6 हजार बच्चियों को सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग…50 हजार बच्चों को सिखाया हाथ धोना, राजस्थान की इन दो टीचर को मिलेगा राष्ट्रीय पुरस्कार

जोधपुर की शीला आसोपा और अलवर राजगढ़ की टीचर आशा सुमन को देश के चुनिंदा 50 टीचर्स के साथ सम्मानित किया जाएगा.

sb 2 29 1 | Sach Bedhadak

Teachers Day 2023: देश आज टीचर्स डे मना रहा है जहां हर कोई अपने गुरुओं के सिखाए ज्ञान को लेकर उनका आभार जता रहा है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड-2023 के लिए देश भर से चुने जाने वाले टीचर्स में से राजस्थान की दो टीचर्स को चुना गया है जिनको दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करेंगी.

जानकारी के मुताबिक जोधपुर राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल, श्याम सदन की प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा और अलवर राजगढ़ के राजकीय प्राथमिक विद्यालय, खरखड़ा की टीचर आशा सुमन को देश के चुनिंदा 50 टीचर्स के साथ सम्मानित किया जाएगा.

इन दोनों ही टीचर्स का सफर काफी प्रेरणादायक रहा है जहां आशा सुमन मूक-बधिर बच्चियों को सेल्फ डिफेंस सिखाती है वहीं जोधपुर की शीला आसोपा के नाम 50 हजार स्टूडेंट्स को हाथ धोने का सही तरीका सिखाने का एक अनोखा वर्ल्ड रिकॉर्ड

मूक-बधिरों को देती है सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आशा सुमन 2005 से बच्चों को स्कूल में पढ़ाती है लेकिन 2014 में राजगढ़ के खरखड़ा गांव के सरकारी स्कूल के पास एक मूक-बधिर लड़की से खेत में रेप होने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई और वह उस घटना से इतनी व्यथित हुई कि उन्होंने तय कर लिया कि अब से वह मूक-बधिर बेटियों को आत्मरक्षा सिखाएंगी जिससे बच्चियां ऐसी घटनाओं से बच सकें.

आशा ने बच्चियों को सिखाने से पहले राजस्थान पुलिस अकादमी (जयपुर) और शिक्षा विभाग से खुद पहले ट्रेनिंग ली और 2015 से उन्होंने मूक-बधिर लड़कियों और स्कूली छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना शुरू किया. बताया जाता है कि वह अब तक 190 मूक बधिर लड़कियों, 6 हजार स्कूली छात्राओं को सेल्फ डिफेंस सिखा चुकी है.

बता दें कि टीचर आशा सुमन को अभी तक जिला और राज्य स्तर पर कई पुरस्कार से नवाजा गया है. वहीं राजस्थान के लिए किताबों में सिलेबस और ई-सामग्री विकसित करने में आशा ने काफी काम किया है.

हाथ धोना सिखाने का बना दिया वर्ल्ड रिकॉर्ड

वहीं जोधपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल, बावड़ी की प्रिंसिपल डॉ. शीला आसोपा ने कोरोना में हाथ धोने की बात को एक मिशन के तौर पर लिया और अपने स्कूल में कोरोना के बाद हाथ धोने के अभियान को जारी रखा और बच्चों को हर दिन हाथ धोने के तरीके सिखाए अब तक 50 हजार से ज्यादा बच्चों को हाथ धोना और इसकी अहमियत को समझा चुकी है. वहीं आसोपा ने बच्चों को जल और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी एकजुट किया और कई स्कूलों में जाकर सेमिनार भी किए हैं.

वहीं आसोपा ने बच्चों के साथ मिलकर कई जल स्रोतों की सफाई भी की जहां वह खुद फावड़ा और परात उठाकर बच्चों के साथ काम पर लग जाती है. इसके अलावा स्कूल के लेवल पर डॉ. शीला ने कई जल प्रेरक अवॉर्ड देना शुरू किया जिसके बाद बच्चे इन गतिविधियों में काफी रूचि लेते हैं.

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