Rajasthan Assembly Election: आचार संहिता के बाद अटक जाएंगे फ्री वाले फोन? जानें क्या कहता है नियम

राजस्थान में आज रात 12 बजे के बाद से आचार संहिता लग जाएगी। अब तक सरकार 40 लाख महिलाओं को मोबाइल फोन दिये हैं। लेकिन, अब भी सरकार को एक करोड़ महिलाओं को मोबाइल फोन कैसे मुहैया कराने है।

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Code of Conduct in Elections: राजस्थान में आज रात 12 बजे के बाद से आचार संहिता लग जाएगी। अब तक सरकार 40 लाख महिलाओं को मोबाइल फोन दिये हैं। लेकिन, अब भी सरकार को एक करोड़ महिलाओं को मोबाइल फोन कैसे मुहैया कराने है। जानकारों का इसको लेकर कहना है कि अगर सरकार आचार संहिता लगने के बाद भी फोन बांटना चाहती है तो उसके लिए सरकार को चुनाव आयोग से इजाजत लेनी होगी।

इन कामों पर लगी रोक

  • आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री किसी भी कार्य का उद्घाटन, शिलान्यास या लोकार्पण नहीं कर सकता है।
  • मुख्यमंत्री के अलावा सरकार का कोई भी मंत्री, सांसद या विधायक सरकारी विमान या हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
  • मुख्यमंत्री या मंत्री राज्य अतिथि गृह, सर्किट हाउस, राजस्थान हाउस, जोधपुर हाउस-बीकानेर हाउस (दिल्ली) और राज्य अतिथि गृह (दिल्ली और मुंबई में राजस्थान के राज्य अतिथि गृह सहित) आदि में नहीं रुक सकते।
  • इसके अलावा सरकारी वाहन से किसी भी राजनीतिक बैठक, सम्मेलन, कार्यक्रम में नहीं जा सकते है।

किसी भी तरह का योजना की घोषणा पर रोक

मुख्यमंत्री या मंत्री सरकारी विभागों, अधिकारियों, पुलिस आदि की नियमित बैठकों के अलावा अन्य बैठकें नहीं ले सकते। उनसे कोई नया आदेश लागू करने के लिए नहीं कह सकते। सरकार के लिए कोई नया कार्यक्रम शुरू करना, नई योजना की घोषणा करना, नई भर्ती शुरू करना, नया बजट आवंटित करना, नई नीति लागू करना, सरकारी कर्मियों का ट्रांसफर-पोस्टिंग करना आदि संभव नहीं है।

प्रक्रियाधीन योजनाओं, सेवा वितरण, भर्ती परिणाम जारी करने या परिणाम के बाद नियुक्तियां करने के लिए चुनाव आयोग से इजाजत लेनी होगी। किसी आपदा, बाढ़ या भूकंप की स्थिति में भी सरकार जनहित में जो भी आवश्यक समझे वह कर सकती है, लेकिन इसके लिए भी चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। दिवाली पर सरकारी कर्मचारियों के लिए बोनस और महंगाई भत्ता लागू करने से पहले भी सरकार को चुनाव आयोग से इजाजत लेनी होगी।

नियम तोड़ने पर क्या होगी कार्रवाई?

आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। वह आयोग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार ही कार्य करते हैं। वे चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन भी सुनिश्चित करते हैं।

अगर कोई इन नियमों का पालन नहीं करता है, या इनका उल्लंघन करता पाया जाता है, तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है या उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है। दोषी पाए जाने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।