इंदिरा गांधी ने कैसे करवाई अशोक गहलोत की राजनीति में एंट्री, राजस्थान की सियासत का बेहद रोचक किस्सा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। अब सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में पार्टी 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में है।

Ashok Gehlot

CM Ashok Gehlot: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। अब सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में पार्टी 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में है, लेकिन क्या आप जानते है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीति में एंट्री काफी दिलचस्प रही थी। आइए जानते है इसके बारें में…

NSUI से की शुरुआत

अशोक गहलोत कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े थे। 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो बड़ी संख्या में शरणार्थी उत्तर पूर्व के राज्यों में आ गए। भारत सरकार ने उनके लिए बड़ी संख्या में शिविर बनवाये। अशोक गहलोत एनएसयूआई कार्यकर्ता के रूप में इन शरणार्थी शिविरों में काम करने आए थे। यहीं पर इंदिरा गांधी की नजर उन पर पड़ी। जनसेवा के प्रति उनकी लगन और मेहनत को देखकर उन्हें इंदिरा गांधी का आशीर्वाद मिला। जिसके बाद उन्हें राजस्थान एनएसयूआई में बड़ी जिम्मेदारी मिली। अशोक गहलोत संजय गांधी के भी काफी करीबी माने जाते थे।

पहला चुनाव हारे

शरणार्थी शिविरों में लगन के साथ काम करता देख बाद में इंदिरा गांधी ही अशोक गहलोत का राजनीति में लेकर आई। तब से शुरू हुआ गहलोत का राजनीतिक सफर आज तक जारी है। गहलोत ने 1977 में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। इस चुनाव में गहलोत को हार का सामना करना पड़ा था।

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5 बार रहे सांसद

अशोक गहलोत 1973 से 1979 तक कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। अशोक गहलोत 5 बार सांसद रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहली बार 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए जोधपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद बने। इसके बाद उन्होंने 8वीं लोकसभा, 10वीं लोकसभा, 11वीं लोकसभा और 12वीं लोकसभा का चुनाव जोधपुर संसदीय क्षेत्र से जीता। 1999 में अशोक सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए।

1998 में पहली बार बने मुख्यमंत्री

2003 और 2008 के विधानसभा चुनावों में भी गहलोत विधायक चुने गए। गहलोत पहली बार 1998 में मुख्यमंत्री चुने गए थे। उनका कार्यकाल 2003 तक रहा। इसके बाद राज्य में बीजेपी की सरकार बनी लेकिन 2008 के चुनाव में जब कांग्रेस की वापसी हुई तो एक बार फिर राज्य की कमान गहलोत को सौंपी गई। 2013 में मोदी लहर के साथ ही तमाम कारणों की वजह से कांग्रेस सरकार को हार का सामना करना पड़ा है। फिर 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य में एक बार फिर से कांग्रेस की बनी और मुख्यमंत्री की कमान अशोक गहलोत को सौंपी गई। अशोक गहलोत तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी नियुक्त किये जा चुके हैं।

गांधी परिवार से रिश्ता क्या कहते है सीएम गहलोत

सीएम अशोक गहलोत खुद कहते रहे हैं कि गांधी परिवार के रिश्ते तर्क से परे हैं। सीएम गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए एक सवाल के जबाव में कहा था कि ”गांधी परिवार के साथ अपने रिश्ते के बारे में मैं सिर्फ इतना कहूंगा…मेरे और गांधी परिवार के बीच रिश्ता था.” है और जीवन भर रहेगा।” राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने कहा, ”19 अक्टूबर के बाद भी गांधी परिवार से मेरे रिश्ते वैसे ही रहेंगे जैसे पिछले 50 साल से हैं ये मैं दावे से कहता हूं।”