Jaipur Bomb Blast Case : जयपुर बम ब्लास्ट मामले पर सियासत गरमाई, BJP नेता ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना

जयपुर। साल 2008 में राजस्थान के जयपुर हुए सीरियल बम ब्लास्ट में सभी आरोपियों के बरी होने पर भाजपा ने एक बार फिर अशोक गहलोत…

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जयपुर। साल 2008 में राजस्थान के जयपुर हुए सीरियल बम ब्लास्ट में सभी आरोपियों के बरी होने पर भाजपा ने एक बार फिर अशोक गहलोत सरकार पर तीखा प्रहार किया। भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने सीएम गहलोत पर निशाना साधा। मीडिया से बात करते हुए पूर्व मंत्री और भाजपा नेता अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार की लापरवाही को लेकर पूरा जयपुर आहत हुआ है। उन्होंने जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपियों के बरी होने पर कहा, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल करें, सारे तथ्य जुटाते अपील करें। वरिष्ठ वकील इसमें सरकार की ओर से खड़े किए जाएं।

इस संघर्ष में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी आ सकते है। उन्होंने कहा, कांग्रेस सरकार ने बम ब्लास्ट के आरोपियों को बरी करने के लिए लाखों रुपए पैरवी के वकीलों को दिए गए। जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्टों में 71 लोग मारे गए। इस गंभीर मामले में एडवोकेट जनरल या सीनियर एडवोकेट था, उनका नुमाइंदा एक दिन भी उपस्थित नहीं हुआ। गहलोत सरकार ने सीरियल बम ब्लास्ट का मामला आज तक एनआईए को ट्रांसफर नहीं किया गया।

हिंदू आतंकवाद के नाम पर इंद्रेश कुमार, संघ नेताओं को फंसाने का काम किया जाता है। कांग्रेस सरकार तुष्टीकरण की राजनीति कर वोट बैंक की राजनीति के लिए फंसाने का काम कर रहे है। मुंबई में 26/11 को हुए बम धमाके में भाजपा सरकार ने स्पेशल पीपी नियुक्त किए और के आरोपी अफजल कसाब को सजा दिलवाई। उन्होंने कहा कि अब जयपुर में हुए बम ब्लास्ट के आरोपियों के बरी होने के मामले में कांग्रेस सरकार को जवाब देना चाहिए। एक मामले के कारण चारों जमानत पर बाहर नहीं निकल पाए, बाहर निकलकर जाने कहां जाएंगे ? क्या वारदात करेंगे किसी को पता नहीं?”

साल 2008 में जयपुर में हुए थे बम धमाके…

बता दें कि 13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत होने के साथ ही 185 लोग घायल हुए थे। बम ब्लास्ट मामले में सैर्फुरहमान, मोहम्मद सलमान, सरवर आजमी और सैफ को जयपुर जिला विशेष न्यायालय ने 20 दिसंबर, 2019 को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ चारों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने 29 मार्च को फांसी की सजा पलटते हुए चारों को पुख्ता सबूत नहीं होने पर बरी कर दिया।

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