पोस्टर नहीं जनता के दिलों में वसुंधरा…दिल के जरिए सत्ता पर काबिज होने का रास्ता खोज रही है भाजपा ?

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाजपा के लिए कितनी अहमियत रखती हैं, यह तो सर्वविदित है और वो खुद पार्टी के लिए कितनी अहम…

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राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भाजपा के लिए कितनी अहमियत रखती हैं, यह तो सर्वविदित है और वो खुद पार्टी के लिए कितनी अहम हैं इसकी याद वो खुद ही पार्टी को दिलाया करती हैं। दरअसल कल अजमेर के ब्यावर में वसुंधरा राजे से साफ -साफ कह दिया कि उन्हें उनके पोस्टर छपने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे जनता के दिलों में रहती हैं और जो दिल में रहते हैं उनके पोस्टरों की जरूरत नहीं पड़ती। अब वसुंधरा के बयान से यह तो साफ नजर आ रहा है कि उनके ये शब्द किस तरफ इशारा कर रहे हैं।

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अब पोस्टर पॉलिटिक्स नहीं…पार्टी का एजेंडा अहम

प्रदेश की राजनीति में इस समय पोस्टर पॉलिटिक्स की हवा चल रही है। दरअसल भाजपा के पोस्टरों में कुछ दिनों से वसुंधरा राजे गायब थीं लेकिन जेपी नड्डा के दौरे से ठीक पहले अचानक पार्टी के पोस्टर में फिर से उनकी एंट्री हो गई। कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अब तक वसुंधरा को कथित तौर पर साइड करने की तकनीक से खुद भाजपा को ही नुकसान पहुंच रहा है, सरदारशहर चुनाव में भाजपा की हार इसका ताजा उदाहरण है। इसलिए पार्टी अब कोई भी रिस्क नहीं उठाना चाहती। क्योंकि कुछ ही दिनों बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पार्टी लग जाएगी और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से यह सख्त संदेश है कि पार्टी को गुटबाजी से दूर रहना होगा, अपने पर्सनल एजेंडे को किनारे रखकर पार्टी के एजेंडे को साथ रखकर चलना होगा।

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कटारिया के विदाई समारोह में दिखी गजब की केमेस्ट्री

लेकिन गौर करें तो देखेंगे कि पार्टी पर इस बात का असर शायद होने लगा है। दरअसल कल गुलाबचंद कटारिया के विदाई समारोह में वसुंधरा राजे ने अपने घर पर एक समारोह का आयोजन किया था, जिसमें प्रदेश के लगभग सभी कद्दावर भाजपा नेता मौजूद थे। इसमें प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी मौजूद थे। इस पार्टी में वसुंधरा राजे की इन नेताओं के साथ केमेस्ट्री देखने लायक थी। अब कुछ नेता और राजनीतिक विशेषज्ञ भले ही इसे बेद केजुएल गैदरिंग मान रहे हों लेकिन भाजपा की मौजूदा सियासत को देखें तो ये तस्वीरें पार्टी के अंदरखेमें की बहुत कुछ  बातें कह जाती हैं। रही कसी कसर अजमेर के ब्यावर में वसुंधरा के दौर ने पूरी कर दी। यहां पर वसुंधरा राजे के स्वागत के लिए आई भीड़ को देखकर साफ लगता है कि वसुंधरा पोस्टर में जनता के दिलों में रहती हैं।

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वसुंधरा की सियासत के समीकरण

प्रदेश के 8 जिलों में 25 आदिवासी सीटें हैं इन जिलों में बांसवड़ा भी आता है अभी इन सीटों में 13 कांग्रेस के पास है और 8 भाजपा के पास है। भाजपा इस अंतर को कम करने की जुगत में है।  क्यों कि इन 8 जिलों में आदिवासी जनसंख्या का आंकड़ा कुल जनसंख्या का 70.42 प्रतिशत है। इसलिए यह वर्ग दोनों ही पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन वसुंधरा राजे को किनारे कर शायद ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सके। क्योंकि इन सीटों वाले क्षेत्रों का वसुंधरा राजे का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है। इसलिए अगर प्रदेश भाजपा वसुंधरा राजे को किनारे कर इन सीटों पर जीत हासिल करने के सपने देख रही है तो शायद ही यह सपना पूरा हो सके।

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जो नेता प्रतिपक्ष वो सीएम फेस ?

अब वसुंधरा की अहमियत को पार्टी कितना समझती है, इसका पता तो विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के चुनाव में लग जाएगा। गुलाबचंद कटारिया के इस पद से इस्तीफा  देने के बाद अब इस पद को भरने की पार्टी में जद्दोजहद देखी जा सकती है। पिछले दिनों भाजपा विधायक दल की बैठक भी इसी मुद्दे को लेकर हुई थी, जिसमें वसुंधरा समेत पूनिया और राजेंद्र राठौड़ भी मौजूद थे। हालांकि इस बैठक को कोई नतीजा अभी निकलकर सामने नहीं आया है। राजनीतिज्ञों का कहना है कि भाजपा वसुंधरा को नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए आगे कर सकती है, जो विधानसभा चुनाव देखते हुए उसकी जरूरत भी है। अगर वसुंधरा राजे नेता प्रतिपक्ष बनती हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनका फेस ही राजस्थान चुनाव के लिए भाजपा की सीएम उम्मीदवार होगा।

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