Rajasthan Election 2023: इन 11 सीटों पर भाजपा के पूर्व मंत्रियों की साख दांव पर, कई जगह त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी सीट

विधानसभा चुनाव में आज प्रचार का अंतिम दिन है। इस चुनाव में भाजपा के 14 पूर्व मंत्रियों ने नामांकन भरा, लेकिन करणपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की मृत्यु के कारण वहां चुनाव बाद में होगे।

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Rajasthan Election 2023: विधानसभा चुनाव में आज प्रचार का अंतिम दिन है। इस चुनाव में भाजपा के 14 पूर्व मंत्रियों ने नामांकन भरा, लेकिन करणपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी की मृत्यु के कारण वहां चुनाव बाद में होगे। 199 सीटों में से भाजपा के 13 पूर्व मंत्री मैदान में हैं। इनमें चार प्रत्याशी कुछ सुकून में दिख रहे हैं, जबिक 9 के पसीने छूट रहे हैं। मौजूदा स्थिति में 9 प्रत्याशियों के बीच टक्कर है और 4 प्रत्याशी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे नजर आ रहे हैं। पढ़िए पूरी खबर…

बाली में पूर्व मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राणावत

वसुंधरा सरकार में राज्य मंत्री रहे पुष्पेंद्र सिंह राणावत छठी बार बाली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां राणावत का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ से है। 1993 से लगातार बीजेपी जीतती आ रही है, जिसमें पुष्पेंद्र सिंह पांच बार विधायक बने।

निम्बाहेड़ा पूर्व मंत्री श्रीचंद कृपलानी

कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे उदयलाल आंजना और बीजेपी सरकार में यूडीएच मंत्री रहे श्रीचंद कृपलानी के बीच यहां पर कड़ी टक्कर है। मंत्री रहते हुए आंजना क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के आधार पर वोट मांग रहे हैं, वहीं कृपलानी भी सनातन और हिंदुत्व के आधार पर आगे बढ़ रहे हैं।

सिरोही पूर्व मंत्री ओटाराम देवासी

कांग्रेस को संयम लोढ़ा पर भरोसा है और बीजेपी आदिवासी राष्ट्रवाद के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पिछली बार संयम ने निर्दलीय जीत हासिल की थी। संत ओटाराम देवासी के कई अनुयायी हैं, उनके समर्थक इसका फायदा भी उठा रहे हैं। यहां बीजेपी का एक बागी भी खड़ा है, लेकिन ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ रहा है। ऐसे में यहां से सीधा मुकाबला देवासी और लोढ़ा के बीच है।

लोहावट गजेंद्र सिंह खींवसर

यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला है। कांग्रेस ने विधायक किसनाराम विश्नोई पर फिर भरोसा जताया है। हालांकि, आरएलपी प्रत्याशी सत्यनारायण विश्नोत इन दोनों पार्टियों के बीच खड़े हैं. जब उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आरएलपी का दामन थाम लिया। वहीं, खींवसर भी पिछली हार का जख्म मिटाने के लिए विश्नोर्थ और एससी-एसटी वर्ग के मतदाताओं को लुभा रही है।

बहरोड़ में पूर्व मंत्री जसवंत यादव

अलवर जिले की बहरोड़ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले देखने को मिल रहा है। यहां से बीजेपी ने पूर्व मंत्री जसवंत यादव, कांग्रेस के संजय यादव और राष्ट्रीय जनता सेना के बलजीत यादव के बीच कड़ी टक्कर है। यहां पर मौजूदा विधायक बलजीत कड़ी टक्कर दे रहे हैं और वह अपनी भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, क्षेत्र में पकड़ और मंत्री रहने के बावजूद भी जसवन्त यादव विकास कार्यों को गिना रहे हैं।

थानागाजी में पूर्व मंत्री हेमसिंह भड़ाना

बीजेपी प्रत्याशी भड़ाना और कांग्रेस प्रत्याशी कांति मीना के बीच कड़ी टक्कर है। इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां भाजपा के बागी रोहिताश घांघल और भूपेश राजावत भाजपा प्रत्याशी को कुछ नुकसान पहुंचा रहे हैं। भड़ाना का फोकस ब्राह्मण, वैश्य वोटों पर ज्यादा है, क्योंकि आप पार्टी से खड़े कैलाश मीणा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं। इसीलिए बीजेपी का फोकस दूसरी जातियों के वोटों पर है।

तारानगर से राजेंद्र सिंह राठौड़

चर्चित सीटों में से एक तारानगर में बीजेपी के राजेंद्र राठौड़ और कांग्रेस के नरेंद्र बुडानिया के बीच कड़ा मुकाबला है। बुडानिया ने राहुल गांधी की सभा आयोजित कर खुद को मजबूत करने की कोशिश की, इससे राठौड़ की चिंता बढ़ गई और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर पैनिक अटैक शुरू कर दिया. मोदी से मुलाकात के बाद राठौड़ ने सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश की है, लेकिन लड़ाई खत्म नहीं हुई है। बुडानिया मौजूदा विधायक हैं और सत्ता पक्ष के काम भी गिना रहे हैं। राठौड़ अपने प्रभाव से आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं।

सरदारशहर से राजकुमार रिणवा

सरदारशहर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ कही जाती है। पिछली बीजेपी सरकार में मंत्री रहे राजकुमार रिणवा त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए हैं। यहां कांग्रेस के अनिल शर्मा और निर्दलीय राजकरण चौधरी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। राजकरण चौधरी वर्तमान में कांग्रेस से सरदारशहर नगर पालिका के चेयरमैन हैं। आरएलपी के आधिकारिक उम्मीदवार लालचंद मुंड ने अपना नामांकन वापस ले लिया और निर्दलीय उम्मीदवार राजकरण चौधरी को अपना समर्थन दिया है।

डेगाना से अजय सिंह किलक

इस सीट पर 2018 में कांग्रेस को जीत मिली थी। फिर इस सीट पर जीत कायम रखने के लिए प्रत्याशी विजयपाल मिर्धा को जोर लगाना पड़ रहा है। जातिगत वोटरों को साधने के लिए लगातार गुप्त मीटिंग कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी अजय सिंह किलक अपने पिछले कार्यकाल काम के सहारे आगे बढ़ रहे हैं, लोगों की सहानुभूति लेने की प्लानिंग पर काम हो रहा है। यहां आरएलपी लक्ष्मण सिंह ने भी अपना उम्मीदवार खङा किया है, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान पहुंचाएगा। इससे भाजपा-कांग्रेस के बीच टक्कर की स्थिति बनी हुई है।

अजमेर उत्तर से वासुदेव देवनानी

भाजपा प्रत्याशी पूर्व शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे हुए हैं। वर्तमान में भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी ज्ञानचंद सारस्वत रैलियों के माध्यम से माहौल बना रहे हैं। सारस्वत तीन बार से लगातार नगर निगम में पार्षद हैं। इससे भाजपा के मतों का विभाजन होने की आशंका है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह रलावता चुनाव मैदान में है।

अजमेर दक्षिण अनिता भदेल

पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल का सीधा मुकाबला कांग्रेस की द्रौपदी कोली से है। कांग्रेस प्रत्याशी नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष है। सादगी व स्वच्छ छवि को लेकर सहानुभूति है। जानकारों की माने तो कांग्रेस में भीतरघात अधिक है। भीतरघात की आशंका भाजपा में भी जताई जा रही है। लेकिन संगठन के बूते भाजपा फिलहाल मजबूत नजर आ रही है।