सीएम गहलोत ने NGO और समाजसेवियों के साथ की प्री-बजट पर चर्चा, सीएम के सामने रखे गए ये सुझाव

अगले साल गहलोत सरकार अपना अंतरिम बजट लेकर आएगी, इसके लिए सरकार ने अभी से विचार-विमर्श और बजट के लिए सलाह लेनी शुरू कर दी…

सीएम गहलोत ने NGO और समाजसेवियों के साथ की प्री-बजट पर चर्चा, सीएम के सामने रखे गए ये सुझाव

अगले साल गहलोत सरकार अपना अंतरिम बजट लेकर आएगी, इसके लिए सरकार ने अभी से विचार-विमर्श और बजट के लिए सलाह लेनी शुरू कर दी है। नवंबर महीने में सीएम अशोक गहलोत ने पहली प्री-बजट बैठक ली। सचिवालय में आयोजित इस बैठक में स्वयंसेवी संगठनों, सिविल सोसायटी तथा उपभोक्ता फोरम के प्रतिनिधियों के साथ बजट सीएम ने चर्चा की। 

अशोक गहलोत ने तहा कि राज्य सरकार की महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के साथ-साथ पारदर्शी, संवेदनशील एवं जवाबदेह सुशासन में स्वयंसेवी संगठनों एवं सिविल सोसायटी की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। आप लोगों के बजट के लिए दिए गए इन सुझावों को बजट में जगह देने की पूरी कोशिश की जाएगी। गहलोत ने कहा कि वे ऐसा बजट लाने का प्रयास करेंगे जो प्रदेश के विकास को गति देने वाला हो। राज्य सरकार इस बार का बजट युवाओं एवं छात्रों की भावना के अनुरूप तैयार करने जा रही है।

12 घंटे में आए 21 हजार सुझाव

सीएम ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने हमेशा सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कार्यों में प्रगतिशील सोच के साथ फैसले लिये हैं। प्रदेश में जनकल्याणकारी योजनाओं के लागू होने के चलते ही गरीब एवं वंचित वर्ग का जीवन स्तर ऊपर उठा है। इस जनकल्याणकारी बजट तैयार करने में NGO और सिविल सोसायटी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है ताकि हर वर्ग तक बजट का लाभ वास्तविक रूप में पहुंच सके।

बता दें कि NGO, सिविल सोसायटी और उपभोक्ता फोरम के प्रतिनिधियों के साथ हुई चर्चा के दौरान कई सुझाव सीएम को दिए गए। सीएमगहलोत पहले भी कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वे बजट को लेकर जनता के ही सुझाव जानना चाहते हैं क्योंकि इससे उन्हें बजट बनाने में आसानी होगी वे उन चीजों को बजट में जोड़ पाएंगे जिनकी जनता को वास्तव में जरूरत है।   सीएम ने कहा कि सामाजिक संगठनों ने पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, खाद्य सुरक्षा, रोजगार, पोषण, पारदर्शिता, कचरा प्रबंधन, सड़क सुरक्षा, नशा मुक्ति, उपभोक्ता हितों के संरक्षण, लैंगिक एवं सामाजिक समानता जैसे बुनियादी मुद्दों पर फीडबैक दिया है। पिछले 12 घंटों में प्रदेश की जनता से लगभग 21 हजार सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।

सीएम की साथ इस चर्चा ने तमाम NGO के प्रतिनिधियों ने कोरोना के बेहतरीन प्रबंधन के लिए राज्य सरकार की खुलकर तारीफ की। राजस्थान सरकार के प्रबंधन की देश-विदेश में सराहना हुई है। इससे पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज अभय कुमार ने बैठक की शुरूआत में सभी का स्वागत किया। प्रतिभागियों से प्राप्त सुझावों पर गंभीरता से विचार कर उन्हें आगामी बजट में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।

ये सुझाव किए गए पेश

जिन सुझावों को बैठक में पेश किया गया उनमें सड़क दुर्घटना पीड़ितों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने और उनकी जीवन रक्षा के लिए प्रावधान, मूक-बधिर बच्चों की शिक्षा को प्रोत्साहन, व्यवसायिक प्रशिक्षण का प्रबंध, दिव्यांग बच्चों के लिए विश्वविद्यालय, घुमंतू जातियों को राज्य सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ देने के लिए उनका आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण तथा स्थाई आवास का प्रबंध, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए उचित काउंसलिंग की उपलब्धता, जवाबदेही कानून, स्कूली शिक्षा में ही बच्चों को कानून की पढ़ाई से जोड़ने, महिलाओं से जुड़े स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन देने, प्रशासन शहरों के संग व प्रशासन गांवों के संग अभियानों में जनसंगठन की भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल हैं। 

बता दें कि इस बैठक में मुख्य सचिव उषा शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, उद्योग मंत्री शकुन्तला रावत, पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा, जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया सहित मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोड़ा, मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. गोविन्द शर्मा सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, प्रदेशभर से आए स्वयंसेवी संगठनों, सिविल सोसायटी एवं उपभोक्ता फोरम के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

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