Sakshi Malik ने किया कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान, इस वजह से उठाया ये बड़ा कदम, यहां जानें पूरी डिटेल्स

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) का चुनाव खत्म होने के बाद महिला पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने बड़ा घोषणा की है। उन्होंने कहा है…

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रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) का चुनाव खत्म होने के बाद महिला पहलवान साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने बड़ा घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि मैं कुश्ती से संन्यास ले रही हूं। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चुनाव में बृजभूषण जैस ही जीते। वहीं रेसलर साक्षी भावुक हो गई और कहा मैं कुश्ती से संन्यास ले रही हूं। वहीं, रेसलर बजरंग पूनिया ने कहा कि खेलमंत्री ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि बृजभूषण शरण सिंह से संबंधित फेडरेशन में कोई नहीं आएगा। मगर मुझे नहीं लगता है कि देश का सिर गर्व से ऊंचा करने वाली बेटियों को न्याय मिलेगा। आज के चुनाव में बृजभूषण के आदमी की जीत हुई है। आज के चुनाव में बृजभूषण के साथी की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है कि वो न्याय करेंगे। लेकिन इसके साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि पीढ़ियां न्याय के लिए लड़ती रहेंगी। सरकार अपना वादा पूरा करने में असफल रही है।

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संजय सिंह बने भारतीय कुश्ती संघ के नए अध्यक्ष
बता दें कि इससे पहले बृजभूषण शरण सिंह ने भी दावा किया था कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ही बनेंगे। संजय सिंह सबसे पहले 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के जिला अध्यक्ष बने थे। उसके बाद जब उत्तर प्रदेश में साल 2009 में कुश्ती संघ बना तो बृजभूषण शरण सिंह प्रदेश अध्यक्ष बने थे और संजय सिंह उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी।

साक्षी मलिक

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक प्रतिभा की धनी हैं। रियो 2016 ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनने के अलावा, उन्होंने धारणाओं को बदल दिया और महिला पहलवानों की आने वाली पीढ़ियों की आदर्श बन गईं। ओलंपिक में जीता गया कांस्य पदक, उनकी अनगिनत उपलब्धियो में से एक है। जिसने कुश्ती में उनके प्रभावशाली करियर को परिभाषित किया। साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ था। अपने दादा सुबीर मलिक जो ख़ुद भी एक पहलवान थे, उन्हें देखने के बाद और उनसे प्रेरित होकर साक्षी मलिक ने रेसलिंग में आने का इरादा किया।

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केवल 12 साल की उम्र में, उन्होंने ईश्वर दहिया के अंदर प्रशिक्षण शुरू किया और पांच साल बाद, उन्होंने 2009 के एशियाई जूनियर विश्व चैंपियनशिप के फ़्रीस्टाइल में 59 किग्रा भारवर्ग में रजत पदक जीतते हुए सफलता का पहला स्वाद चखा। इसके बाद 2010 विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता।

2013 के कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य जीतने के बाद, साक्षी मलिक ने ग्लासगो में अगले वर्ष अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स खेला और 58 किलोग्राम के फाइनल में नाइजीरिया की अमीनत अदेनियी के खिलाफ हार झेलते हुए रजत पदक से संतोष किया। इसके बाद उन्होंने 2018 में 62 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक के साथ अपना दूसरा और अंतिम राष्ट्रमंडल खेल पदक जीता।