विधानसभा चुनाव इस बार ऑनलाइन प्रचार ट्रेंड में… सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही वर्चुअल जंग

जयपुर। प्रदेश में चुनावी माहौल चरम पर है। धरातल पर जनसभाओं में एक दूसरे को घेरने के साथ ही इस चुनाव में पार्टिंयां वर्चुअल प्लेटफॉर्म्स…

social media | Sach Bedhadak

जयपुर। प्रदेश में चुनावी माहौल चरम पर है। धरातल पर जनसभाओं में एक दूसरे को घेरने के साथ ही इस चुनाव में पार्टिंयां वर्चुअल प्लेटफॉर्म्स पर भी पूरी ताकत के साथ आमने सामने हैं। विधानसभा चुनावों में पार्टिंयों का प्रचार करने वाले स्टार प्रचारकों की जगह इस बार सोशल मीडिया और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस ने ले ली है।

दोनों मुख्य दल अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्स रे व भाजपा के साथ ही अन्य दलों व इनके बड़े नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स से हैशटग ट्रेंड करवा कर आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। इस बार चुनावों में दोनों ही पार्टिंयां युवाओं को सबसे ज्यादा तव्वजों दे रही है। गौरतलब है कि इस बार के विधानसभ चुनाव में 21.30 लाख युवा मतदाता हैं जो पहली बार मतदान करेंगे। ऐसे नए मतदाताओं को लुभाने के लिए इस बार पार्टिंयां विशेष प्रबंध कर रही हैं।

दोनों ओर से चल रहे एग्रेसिव कैंपेन…

दोनों पार्टियों में चल रही सोशल मीडिया वॉर में कभी कांग्स रे तो कभी भाजपा बाजी मार रही है। सितम्बर माह में कांग्रेस सोशल मीडिया पर भाजपा से आगे निकल गई थी। कांग्रेस ने सोशल मीडिया सलाहकार के माध्यम से महंगाई राहत कैंप आयोजित कर प्रदेश के हर मतदाता तक पहुंचने का काम किया था। वहीं कांग्स ने हर घर गारंटी का रे र्ड भी देकर उपस्तिथि दर्ज करवाई थी। हालांकि इसमें सरकार की जनकल्याणकारी योजना का ही प्रचार प्रसार किया गया था। कांग्रेस ने सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के वीडियो सोशल मीडिया पर आमंत्रित कर एक अनूठी स्ट्रेटेजी के तहत काम किया था।

कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया एकाउंट्स के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी जबरदस्त ट्रेंड कर रहे थे। लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और सीएम गहलोत के मीडिया सलाहकार के बीच हुई अनबन की खबरों के बाद कांग्रेस की सोशल मीडिया पर पहुंच कुछ नीचे गिर गई।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सितंबर में कांग्रेस सोशल मीडिया कैंपेन में भाजपा से 1.5% आगे बताई गई थी। अक्टूबर आते-आते बीजेपी आगे हो गई। पिछले छः महीने में गहलोत सरकार सोशल मीडिया पर एग्रोसिव कैंपेन चला रही थी। प्रदेश में भाजपा की पहली सूची जारी होने के बाद कांग्रेस कार्यालयों में चहल-पहल काम होती दिखाई दे रही थी, लेकिन सोमवार से फिर से कांग्रेस ने भाजपा को ईआरसीपी मुद्दे के माध्यम से घेरने की कायवाद शुरू कर दी है। आगामी चुनावी मुद्दों के नाम पर कांग्स विजन 2030 और ईआरसीपी के नाम पर आगे बढ़ने का काम करेगी।

भाजपा 35 हजार वॉट्सएप ग्रुप के साथ साधेगी लक्ष्य…

विधान सभा चुनावों को लेकर भाजपा सोशल मीडिया टीम ने अलग से रणनीति तय कर ली है। भाजपा ने बूथ लेवल से पन्ना प्रमुख और बूथ जीता तो चुनाव जीता जैसे कैंपेन चलकर चुनाव जीतने की कवायद शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी की सोशल मीडिया सेल प्रदेश में सेंट्रलाइज सिस्टम के माध्यम से काम कर रही है। भाजपा सोशल मीडिया पर कांग्रेस को घेरने को लेकर एआई के माध्यम से अपना असर दिखाएगी। करीब 35 हजार वॉट्सएप ग्रुप्स के साथ ही सभी प्रत्याशियों के सोशल मीडिया एकाउंट्स बनाए जा रहे हैं।

कांग्रेस का हथियार ईआरसीपी, बीजेपी का सरकार की नाकामी…

सोशल मीडिया पर कांग्रेस ईआरसीपी व अन्य कई मुद्दों पर केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर भाजपा को घेर रही है। वहीं भाजपा पेपर लीक, किसान आत्महत्या, महिला उत्पीड़न, बेरोजगारी, अपराधों का बढ़ता ग्राफ, गैंगरेप सहित कई मुद्दों को घेर रही है। भाजपा के सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से इन मुद्दों पर बने हाई क्वालिटी वीडियोज को लोकल इनपुट के साथ डाला जा रहा है। प्रदेश के अलगअलग क्षेत्रों के अनुसार वीडियो बनाए गए हैं जिससे आम वोटर्स इनसे कनेक्ट हो सकें।

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