झालावाड़ में दिखा लंपी वायरस का कहर, फिर मुश्किल में मवेशी, डॉक्टरों की हड़ताल ने बढ़ाई परेशानी

राजस्थान में पशुपालकों के लिए एक बार फिर बुरी खबर सामने आई है। लम्पी स्किन डिजीज वायरस राजस्थान में फिर से पैर पसारने लगा है। झालावाड़ शहर में श्री कृष्ण गौशाला में एक दर्जन से अधिक गायों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं।

ashok gehlot 36 | Sach Bedhadak

Lumpy Skin Disease: राजस्थान में पशुपालकों के लिए एक बार फिर बुरी खबर सामने आई है। लम्पी स्किन डिजीज वायरस राजस्थान में फिर से पैर पसारने लगा है। झालावाड़ शहर में श्री कृष्ण गौशाला में एक दर्जन से अधिक गायों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। इसका पता चलते ही गौशाला समिति के सदस्य अलर्ट हो गए हैं। उन्होंने संक्रमित गायों को स्वस्थ गायों से अलग कर दिया है और वर्तमान में पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके उनका इलाज कर रहे हैं।

समिति के सदस्यों कि माने तो गौशाला में गायों का पूर्व में टीकाकरण किया जा चुका है। हालांकि, कुछ दिन पहले बाहर से भी कुछ गायें गौशाला में लाई गई थीं। आशंका जताई जा रही है कि बाहर से लाई गई गायों से अन्य गायों में लंपी रोग का संक्रमण हुआ होगा। एहतियात के तौर पर, गौशाला समिति अब अपने परिसर में संक्रमित गायों का इलाज कर रही है।

मवेशियों के इलाज में चुनौती

जिले में पशु चिकित्सकों की हड़ताल के कारण क्षेत्र में संक्रमित मवेशियों के इलाज को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो गयी हैं। गौशाला समिति के सदस्यों ने बताया है कि जिले में पशु चिकित्सकों की हड़ताल से संक्रमित मवेशियों के इलाज में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पारंपरिक तरीकों से इलाज

नतीजतन, वे संक्रमित मवेशियों के इलाज के लिए पारंपरिक तरीकों का सहारा ले रहे हैं। झालावाड़ जिले में गांठदार त्वचा रोग का फिर से बढ़ना चिंताजनक है। समिति मवेशियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय कर रही है। संक्रमित गायों की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

पिछले साल लम्पी का हुआ था भयानक प्रभाव

गौरतलब है कि पिछले साल राजस्थान को गांठदार त्वचा रोग (एलएसडी) के गंभीर मामले सामने आए थे। लम्पी वायरस के प्रकोप का विनाशकारी प्रभाव के चलते लाखों गायों की मौत हो गई। कई बड़े पशु आश्रय स्थलों में इस वायरस के कारण उनके मवेशियों की काफी हानि हुई थी। हालाँकि सरकार ने बाद में प्रभावित पशुपालकों के लिए मुआवजे की घोषणा की। अब एक बार फिर गांठदार त्वचा रोग के फिर से उभरने से पशुपालकों को परेशानी में डाल दिया है।