Rajasthan Election 2023 : मीणा जाति को ST में शामिल करने की शर्त पर छुट्टन ने लिया था नाम वापस

Rajasthan Election 2023 : राजस्थान के दौसा संसदीय क्षेत्र से प्रथम उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बाबू राजबहादुर की जीत सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

Captain Chuttan Lal Meena | Sach Bedhadak

Rajasthan Election 2023 : राजस्थान के दौसा संसदीय क्षेत्र से प्रथम उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बाबू राजबहादुर की जीत सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसमें चौधरी कुम्भाराम आर्य सहित भरतपुर के राजनेता नत्थीसिंह और भीमसिंह का विशेष योगदान रहा। इस कहानी की शुरुआत वर्ष 1952 के प्रथम आम चुनाव में भरतपुर लोकसभा क्षेत्र से पूर्व राजपरिवार के निर्दलीय प्रत्याशी गिरिराज शरण सिंह उर्फ राजा बच्चूसिंह के मुकाबले कांग्रेस के राजबहादुर की पराजय से हुई।

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू संविधान सभा के सदस्य रहे राजबहादुर को लोकसभा में लाने के इच्छुक थे। इसके लिए सीट की तलाश हुई तो पता चला कि कांग्रेस नेता रामकरण जोशी लोकस‌भा एवं विधानस‌भा चुनाव जीत चुके हैं। तब उनसे लोकसभा सीट से त्यागपत्र दिलवाया गया। उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राजबहादुर को प्रत्याशी बनाया। वहीं कांग्रेस नेता कैप्टन छुट्टन लाल मीणा भी पार्टी से विद्रोह करके चुनाव मैदान में आ डटे। चूंकि दौसा क्षेत्र में मीना समुदाय के मतदाताओं की काफी संख्या थी। इसलिए छुट्टन लाल मीणा को मनाने के गंभीर प्रयास हुए।

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भरतपुर के कांग्रेस नेता नत्थी सिंह और भीमसिंह ने कैप्टन छुट्टन लाल मीणा से मुलाकात की तो चुनाव मैदान से हटने के लिए उन्होंने एक अजीब शर्त रखी। यह शर्त थी मीना समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की थी। इस शर्त से कांग्रेस के बड़े नेताओं को अवगत कराया गया। कैप्टन छुट्टन लाल चौधरी कुम्भाराम आर्य के समर्थक थे। उनकी समझाइश कामयाब रही। कांग्रेस की ओर से उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया जाएगा छुट्टन लाल के मैदान से हटने से राजबहादुर आसानी से चुनाव जीत केन्द्र में
उपमंत्री बने।

झूठा राज्य पत्र देकर नहीं लड़ा चुनाव

नत्थीसिंह पर कांग्रेस नेताओं ने वह चुनाव लड़ने का दबाव बनाया, लेकिन वह 25 वर्ष की आयु की पात्रता नहीं रखते थे। उन्होंने झूठा राज्य पत्र देकर चुनाव लड़ने की बात नहीं मानी। लेकिन वर्ष 1957 के चुनाव में नत्थीसिंह को कांग्रेस ने भरतपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया। तब की राजनीतिक परिस्थितियों में काफी परिवर्तन आ गया था। जयनारायण व्यास के स्थान पर 13 नवम्बर 1954 को मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री बन चुके थे। इस पद के चुनाव में भरतपुर जिले के वरिष्ठ राजनेता राजबहादुर, व्यासजी और मास्टर आदित्येन्द्र सुखाड़ि‌या के समर्थक थे। इससे कांग्रेस पार्टी में दो धड़े बन गए और भरतपुर जिले में भी दोनों नेता प्रतिद्वंदी बन गए।

एक अफवाह ने बदला चुनाव का रुख

आज सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव में टिकटों के बंटवारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट में कशमकश चर्चित हो रही है। वर 1957 में भी ऐसा हुआ था। बकौल नत्थीसिंह तब विधानसभा के लिए 180 टिकट दिए जाने थे। जयनारायण व्यास के प्रभाव से सुखाड़िया के समर्थक दिग्गज नेता चौधरी कु म्भाराम एवं दामोदर लाल व्यास का टिकट काटते हुए के वल 72 टिकट दिए गए।

सुखाड़िया गुट के सभी 72 प्रत्याशियों ने अपने टिकट वापस लेने का निर्णय किया। मास्टर आदित्न्द्र के नये निर्देश पर नत्थीसिंह भी टिकट वापस करने वालों में सम्मिलित थे। चौधरी कु म्भाराम के अलावा दामोदर व्यास को टिकट देने पर सुखाड़िया गुट के सभी प्रत्याशी चुनाव में आ गए। तब नत्थी सिंह ने भी चुनाव लड़ा लेकिन पार्टी में उनके विरोधियों ने निर्दलीय प्रत्याशी खड़े करवाए।

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भरतपुर लोकसभा सीट से गिरिराज शरण सिंह उर्फ राजा बच्चूसिंह मुर्गा चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ रहे थे और उनका मुकाबला दो बैलों की जोड़ी वाले कांग्रेस प्रत्याशी राजबहादुर से था। राजा बच्चूसिंह ने विधानसभा चुनाव में नत्थीसिंह के मुकाबले खड़े होतीलाल पाराशर को मुर्गा चुनाव चिन्ह दिलवा दिया। मतदान के दौरान यह अफवाह उड़ाई गई कि कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर नत्थीसिंह को वोट देने से बच्चूसिंह के वोट कट रहे हैं। इसलिए दोनों जगह मुर्गा चुनाव चिन्ह पर मतदान किया जाए। इस अफवाह से मतदान का रुख बदल गया।

खुद बच्चूसिंह लगभग दो हजार वोट से पराजित हुए वहीं नत्थी सिंह मात्र छह मतों से होती लाल पारासर से चुनाव हार गए। बाद में उन्हें पता चला कि लगभग साठ वोटों की हेराफे री की गई। चुनाव याचिका दायर की गई जिसमें 32 फर्जी वोट प्रमाणित हुए। इसके बावजूद चुनाव याचिका खारिज करवाई गई। नत्थीसिंह को इस बात का मलाल रहा कि कांग्रेस पार्टी में धुर विरोधी सुखाड़िया और राजबहादुर इस मामले में एक हो गए। जबकि सुखाड़ि‌या गुट के टिकट कटने पर नत्थीसिंह उनके साथ रहे।

गुलाब बत्रा, वरिष्ठ पत्रकार