भीलवाड़ा के बहरूपिया बाबा…जानिए कौन हैं जानकी लाल, जिन्हें मिला पद्मश्री अवॉर्ड

गणतंत्र दिवस के मौके पर राजस्थान के 4 लोगों को पद्मश्री अवॉर्ड मिला है। भीलवाड़ा के 81 साल के जानकी लाल बाबा को बहरूपिया बाबा कहा जाता है। उन्होंने अपनी 3 पीढ़ि की विरासत को आगे बढ़ाया है।

Bahrupiya Baba Padma Shri Award | Sach Bedhadak

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने राजस्थान के 4 लोगों को पद्मश्री अवॉर्ड देने की घोषणा की थी। इसमें भीलवाड़ा के बहरूपिया जानकी लाल है जो अपनी तीन पीढ़ी पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। 81 साल के जानकी लाल को बहरूपिया बाबा कहा जाता है और भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा है। इसके अलावा बीकानेर के तेजरासर गांव के रहने वाले दो भाईयों अली मोहम्मद और गनी मोहम्मद को पद्मश्री अवॉर्ड मिला है। इन दो भाईयों की गंजल संगीत और मांड गायकी को राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है।

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लक्ष्मण भट्ट तेलंग को भी पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया। 93 साल के सुविख्यात ध्रुवपदाचार्य पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग जिन्होंने अपने जीवन में ध्रुपद गायक की कला को दुनियाभर में एक खास पहचान दिलाई है। माया टंडन (85 वर्ष) जो जयपुर के जेकेलोन की पूर्व अधीक्षक रही हैं डॉ. माया टंडन सड़क सुरक्षा के लिए काम करती हैं। सहायता संस्थान की अध्यक्ष डॉ. माया टंडन रिटायर होने के बाद 1995 से रोड़ एक्सीडेंट में गायल होने वाले लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर रही हैं।

जानकी लाल को क्यों कहते हैं बहरूपिया बाबा?

भीलवाड़ा के जानकी लाल को बहरूपिया बाबा कहा जाता है। दरअसल, वह पिछले 6 दशक यानी करीब 60 से लुफ्त होती कला को जिंदा रखे हुए हैं। उन्होंने अपनी 3 पीढ़ियों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए पौराणिक कथाओं, लोककथाओं और पारंपरिक कहानियों के माध्यम से बहरूपिया कला को संभाल कर रखा है। 81 साल के जानकी लाल एक बहरूपिया कलाकार हैं।

जानकी लाल ने बहरूपिया विरासत को आगे बढ़ाया

जानकी लाल को बहरूपिया कला विरासत के रूप में मिला है। उनसे पहले उनकी तीन पीढ़िया इस काम को करती थी। उन्होंने इस कला को आगे बढ़ाया। बहरूपिया कला में जटिल रूप से पौराणिक कथाओं, लोक कथाएं और पारंपरिक कहानियों से अनेक पात्र बनाए जाते हैं। राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में इस स्थानीय कला को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

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