यूनिफॉर्म की सिलाई में अभिभावक खुद भी सहयोग करें, अगले साल से सिली हुई ड्रेस देने की होगी कोशिश- सीएम गहलोत

बाल गोपाल योजना के शुभारंभ पर सीएम गहलोत ने बाल गोपाल याजना का लोगो भी लॉन्च किया। इसके साथ ही कक्षा 1 से 8 वीं…

image 27 3 | Sach Bedhadak

बाल गोपाल योजना के शुभारंभ पर सीएम गहलोत ने बाल गोपाल याजना का लोगो भी लॉन्च किया। इसके साथ ही कक्षा 1 से 8 वीं तक के बच्चों को यूनिफॉर्म वितरण भी किए। सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि ये दोनों ही योजनाएं बेहद अहम है, बच्चों और परिजनों को भी इसका महत्व समझना है, प्रदेश की सभी सरकारी स्कूलों में अब एक जैसी ड्रेस होगी। कहीं भी अलग-अलग ड्रेस को मान्यता नहीं दी जाएगी। इससे सभी तरह का भेदभाव खत्म होगा। स्कूलों में संस्कार, संस्कृति और परंपरा अच्छी होनी चाहिए।

यूनिफॉर्म की सिलाई में अभिभावक भी दें सहयोग

सीएम ने कहा कि निजी स्कूलों में अलग ही नजारा दिखता है। वो न जाने क्या-क्या परंपराएं चला रहे हैं। सीएम गहलोत ने सिलाई के कम पड़ रहे पैसों पर भी कहा कि यूनिफॉर्म के कपड़ों के साथ सिलाई के 200 रुपए सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं। लेकिन अभिभावकों का कहना है कि 200 रुपए में सिलाई नहीं होती है तो मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे में कुछ सहयोग परिजनों को भी करनी चाहिए। टेलर से भी इस बारे में बात की जा सकती, अध्यापकों को भी इसमें भूमिका निभानी चाहिए। मैं बता देना चाहता हूं कि अगली बार सिली हुई ड्रेस देने की सरकार की योजना है।

स्वास्थ्य पर दें ध्यान, पोस्ट कोविड में आ रही हैं समस्याएं

सीएम ने कहा कि पोस्ट कोविड में काफी समस्याएं आती हैं। इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। कई नौजवान तो मारे जाते हैं, वे लोग पोस्ट कोविड के कारण मारे जा रहे हैं। मैं खुद उसका अनुभव कर चुका हूं। इसलिए आपको बता रहा हूं। विभाग ने आज अच्छे नवाचार किए हैं। ये बाल गोपाल योजना स्वास्थ्य के लिए बेहद अहम हैं। अभी 4 महीने ये योजना ट्रायल पर रहेगी। इसके बाद जब बच्चों की गर्मी की छुट्टियां होंगी तब इसके बाद इसमें बदलाव किया जाएगा। यानी दो दिन की जगह 3 दिन 4 दिन दूध का वितरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दूध को अपने आप में संपूर्ण आहार माना जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को यूनिफॉर्म के सेट उपलब्ध होंगे। बच्चों और उनके अभिभावकों को इससे काफी सहूलियत मिली है। यूनिफॉर्म से करीब 67 लाख बच्चों को फायदा मिलेगा। कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को ये यूनिफॉर्म दी गई है।

70 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को मिलेगा दूध और यूनिफॉर्म

निजी स्कूलों में अलग ही नजारा दिखता है। सीएम गहलोत ने सिलाई के कम पड़ रहे पैसों  पर भी  कहा कि यूनिफॉर्म के कपड़ों के साथ सिलाई के 200 रुपए सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं, अभिभावकों का कहना है कि 200 रुपए में सिलाई नहीं होती है तो मैं कहना चाहता हूं कि ऐसे में कुछ सहयोग परिजनों को भी करनी चाहिए। टेलर से भी इस बारे में बात की जा सकती, अध्यापकों को भी इसमें भूमिका निभानी चाहिए। मैं बता देना चाहता हूं कि अगली बार सिली हुई ड्रेस देने की सरकार की योजना है। इन योजनाओं से 70 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को मिलेगा दूध और यूनिफॉर्म मिलेगा, जिससे हमारे विजन को बल मिलेगा।

सरकारी योजनाएं निभा रही हैं बड़ी भूमिका

सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य को बहुत महत्व दे रही है। चिरंजीवी योजना पूरे देश में अपनी तरह की एक मात्र योजना है। जो कि देश के किसी राज्य में तो क्या किसी भी देश में नहीं है। राजस्थान ने यह मॉडल शुरू की। समाज में परिवर्तन में अध्यापकों की अहम भूमिका होती, ऐसी में सरकारी योजनाओं का लागू करने में ये भूमिका निभा सकते हैं। सीएम ने कहा कि राजस्थान पूरी तरह से शिक्षित होना चाहिए। 22 साल पहले जब मैं सीएम था, तब एजुकेशन कार्यक्रम चलाया था, पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ’ ये नारा दिया था।

नो बैग डे की शुरुआत

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि कहा कि सरकार ने नो बैग डे शुरू किया है। यह डे सह-शैक्षणिक गतिविधियों के लिए है, इसका मतलब यह नहीं है कि उस दिन कुछ भी न हो, कहीं ‘नो बैग डे’ के दिन छुट्टी न मना लें। इस दिन सिर्फ बच्चों को बैग नहीं लाना है पढ़ाई प्रायोगिक तरीके से होगी। सरकार लगातार युवाओं को नौकरियां दे रही है। गुजरात में हालात बहुत खराब हैं।

खाद्यान्न को लेकर सीएम गहलोत ने कहा कि पहले हम अमेरिका से गेहूं की भीख मांगते थे, लेकिन अब देश आत्मनिर्भर बन गया है। राजस्थान में ही गेहूं की पैदावार इतनी है कि बाहर इसका निर्यात भी किया जा रहा है। शिक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि राजस्थान अब शिक्षा का हब बन रहा है। पहले बच्चे दूसरे राज्यों में पढ़ने के लिए जाते थे। लेकिन अब प्रमुख संस्थाएं राजस्थान में ही है, यहां के छात्र-छात्राओं को बाहर जाने की जरूरत ही नहीं है।

( इनपुट- श्रवण भाटी)

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