दुनिया का सबसे ऊंचा जलप्रपात ‘एंजल’, 2009 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने बदला इसका नाम

पर्यटन की दृष्टि से जलप्रपात बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। दुनिया में कई प्राकृतिक जलप्रपात हैं जो पर्यटकों को रोमांचित करते हैं। ऐसा ही एक…

world's highest waterfall Angel, the President of Venezuela changed its name in 2009

पर्यटन की दृष्टि से जलप्रपात बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। दुनिया में कई प्राकृतिक जलप्रपात हैं जो पर्यटकों को रोमांचित करते हैं। ऐसा ही एक जलप्रपात वेनेजुएला में हैं। लेकिन इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं कि यह दुनिया का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। इसका नाम एंजल जलप्रपात है। पेमोन भाषा में इसे केरेपाकुपाई वेना के नाम से जानते हैं, जिसका अर्थ होता है गहनतम स्थान का जलप्रपात।

इसे चुरून-मेरु के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ गरजता हुआ जलप्रपात होता है। 20वीं सदी में अधिकांश लोग इसे एन्जिल जलप्रपात के नाम से जानते थे। बाद में इसका नाम जिमी एन्जिल के नाम पर रखा गया। इसे साल्टो एंजिल नाम से भी जाना जाता है जो कि इसका स्पेनिश नाम है। वर्ष 2009 में राष्ट्रपति ह्यूगो चावेज़ ने इसका नाम बदलकर केरेपकुपाई मेरू कर दिया। 

सबसे पहले रैले ने देखा झरना

कहा जाता है कि सर वाल्टर रैले पहले ऐसे यूरोपीय थे, जिन्होंने इसे सबसे पहले देखा। रैले ने इसे टेपुई जलप्रपात की संज्ञा दी। टेपुई का अर्थ होता है मेज के आकार का दिखने वाला पहाड़। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस जलप्रपात को देखने वाले पहले यूरोपीय फर्नांडो डे बेरियो थे। बेरियो 16वीं और 17वीं शताब्दी के एक स्पेनिश खोजकर्ता और राज्यपाल थे। इसके बाद वेनेज़ुएला के खोजकर्ता एर्नेस्टो सेचेज़ ला क्रुज़ ने इसे वर्ष 1912 में खोजा। लेकिन बेरियो ने अपनी इस खोज की जानकारी किसी को नहीं दी थी। यह भी कहा जाता है कि जिम्मी एंजिल हवाई जहाज से जलप्रपात के ऊपर से गुज़रने वाले पहले अमेरिकी विमान चालक थे। उन्होंने इसे 16 नवम्बर 1933 में देखा। दावा किया जाता है कि जिम्मी के नाम पर इसका नाम रखा गया। 

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केरेप नदी से जुड़ा है जलप्रपात

इसकी ऊंचाई 979 मीटर यानी 3,212 फीट है। यह 807 मीटर गहरा है। यह जलप्रपात वेनेजुएला के बोलिवर राज्य के ग्रान सबाना क्षेत्र में स्थित है। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल यह झरना पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यह झरना ऑयनटेपुई पर्वत से गिरता है। इसकी ऊंचाई इतनी अधिक है कि इसका पानी जमीन पर गिरने से पहले ही वाष्प बनकर उड़ जाता है। तेज हवाएं झरने के पानी को धुंध के रूप में दूर ले जाती है। इस जलप्रपात का आधार केरेप नदी से जुड़ा हुआ है। यहां की पूरी यात्रा विमान द्वारा की जाती है। दिसम्बर से मार्च तक यहां का मौसम शुष्क रहता है। 

आसान नहीं यहां तक पहुंचना

वेनेजुएला में स्थित इस जलप्रपात तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पर्यटकों के लिए यह दुनिया के मुख्य आकर्षणों में से एक है। जलप्रपात तक पहुंचने का मार्ग बहुत जटिल है। यह वेनेजुएला के सुदूर जंगलों में स्थित है। जहां जाने के लिए पहले विमान से कानाइमा कैंप पहुंचना होता है। यहां जाने के लिए जून से दिसंबर का महीना अनुकूल माना जाता है।

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