कमजोर होते रूपए पर वित्त मंत्री ने कहा, “महंगाई से ज्यादा नौकरी देने पर है ध्यान”

निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय रुपया विश्व की बाकी करेंसीज की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। देश की वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई पर नकेल कसने से ज्यादा उनकी सरकार का ध्यान नौकरियों का सृजन करने और आर्थिक समानता के लक्ष्य को हासिल करने पर है।

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हम गत एक वर्ष से लगातार रुपए के कमजोर होने की खबरें पढ़ रहे हैं। यदि डॉलर की बात करें तो आज 1 डॉलर की कीमत 82.42 रूपए की हो गई है। ऐसे में जबकि डॉलर के मुकाबले रूपए में लगातार गिरावट जारी है, देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का अजीबोगरीब बयान सामने आया है। वे पत्रकारों से कहती है कि रुपया मजबूत है और अच्छा परफॉर्म कर रहा है।

निर्मला सीतारमण ने कहा, रुपया कमजोर नहीं, मजबूत है

अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बनी रहने वाली निर्मला सीतारमण ने हालिया अमेरिकी दौरे पर पत्रकारों की ओर से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है। वरन हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है। इतना ही नहीं, उन्होनें यह भी कहा कि भारतीय रुपया विश्व की बाकी करेंसीज की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। देश की वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई पर नकेल कसने से ज्यादा उनकी सरकार का ध्यान नौकरियों का सृजन करने और आर्थिक समानता के लक्ष्य को हासिल करने पर है।

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वर्ष 2022 में रुपए में दर्ज की गई 10 फीसदी गिरावट

आज से कुछ माह पूर्व तक डॉलर की कीमत 70 से 75 रुपए प्रति डॉलर थी जो अब 82 रुपए को भी क्रॉस कर रहा है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के अनुसार यदि डॉलर ऐसे ही मजबूत होता रहा तो जल्दी ही उसकी कीमत 83 को भी पार कर जाएगी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मई 2014 तक एक डॉलर की कीमत 58.58 रुपए थी। आज इसी रूपए में 40.50 फीसदी तक की गिरावट के चलते डॉलर 82.63 रुपए तक पहुंच गया है।

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रूपया गिरने का देश की अर्थव्यवस्था पर होगा बड़ा असर

एक्सपर्ट्स के अनुसार यदि रूपया ऐसे ही कमजोर होता रहा तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। रुपए की गिरावट के कारण तेल कंपनियों को तेल महंगे दामों में खरीदना पड़ेगा। ऐसे में इसका सीधा असर आमजन पर पड़ेगा। आम लोगों को पेट्रोल डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। साथ ही विदेश में भारत के लाखों पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता पर भी इसका भार पड़ेगा, उन्हे पढ़ाई के लिए ज्यादा फीस चुकानी पड़ेगी। वहीं खाने के तेल को आयात करने के लिए सरकार को ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे जिसकी वजह से भारत के इंपोर्ट बिल में इजाफा होगा और देश में महंगाई बढ़ेगी।

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