Summer Festival 2023: भीषण गर्मी के बीच कलाकारों ने दी प्रस्तुति, सिर पर सूरज के अंगार

सिरोही। माउंट आबू में आयोजित तीन दिवसीय समर फेस्टिवल में कलाकारों पर भीषण गर्मी का सितम टूटता नजर आया, लेकिन जिम्मेदारों का इस तरफ कोई…

Summer Festival will be held in May, the festival will start with cultural programs

सिरोही। माउंट आबू में आयोजित तीन दिवसीय समर फेस्टिवल में कलाकारों पर भीषण गर्मी का सितम टूटता नजर आया, लेकिन जिम्मेदारों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं गया। मजबूरन लोक कलाकार खुले प्रांगण में तपती सड़क पर नंगे पैर प्रस्तुतियां देते नजर आए। रविवार को आयोजन के समापन अवसर पर प्रदेश की लोक कला से पर्यटकों को रूबरू कराने के लिए पर्यटक भीषण गर्मी के बीच तेज धूप में तपती सड़क पर खुले में ही अपनी प्रस्तुतियां देते दिखे। 

बता दें कि समर फेस्टिवल के शुरुआत से समापन तक तेज धूप रही। इस दौरान नगर पालिका प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने वह कर के दिखा दिया जो वे कभी अपने लोगों के साथ होते नहीं देख सकते। फेस्टिवल से जुड़े कलाकार तेज धूप के बीच तपते हुए ईमानदारी से अपना काम करते रहे, लेकिन जिम्मेदारों ने उनके लिए उचित व्यवस्था करना भी मुनासिब नहीं समझा। 

इस समर फेस्टिवल में सबसे अधिक उपेक्षित व दोहरा मापदंड नगर पालिका की ओर सेदिखाई दिया कि इस बार इस आयोजन में वह अपने सभी तरह के सहयोग से पीछे हट ही गई। सहयोग तो दूर रहा पालिका ने मानवीय संवेदनाओं को भी कहीं दूर छोड़ दिया। आलम यह रहा कि खुलेप्रांगण में तेज धूप में प्रस्तुतियां दे रहे कलाकारों के लिए छावं तो दूर पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं की गई।  

कलाकार अपने स्तर पर करते रहे मशक्कत 

समर फेस्टिवल तीनों दिन तेज धूम और उमस के बीच प्रस्तुियां देते रहे और अपने स्तर पर ही गर्मी से गर्मी से बचाव की मशक्कत में जुटे रहे। जिम्मेदारों ने उनके लिए प्राथमिक सुविधाएं करना भी मुनासिब नहीं समझा। असुविधाओं के बीच लोक कलाकार पिछले तीन दिन से अपने स्तर पर ही अपनी कलाओं से यहां आने वाले पावणो की आवभगत और मनोरंजन में जुट रहे। जनप्रतिनिधियों के उपेक्षित व्यवहार ने कलाकारों को टीस और पीड़ा देने में कोई कमी नही छोड़ी। 

दावों से दूर वास्तविकता 

समर फेस्टिवल के आयोजन को लेकर किए गए दावों की आधी-अधूरी तैयारी ने पोल खोल दी। आयोजन से पहले जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की ओर से किए गए दावे वास्तविकता से दूर दिखाई दिए। इस दावों का वास्तविक रूप यह है कि तपती धूप व तेज गर्मी में कलाकारों के प्रति मानवीय संवेदना भी कहीं दिखाई नहीं दी। आयोजन के दौरान जब लोक कलाकार नक्की झील पर अपनी प्रस्तुियां देर रहे थे जो उनकी हौसला अफजाई करने के लिए भी जिम्मेदार लोग भी मौजूद नहीं थे। वहीं छाया या पानी की व्यवस्था भी नहीं की गई।

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