जयपुर सीरियल ब्लास्ट पर फैसला मामला : हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी राजस्थान सरकार

जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के चारों आरोपियों को रिहा करने के मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।

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Jaipur serial blasts case : जयपुर। जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के चारों आरोपियों को रिहा करने के मामले में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। जलदाय मंत्री महेश जोशी ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि घटना भाजपा सरकार के समय की है। उसी समय जांच भी की गई थी। जोशी ने कहा कानून विशेषज्ञों से अपील को लेकर राय की जा रही है। इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि इस मामले में सरकार की ओर से कमजोर पैरवी की गई। यह पूरा मामला सरकार की घोर लापरवाही एवं आरोपियों को सजा दिलाने के प्रति मंशा को संदेह के घेरे में लाता है।

बम ब्लास्ट में 71 निर्दोष लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। आज भी कई ऐसे लोग हैं जो इस हमले में घायल होने के बाद से दिव्यांग जीवन जी रहे हैं। गुलाबी नगरी की शांति और सौहार्द को बिगाड़ने का काम, जिन्होंने किया उनके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी कर सजा दिलाए और पीड़ितों को न्याय दिलाएं।

तुष्टीकरण का आरोप

सीपी जोशी ने आरोप लगाया कि 4 साल में राजस्थान सरकार ने कई ऐसे कृत्य किए, जिससे यह साफ होता है कि वह धार्मिक आधार पर तुष्टीकरण कर रही है। चाहे उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड का मामला हो या करौली दंगों का, सरकार हर बार तुष्टीकरण की नीति को अपनाती हुई नजर आई। मुख्यमंत्री गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं और पिछले 4 सालों में जब से कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है तब से राजस्थान का आम व्यक्ति भी न्याय के लिए तरस रहा है।

पत्नी को खो चुके साहू ने उठाया सवाल

फै सला आने के बाद कपड़ा कारोबारी राजेंद्र साहू ने सवाल उठाया कि क्या यही न्याय है? साहू की पत्नी सुशीला विस्फोट के कारण चोटिल हुईं थी। वह चार साल तक कोमा में रहीं और 2012 में उनका निधन हो गया। साहू पूछते हैं कि अगर उन्होंने (आरोपियों ने) विस्फोट नहीं किए तो 71 निर्दोष लोगों की हत्या के लिए कौन जिम्मेदार है? जिन्होंने अपनों को खोया या जो आज भी उस दर्द को जी रहे हैं, उनके इस गहरे दर्द का जिम्मेदार कौन हैं?

आरोपियों का बरी होना जख्मों से बड़ा दर्द

धमाकों में बाल-बाल बचे राजावत कहते हैं, “मेरे शरीर में 22 छर्रे लगे। मैंने जो दर्द महसूस किया वह आरोपियों के बरी होने के दर्द के सामने समय बौना है।

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