हे भगवान…8 महीने तक बच्ची को कोख में पाला, फिर नदी में फेंक दिया, पुलिस ने कराया पोस्टमॉर्टम

टोंक/भीलवाड़ा। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हनुमान नगर थाना क्षेत्र के धुवाला गांव के पास से गुजर रही बनास नदी में एक नवजात बच्ची का…

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टोंक/भीलवाड़ा। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हनुमान नगर थाना क्षेत्र के धुवाला गांव के पास से गुजर रही बनास नदी में एक नवजात बच्ची का शव पानी में तैरता हुआ मिलने से गांव में सनसनी फैल गई। वहीं ग्रामीणों की सूचना पर हनुमान नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने नवजात बच्ची के शव को कब्जे में कर देवली हॉस्पिटल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम कराकर मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

हनुमान नगर थानाधिकारी स्वागत पांड्या ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना क्षेत्र के धुवाला गांव में मंगलवार सुबह एक महिला शौच के लिए गई थी। इस दौरान महिला को बनास नदी में पानी में नवजात बच्चाी का शव तैरता हुआ दिखाई दिया। इस पर महिला ने पानी में तैरते हुए शव को लकड़ी की सहायता से बाहर निकाला और ग्रामीणों को जानकारी दी। भ्रूण मिलने की सूचना पर सैकड़ों ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हो गए और पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात बच्ची के शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करा मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

वहीं ग्रामीणों ने बताया कि नवजात बच्ची के शव की नाल पर एक प्लास्टिक का कोड क्लैप भी लगा था। प्रसव के बाद कोई इस नवजात को नदी में फेंककर चला गया। जो पानी में तैरता हुआ किनारे पर आ गया।

प्रसव से जुड़े चिकित्सा कर्मियों का कहना है कि नवजात की नाल पर कोड क्लैप लगा है। जिसका उपयोग प्लेसेंटा व प्रसव के दौरान रक्त स्त्राव को रोकने के लिए किया जाता है। इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि बच्ची का प्रसव किस हॉस्पिटल में हुआ है।

वहीं नवजात बच्ची के शव का पोस्टमॉर्टम तीन सदस्यीय चिकित्सकों के दल ने किया है। जिसमें डॉ. गोपाल मीणा, डॉ. किशनलाल और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संजू मीणा शामिल थीं। पोस्टमॉर्टम दल के सदस्य डॉ. गोपालमीणा ने बताया कि यह शव मादा है, जिसका जन्म करीब 24 से 48 घंटे पहले होना सामने आया है।

बच्ची का हॉस्पिटल में हुआ है जन्म…

इसकी नाल में कोड क्लैंप भी लगा है। इससे यह जाहिर हो रहा है कि यह प्रसव किसी सरकारी व निजी अस्पताल में हुआ है। यदि परंपरागत तरीके से प्रसव कराते तो कोड क्लेम पर नहीं होता। उन्होंने बताया कि विसरा और फेफड़े का सैंपल लिया गया है, जिसकी जांच के बाद ही डीएनए का पता लग सकेगा। यदि पुलिस किसी संदिग्ध की पहचान करती है और उस संदिग्ध के डीएनए और मृत बच्ची के डीएनए का मिलान होता है, तो माता-पिता का खुलासा हो सकता है, लेकिन इसके लिए पुलिस को प्रयास करने होंगे।

राजकीय चिकित्सालय स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संजू मीणा ने बताया कि यह शव प्रीमेच्योर फीमेल चाइल्ड में आता है, जिसके शरीर के सभी अंग विकसित हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस मां ने करीब आठ महीने तक इस जीव का पालन-पोषण किया। संभवत: उसी ने यही दुष्कृत्य किया है।

(इनपुट-जयेश पारीक, भूपेंद्र सिंह)

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