भारत का सूर्य मिशन… आदित्य L-1 ने सूरज की ओर बढ़ाया एक और कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है।

Aditya L-1

Aditya-L1 : बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ की पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। इसरो के मुताबिक, इस प्रक्रिया को यहां स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से अंजाम दिया गया। अब यह 235 x19500 किलोमीटर की कक्षा से नई कक्षा 245 किलोमीटर x 22,459 किलोमीटर में पहुंच गया है। इसे आसान भाषा में यूं समझिए कि नए ऑर्बिट में पृथ्वी का निकटतम बिंदु 245 किलोमीटर होगा, जबकि अधिकतम दूरी पर स्थित बिंदु 22,459 किलोमीटर होगा।

इससे पहले के ऑर्बिट में पृथ्वी का निकटतम बिंदु 235 किलोमीटर और अधिकतम बिंदु 19500 किलोमीटर था। इसरो ने यह भी कहा कि ‘आदित्य एल1’ उपग्रह एकदम ठीक है और यह समान्य ढंग से काम कर रहा है। आदित्य एल1’ को शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था। एल1 का मतलब ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ है, जहां अंतरिक्ष यान को स्थापित किया जाएगा। इसरो ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में बताया कि कक्षा संबंधी अगली प्रक्रिया पांच सितंबर, 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बजे के लिए निर्धारित है।

इसने कहा, ‘‘आदित्य-एल1 मिशन : उपग्रह एकदम ठीक है और सामान्य ढंग से काम कर रहा है। पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया (ईबीएन#1) आईएसटीआरएसी, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक निष्पादित की गई। प्राप्त की गई नई कक्षा 245 किलोमीटर x 22,459 किलोमीटर है। मिशन का लक्ष्य सूर्य-पृथ्वी ‘एल1’ बिंदु पर भारत की पहली सौर वेधशाला स्थापित कर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है।

सौर पैनल सक्रिय, विद्युत उत्पादन शुरू

सौर पैनल के सक्रिय होने के बाद उपग्रह ने विद्युत ईंधन पैदा करना शुरू कर दिया। इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा। यह दूरी पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। अंतरिक्ष एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि यान न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के और करीब जाएगा।

125 दिनों में पूरा होगा सफर

इसरो के मुताबिक, सूर्य के करीब एल1 बिंदु तक पहुंचने के लिए 15 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करने में आदित्य-एल1 को 125 दिन लगेंगे। एल1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच एक बिंदु है, जहां पर सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण एक दूसरे को संतुलित कर देते हैं। इस स्थान पर किसी वस्तु को पहुंचा दिया जाए तो वहां पर स्थिर रहती है। इस बिंदु की दुसरी खासियत है कि यहां से सूर्य के कोरोना (बाहरी परत) को सीधे देखा जा सकता है। धरती से इसे केवल टेलिस्कोप के जरिए सिर्फ सूर्यग्रहण के दिनों में ही देखा जा जकता है।

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