72 हजार करोड़ का हुआ गहलोत का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ पचपदरा रिफाइनरी, दिन-रात लगे हैं 30 हजार श्रमिक

सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को पचपदरा रिफाइनरी के निर्माण कार्यों की समीक्षा की जहां उन्होंने बताया कि रिफाइनरी की लागत अब बढ़कर 72 हजार करोड़ रुपए हो गई है और 65 फीसदी काम पूरा हो चुका है.

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बाड़मेर: राजस्थान में चुनावों के नजदीक सीएम अशोक गहलोत लगातार प्रदेश के दौरे पर है, जहां शुक्रवार को उन्होंने पचपदरा रिफाइनरी के निर्माण कार्यों की समीक्षा की. इस दौरान सीएम के साथ रिफाइनरी से जुड़े लोग और तमाम सरकारी अधिकारी मौजूद रहे. सीएम ने इस दौरान जानकारी दी कि रिफाइनरी की लागत अब बढ़कर 72 हजार करोड़ रुपए हो गई है और इसका 65 फीसदी काम पूरा हो चुका है.

दरअसल राजस्थान के रेत के टीलों में करीब 20 साल पिछले तेल की खोज हुई थी जिसके बाद सूबे की सरकार और केंद्र के बीच 9 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल की रिफाइनरी को लगाने के लिए एक समझौता हुआ था लेकिन पिछले 10 सालों में सरकारें बदली और मुख्यमंत्री के चेहरे बदले लेकिन हर बार रिफाइनरी का काम किसी ना किसी मोड़ पर आकर थम गया. हालांकि पचपदरा तेल रिफाइनरी उस तरह से चुनावी मुद्दा बनने में कामयाब नहीं रही.

बता दें कि पचपदरा रिफाइनरी की लागत अब 72 लाख करोड़ हो गई है जिसको अब 2024 के आखिर में पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. दरअसल 9 लाख टन की रिफाइनरी का शुभारंभ 2018 में हुआ था जिसके बाद इसे कोरोना से लेकर लगातार केंद्र और राज्य की खींचतान का सामना करना पड़ा.

65 फीसदी हुआ रिफाइनरी का काम

सीएम गहलोत ने रिफाइनरी को लेकर अधिकारियों से फीडबैक लेने के बाद कहा कि यह प्रोजेक्ट 38 हजार करोड़ रुपए से शुरू हुआ था लेकिन आज इसकी लागत 72 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. वहीं गहलोत के मुताबिक रिफाइनरी का करीब 65 फीसदी काम पूरा हो गया है और यह 31 दिसंबर 2024 को कॉमर्शियल प्रोडक्शन में आ जाएगी. उन्होंने कहा कि रिफाइनरी के आने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और हमारी मंशा है कि यहां पर ज्यादा से ज्यादा तेल के कुएं बने.

वहीं सीएम ने कहा कि यहां ज्यादा कुएं बनने से तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होगी. वहीं उन्होंने मंत्री हरदीप पुरी धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने यहां आकर काम देखा. वहीं गहलोत ने बताया कि रिफाइनरी के अंदर राज्य सरकार की भागीदारी नहीं होती है क्योंकि जो घाटा होता है उसे राज्य वहन नहीं कर सकता है लेकिन HPCL के कहने पर हमें मजबूरी में आना पड़ा.

सूबे की आर्थिक पहचान बनेगी रिफाइनरी

गौरतलब है कि रिफाइनरी का काम शुरू होने के बाद से इसे कई विवादों का सामना करना पड़ा और कई बार चुनावों से पहले यह राजनीतिक लड़ाई का केंद्र भी रहा. इसके साथ ही रिफाइनरी बनने से राजस्थान की राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक पहचान भी फिर से परिभाषित होने में मदद मिलेगी. मालूम हो कि बाड़मेर में कच्चे तेल का पता चलने के साथ ही पचपदरा में रिफाइनरी प्लांट लगाने का फैसला किया गया.

वहीं इसका मालिकाना हक एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड को दिया गया जो हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और राजस्थान सरकार का एक ज्वाइंट वेंचर है. वहीं सरकारों की आपसी खींचतान के बीच रिफाइनरी की लागत लगातार बढ़ती चली गई जहां इसकी लागत 2018 में 43,129 करोड़ रुपए आंकी गई जिसके बाद से 5 सालों में लगातार लागत बढ़ गई. वहीं प्रोजेक्ट पर कोरोना महामारी का भी काफी असर देखा गया.

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