‘लंपी पीड़ितों को मुआवजा सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी’ राजेंद्र राठौड़ ने बोला तीखा हमला

नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता कर लंपी पीड़ितों को मिले मुआवजे और किसान कर्जमाफी को लेकर गहलोत सरकार पर हमला बोला है.

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जयपुर: राजस्थान में गहलोत सरकार जहां लगातार हर वर्ग को राहत देते हुए जनता के हित में कई ऐलान कर रही है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी सरकार पर हमलावर मोड अपनाए हुए हैं जहां विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता कर एक बार फिर जमकर हमला बोलते हुए लंपी बीमारी के बाद पीड़ितों को मिले मुआवजे और किसान कर्जमाफी पर निशाना साधा.

राठौड़ ने कहा कि बजट 2023-24 में सरकार ने लंपी बीमारी से दुधारु गोवंश की मृत्यु होने पर हर गाय 40 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की बजटीय घोषणा की थी और सरकारी आंकड़ों के अनुसार उस समय लंपी से 15.57 लाख पशुधन संक्रमित हुआ था तथा सरकार ने मात्र 76 हजार 30 गौवंश की मौत होना स्वीकारा था जबकि सरकार को सरपंच संघ द्वारा दिए गये ज्ञापन में 5 लाख 13 हजार पशुधन की मौत बताई गई थी.

उन्होंने कहा कि बजटीय घोषणा में जो बीमा राशि 1 अप्रैल 2023 को स्वतः ही पशुपालकों के खाते में चली जानी चाहिए थी, अब सरकार वास्तविक आंकड़े छिपाकर मात्र 42 हजार पशुपालकों को 40 हजार रुपए का अनुदान देकर झूठी वाहवाही लेने का प्रयास कर रही है तथा लाखों किसानों/ पशुपालकों को घोषणानुसार राशि देने से मुकर रही है. राठौड़ ने कहा कि इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि सरकार गौशालाओं में लंपी से मौत को प्राप्त हुए एक भी गौवंश को सहायता राशि नहीं दे रही है जिस कारण गौशाला संचालकों में भी सरकार के खिलाफ आक्रोश फैला हुआ है.

लंपी के मुआवजे पर हमलावर राठौड़

राठौड़ ने कहा कि 20वीं पशुगणना के अनुसार राजस्थान में 5.68 करोड़ पशुधन है जिसमें 1.39 करोड़ गौवंश है और पशुधन की दृष्टि से राजस्थान देश में दूसरे पायदान पर है जहां 2022 में लाखों गौवंश लंपी से लेकिन सरकार ने लंपी स्कीन डिजिज (एलएसडी) से 76 हजार गौवंश मृत माने और जब सहायता देने का मौका आया तो उसमें भी दुधारु गौवंश होने की शर्त जोड़ दी गई जिसके बाद बड़ी संख्या में पशुपालक पात्र होने के बावजूद अपात्र की श्रेणी में आ गए हैं.

उन्होंने कहाकि बजट 2023-24 में भी सरकार ने प्रदेश के सभी पशुपालकों के लिए यूनिवर्सल कवरेज करते हुए हर परिवार के लिए 2-2 दुधारू पशुओं का 40 हजार रुपये प्रति पशु बीमा करने के लिए 20 लाख पशुपालकों के लिए 750 करोड़ का मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के तहत प्रावधान किया है जिसकी पालना में सरकार महंगाई राहत कैंपों में 90 लाख से अधिक पशुपालकों का रजिस्ट्रेशन होने का दंभ भर रही है.

वहीं राठौड़ ने कहा कि सरकार ने अभी तक एक भी पशुपालक को पशुधन इंश्योरेंस बीमा का लाभ नहीं दिया है कि क्योंकि अभी तक तो सरकार बीमा कंपनी का चयन ही नहीं कर पाई है और पशुपालकों को भयंकर गर्मी में जबरन बुलाकर आंकड़ों की जादूगरी कर रही है. उन्होंने कहा कि अकेले चूरू में दिसंबर 2022 तक सिर्फ 45 पशुओं का बीमा करने पर पशुपालकों को मात्र 53 हजार 250 रुपये की राशि अनुदान के रूप में मिली हुई है जबकि जिले में 15 लाख से ज्यादा पशुधन है.

वहीं बजट 2019-20 में प्रत्येक पंचायत समिति पर नंदीशाला खोलने की घोषणा हुई लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि अब तक कितनी नंदीशालाएं खोली गई हैं?

किसान कर्जमाफी पर राठौड़ का हमला

वहीं किसान कर्जमाफी को लेकर गहलोत सरकार को घेरते हुए राठौड़ ने कहा कि राहुल गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले नवंबर 2018 में चुनावी जनसभाओं एवं जनघोषणा पत्र में सरकार बनने के 10 दिन में किसानों का संपूर्ण कर्जमाफ करने की घोषणा की थी जो आज तक पूरी नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित बैंकों व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के ऋणी किसानों का कर्जमाफ करने हेतु सुझाव देने के लिए 1 जनवरी 2019 को कैबिनेट मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी जिसकी दर्जनों बैठकों व दक्षिणी राज्यों के दौरे के बावजूद भी उस कमेटी की
रिपोर्ट का अभी तक अता पता ही नहीं है.

उन्होंने कहा कि 1 मार्च 2023 को विधानसभा में तारांकित प्रश्न के उत्तर में सरकार ने स्वयं स्वीकारा कि राज्य सरकार के ऋण माफी आदेश 19 दिसंबर 2018 के मुताबिक 30 नवंबर 2018 को राष्ट्रीयकृत बैंक, शेडयूल्ड बैंक और आरआरबी के ऋणी 3 लाख 49 हजार 257 कृषकों की एनपीए राशि 6 हजार 18 करोड़ 93 लाख रुपये थी जिनका 5 हजार 638 करोड़ 47 लाख रुपये का ऋण माफ होना था लेकिन आज तक उक्त बैंकों का कर्जा माफ नहीं हुआ है और इस राशि पर ब्याज व चक्रवृद्धि ब्याज लगने से यह अब 12 हजार करोड़ को पार कर गई है.

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