पैरेंट्स की महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ते नौनिहाल, कोटा में 5 साल में 54 कोचिंग विद्यार्थियों ने किया सुसाइड

कोटा। नीट की तैयारी कर रही राशि जैन (19) ने मंगलवार को सुसाइड कर लिया। वह सागर (एमपी) की रहने वाली थी। घटना मंगलवार सवेरे…

54 coaching students committed suicide in Kota in 5 years

कोटा। नीट की तैयारी कर रही राशि जैन (19) ने मंगलवार को सुसाइड कर लिया। वह सागर (एमपी) की रहने वाली थी। घटना मंगलवार सवेरे करीब 3 बजे की है। पुलिस ने बताया कि राशि मानसिक तनाव में थी। 7 मई को उसका नीट यूजी का एग्जाम था। बीमारी के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। शिक्षा नगरी में राशि का यह ऐसा पहला मामला नहीं है। पिछले पांच साल में रिकॉर्डेड 54 कोचिंग विद्यार्थियों ने मौत को गले लगाया है। 

हर साल कोटा के कोचिंग में रहकर करीब दो लाख विद्यार्थी आईआईटी, पीएमटी, इंजीनियर एवं मेडिकल की तैयारी करते है। कोचिंग सेन्टर्स पर विद्यार्थियों में तनाव करने मानसिक संबल और सुरक्षा देने के लिए गहलोत और वसुंधरा सरकार दोनों की तरफ से गाइड लाइन जारी की गई, लेकिन यह बेअसर साबित हो रही है। कोचिंग संस्थाओं पर नियंत्रण के लिए राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट नियंत्रण और संचालन बिल 2023 लाने की तैयारी है, लेकिन इस में देरी समझ से परे है। उच्च शिक्षा विभाग के अधीन नियामक प्राधिकरण के गठन का कार्य प्रक्रियाधीन है।

सबसे ज्यादा मामले एलन कोचिंग से जुड़े 

कोटा शहर में तैयारी कराने वाली मुख्यत: नौ कोचिंग संस्थान एलन, रेजोनेन्स, करियरपॉइंट, वाइब्रेंट, बंसल, मोशन, आकाश, फिजिक्स वाला और अनएकेडमी प्रमुख हैं। इनमें सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले एलन कोचिंग के विद्यार्थियों के हैं। आंकड़ों के अनुसार 2020 से 22 तक एलन कोचिंग के 16 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। यह पुलिस में दर्ज आंकड़े हैं। सरकार की गाइड लाइन की पालना नहीं किए जाने के कारण भी आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।

कोचिंग संस्थानों पर कोई मामला दर्ज नहीं 

पुलिस की जांच में विद्यार्थियों की आत्महत्या और कोचिंग संस्थान की कार्यशैली को लेकर हर एफआईआर में क्लीन चिट दी जाती है। विधायक भरत सिंह की तरफ से उठाए गए सवालों के बाद कोटा प्रशासन की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग की तरफ से कहा गया है कि आत्महत्याओं में किसी भी सुसाइड नोट एवं दर्ज मामलों के अनुसंधान में किसी भी कोचिंग संस्थान का दुष्प्रेरण सामने नहीं आया है। ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है, जिसमें यह प्रमाणित होता हो कि कोचिंग संस्थान द्वारा छात्रों को दुष्प्रेरित किया गया हो। 

आत्मविश्वास की कमी भी कारण 

आत्महत्या के प्रमुख कारण कोचिंग सेंटर में होने वाले टेस्ट में छात्रों के पिछड़ जाने के कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी उत्पन्न होना है। इसके अलावा माता-पिता की छात्रों से उच्च महत्वाकांक्षा भी इन आत्महत्याओं के पीछे अहम कारण माना जा रहा है। 

प्रतिस्पर्धा ज्यादा हो गई है। विद्यार्थी सक्षम और बुद्धिमान हैं, लेकिन सफलता पाने की होड़ तनाव को बढ़ा देती है। अन्य एक्टिविटी बंद हो जाती है। घर से दूर रहते हैं। तनाव में माता-पिता का भावनात्मक सपोर्ट नहीं मिल पाता है। कोचिंग संस्थानों को विद्यार्थी के तनाव के पहलू पर ध्यान देना चाहिए और उनसे हर सप्ताह संवाद कर उनसे बात करनी चाहिए- डॉ अखिलेश जैन, मनोचिकित्सक, ईएसआई जयपुर

स्टूडेंट का अपने घर को छोड़ कोटा जाते ही पहले दिन से एनवायरमेंट बदल जाता हैं। कोचिंग संस्थान उन्हें 2 साल तक परिवार, दोस्त, समाज और सामजिक गतिविधियों से दूर रहने को कहते हैं, जिससे उनकी एक्टिविटी बंद हो जाती है। वह ऐसे लोगों से दूर हो जाते हैं, जिनसे वह अपनी बात शेयर कर सकते हैं। दिमाग में सिर्फ पढ़ाई टार्गेट होता है। इसलिए वह नींद, भूख से कॉम्प्रोमाइज करते हैं, इससे याददाश्त क्षमता कम होना, चिड़चिड़ापन और किसी से बात शेयर नहीं करने के कारण वह अकेलेपन में गलत कदम उठाते हैं- डॉ मनीषा गौर, मनोवैज्ञानिक

(Also Read- अज्ञात वाहन ने बाइक को मारी टक्कर, हादसे में युवक की दर्दनाक मौत)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *