क्यों अहम है भारत का ‘Sun Mission’, जानें-Aditya L1 सूर्य के कौन-कौनसे रहस्यों से उठाएगा पर्दा ?

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले महीने के प्रारंभ में ‘सूर्य मिशन’ की तैयारी की में है।

Aditya L1

Aditya L1 : चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले महीने के प्रारंभ में ‘सूर्य मिशन’ की तैयारी की में है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आदित्य एल -1 मिशन से अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता, सूर्य के कोरोना के तापमान, सौर तूफान एवं उत्सर्जन एवं पराबैगनी किरणों के धरती, खासकर ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा। इसमें सूर्य की बनावट व उसके भाैतिक गुणों के बारमें बहूत सी जानकारी मिलने की उम्मीद है। 

आदित्य-एल1 मिशन को दो सितंबर को भेजे जाने की संभावना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मिशन के तहत विभिन्न प्रकार का डाटा एकत्र किया जाएगा ताकि कोई ऐसी व्यवस्था बनायी जा सके कि नुकसानदेह सौर पवन एवं तूफान की जानकारी मिलते ही सवधानी का एलर्ट जारी किया जा सके। 

आदित्य एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण ‘सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’ (एसयूआईटी) को पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है। आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

सूर्य पर विस्फोट के डाटा करेंगे एकत्र 

आईयूसीएए के एक अन्य वैज्ञानिक प्रो. ए. एन. रामप्रकाश ने बताया कि आदित्य एल-1 के साथ 7 पेलोड भी अंतरिक्ष में भेजे जाएं गे । ये पेलोड सूरज की प्रकाशमंडल (फोटोस्फेयर ), वर्णमंडल (क्रोमोस्फेयर) और सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अध्ययन करेंगे। सात में से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे। 

सूरज की ऊपरी सतह पर कुछ विस्फोट होते रहते हैं लेकिन यह कब होंगे और इसके प्रभाव क्या होंगे, इसकी सटीक जानकारी नहीं है। ऐसे में इस टेलीस्कोप का एक उद्श्य इनका अध्ययन दे करना भी है। प्रो. रामप्रकाश ने बताया, इसके लिए हमने एक कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) पर आधारित तत्व विकसित किया है जो इसका डाटा (विस्फोटों का) एकत्र करेगा और उसका मूल्यांकन करेगा।

पराबैंगनी किरणों का होगा अध्ययन 

आईयूसीएए के वैज्ञानिक एवं एसयूआईटी के मुख्य अन्वेषक प्रो. दर्ुगेश त्रिपाठी ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘आदित्य एल-1’ धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जाएगा और सूरज का अध्ययन करेगा। सूरज से काफी मात्रा में पराबैंगनी किरणें निकलती है और इस टेलीस्कोप (एसयूआईटी) से 2000-4000 एं गस्ट्रॉम के तरंग दैर्ध्य की पराबैंगनी किरणों का अध्ययन किया जाएगा। इससे पहले दनिु या में इस स्तर की पराबैंगनी किरणों का पहले अध्ययन नहीं किया गया है। 

क्या है लाग्रेंज बिंदु

ऐसे संतुलन बिंद जु हां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वीय बल बराबर होते है लाग्रेंज बिन्दु कहलाते हैं। पृथ्वी की घूर्णन गति से उत्पन्न बल और पृथ्वी की कक्षीय गति से उत्पन्न कें द्रीय अपसारी बल, इन सभी बलों के कारण सूर्य और पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र में पांच संतुलन बिंदु या लाग्रेंज बिंदु बनते हैं जिसे क्रमशः L1, L2, L3, L4 और L5 चिन्ह से प्रदर्शित किया जाता है।

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