजार रुपए दिए थे।

पुलिस टीम सादा वर्दी में आरोपी को पकड़ने के लिए पहुंची। जब कांस्टेबल ने पूछा तो देवराज हड़बड़ा गया। इसके बाद पुलिस ने आरोपी देवराज को दबोच लिया। देवराज को देखकर गाड़ी में बैठा अजय भी घबरा गया। उसे देवराज की हकीकत पता चली तो वह हैरान रह गया। अजय ने पुलिस को बताया कि देवराज खुद को सब इंस्पेक्टर बताकर रिकवरी कराने के नाम पर पैसे मांग रहा था।

पत्नी को शक ना हो, फर्जी फाइलें रखता था…

प्रतापनगर थानाधिकारी हिमांशु राजावत ने बताया आरोपी देवराज लोगों को ही नहीं बल्कि अपने परिवार की आंखों में भी धूल झोंकी है।

आरोपी पर किसी को शक ना हो इसके लिए वह फर्जी कागजात और फाइले रखता था। देवराज पहले तो बातों से लोगों को अपने झांसे में लेता, जरूरी लगता तो फाइल और दस्तावेज का सहारा लेता। आरोपी के पास मिले दस्तावेज में किसी एसपी, डिप्टी के पद और जगह का हवाला था। इसके अलावा अतिक्रमण हटाने, झगड़े-मारपीट के मामले, हथियार रखने आदि से जुड़े मामलों में एसपी से कार्रवाई कराने के आश्वासन वाले फेक दस्तावेज थे।

दूसरे राज्यों से लड़की लाकर कराता था फर्जी शादियां…

आरोपी देशराज ने फर्जी इंस्पेक्टर बनने से पहले फर्जी शादियां कराने का काम भी किया। वह ऐसे लोगों की तलाश में रहता जिनकी शादी नहीं हो रही थी। वह उनकी शादी कराने का झांसा देता। इसके लिए वह दूसरे राज्यों से लड़कियां लाकर ऐसे लोगों से संपर्क साधता। उन लोगों से मोटी रकम लेकर शादी करा देता। इस फर्जीवाड़े के चलते उसे जेल भी जाना पड़ा था।

देशराज को जब जेल हुई तो पत्नी पूजा कंवर उसे छोड़कर मायके चली गई। जेल से बाहर आने के बाद उसने खुद के सब इंस्पेक्टर बनने की कहानी रची। इसके लिए वर्दी, पहनावा, रहन-सहन सब कुछ पुलिसवालों जैसा कर लिया। इसके बाद उसने पत्नी से संपर्क किया और कहा वह सब इंस्पेक्टर बन गया है।

पूजा को विश्वास नहीं हुआ तो देवराज ने उसे यकीन दिलाने के लिए खुद के वर्दी पहने फोटो और फर्जी दस्तावेज दिखाए। पत्नी ने पति की बातों को सच मान लिया और वापस देवराज के पास गोवर्धन विलास सेक्टर-14 आकर रहने लगी।

पुलिस की जानकारी के अनुसार, आरोपी देवराज ने गांव बोहेड़ा के सरकारी स्कूल में 9वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद उसने 10वीं से 12वीं कोटा ओपन यूनिवर्सिटी से की। 12वीं के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और छोटा-मोटा मजदूरी का काम करने लगा। कुछ वक्त उसने फाइनेंस का काम भी किया। देशराज के एक बेटा (7) है। पिता का 30 साल पहले निधन हो चुका है।

जयपुर से खरीदी फर्जी नेम प्लेट और वर्दी…

पुलिस ने बताया कि देवराज ने 10 महीने पहले खुद के लिए जयपुर से पुलिस की वर्दी सिलवाई। देवराज सिंह नाम की फर्जी नेम प्लेट भी बनवाई। अपने दोस्त लक्ष्मीलाल गुर्जर की हुंडई आई-20 कार में क्लाइंट से मिलता था। कार के आगे-पीछे पुलिस विभाग का लोगो लगवाया।