392 खंभे और 44 द्वार…दिव्यांगजन एवं वृद्धों रैंप और लिफ्ट, जानिए कैसी होगी राम मंदिर की भव्यता

राम मंदिर की भव्यता को लेकर अब कई तथ्य जन्मभूमि तीर्थ की और से जारी किए गए है। इन प्वाइंटों में मंदिर परिसर के बारें में जानकारी दी गई है।

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Ayodhya Ram Temple: देशभर में अयोध्या के भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र हरसंभव प्रयास कर रहा है। राम मंदिर की भव्यता को लेकर अब कई तथ्य जन्मभूमि तीर्थ की और से जारी किए गए है। इन प्वाइंटों में मंदिर परिसर के बारें में जानकारी दी गई है। आइए जानते है कि मंदिर परिसर के सभी क्षेत्रों से लेकर भगवान श्रीराम के गर्भगृह तक मंदिर की भव्यता कैसी होगी।

मंदिर में होंगे 392 खंभे और 44 द्वार

मंदिर ट्रस्ट के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे, जबकि 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से एंट्री होगी। मंदिर में दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था की गई है। मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा।

तीन मंजिला होगा भगवान का मंदिर

पूरा मंदिर परिसर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट है। भगवान राम जी का मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। इस मंदिर में 5 मंडप होंगे। इनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप शामिल है।

दिव्यांगजन एवं वृद्धों रैंप और लिफ्ट

मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प और लिफ्ट की सुविधा रहेगी। मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।

मंदिर के चारों कोनों बनाया गए चार मंदिर

मंदिर के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का बनाया गया है। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमानजी का मंदिर रहेगा। मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित किया गया है।

मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं

दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार हुआ है। वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।

25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी

मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे। 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर और चिकित्सा की सुविधा रहेगी।