देसी टेस्ट में फिसड्डी विदेशी डिग्री वाले डॉक्टर! प्रेक्टिस से पहले स्क्रीनिंग टेस्ट में फेल हो गए 78% डॉक्टर

MBBS in Abroad: आपने सुना होगा कि देश में पढ़ाई करने के बाद किसी खास डिग्री पाने की चाह में युवा विदेशों की कॉलेजों में…

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MBBS in Abroad: आपने सुना होगा कि देश में पढ़ाई करने के बाद किसी खास डिग्री पाने की चाह में युवा विदेशों की कॉलेजों में पढ़ने का सपना देखते हैं जिनमें डॉक्टरी, बिजनेस और इंजीनियरिंग जैसे कई कोर्स शामिल है. पिछले कुछ सालों से युवा एमबीबीएस करने के लिए विदेश के मेडिकल कॉलेजों में जाना पसंद कर रहे हैं जहां बताया जाता है कि देश के मुकाबले विदेशों में इस कोर्स की फीस कम होती है लेकिन विदेश से डिग्री पूरी करने के बाद अपने देश में प्रेक्टिस करने का सपना लेकर लौटने वाले डॉक्टर खरे नहीं उतर रहे हैं.

एक मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि डॉक्टर बनने का सपना देख रहे युवा एमबीबीएस करने के लिए विदेश के मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस तो पास कर लेते हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर डॉक्टर देश में प्रेक्टिस करने के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा पास करने में सफल नहीं हो रहे हैं.

बता दें कि नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज की ओर से दिसंबर 2023 की परीक्षा 20 जनवरी 2024 को आयोजित हुई थी जहां इस फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई) में 78% डॉक्टर स्क्रीनिंग में फेल हो गए. वहीं जून 2023 में आयोजित की गई इस परीक्षा के मुकाबले यह परिणाम 10% अधिक रहा.

10 साल में देना होता है टेस्ट

मालूम हो कि भारत सरकार की ओर से बनाए गए नियम के मुताबिक विदेश से एमबीबीएस करने के बाद 10 साल के भीतर ये एग्जिट टेस्ट देना अनिवार्य होता है क्योंकि इसके बाद ही विदेश से एमबीबीएस करने वालों को भारत के किसी भी राज्य में प्रेक्टिस करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है. वहीं अब इस टेस्ट में डॉक्टरों के फेल होने का पैटर्न लगातार देखा जा रहा है.

बता दें कि विदेशों में कम फीस को लेकर एमबीबीएस करने वालों का जबरदस्त क्रेज रहता है. इधर मेडिकल फील्ड से जुड़े जानकारों का कहना है कि देश और विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई में काफी अंतर है ऐसे में इन डॉक्टरों का परीक्षा परिणाम 20-25% ही सामने आता है.

एफएमजीई परीक्षा पास करना बेहद जरूरी

बता दें कि एफएमजीइ दिसंबर 2023 की 20 जनवरी को आयोजित की गई परीक्षा में 38,535 अभ्यर्थी स्क्रीनिंग के लिए उपस्थित हुए थे जिनमें 30,046 असफल रहे और 1,386 परीक्षा में शामिल नहीं हुए. वहीं 15 अभ्यर्थियों का रिजल्ट रोक दिया गया है. दरअसल विदेश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थियों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए एफएमजीई परीक्षा पास करना अहम कड़ी है.