रामप्रसाद आत्महत्या मामला : मृतक के घर पहुंचे किरोड़ी मीणा, कहा- जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलेगा..संघर्ष जारी रखूंगा

जयपुर में चांदी की टकसाल इलाके में रामप्रसाद सुसाइड का मामले ने राजनीति को गर्मा दिया है। कांग्रेस नेताओं पर आरोप होने के चलते अब…

image 2023 04 18T152809.859 | Sach Bedhadak

जयपुर में चांदी की टकसाल इलाके में रामप्रसाद सुसाइड का मामले ने राजनीति को गर्मा दिया है। कांग्रेस नेताओं पर आरोप होने के चलते अब यह मामला सियासी अखाड़ा बन चुका है। इसके चलते बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा आज मृतक रामप्रसाद के घर पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस सरकार से पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। 

परिवार को मिले आर्थिक मदद

किरोड़ी मीणा ने मृतक के परिवार से मिलकर रामप्रसाद की मौत पर संवेदना व्यक्त की और ढांढस बंधाया कि जो भी अवैध निर्माण कराया जा रहा है इसे गिराया जाएगा और राम प्रसाद की मौत के लिए परिवार को न्याय दिलाया जाएगा। किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस मामले में दखल देना चाहिए। जुनैद-नासिर हत्याकांड में तो वे  उनके परिवार की आर्थिक मदद करे घर तक चले गए तो राम प्रसाद के परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए उन्हें सहायता करनी चाहिए। 

 किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि लोक सेवा का झूठा दावा करने वाली जनविरोधी सरकार के खिलाफ परिवार को न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रखूंगा। सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रामप्रसाद के परिवार को सरकारी सहायता जारी करे। किरोड़ी ने इस मामले पर एक ज्ञापन भी लिखा है जो उन्होंने प्रशासन के जरिए सीएम अशोक गहलोत को दिया है। 

मकान ना बना पाने से आहत होकर रामप्रसाद ने दे दी जान

बता दे कि चांदी की टकसाल इलाके के रहने वाले रामप्रसाद ने अपना मकान ना बना पाने के आहत होकर आत्महत्या कर ली। इस मामले में कैबिनेट मंत्री महेश जोशी समेत 3 लोगों के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई है। मृतक राम प्रसाद के पिता रामकिशोर मीणा ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने मकान ना बनाने को लेकर हम पर ऐसा दबाव डाला कि हम वहां पर एक तक नहीं लगा पा रहे थे। इसे लेकर हम कई बार निगम के अफसरों से मिले लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 

मंत्री महेश जोशी समेत 3 लोगों पर FIR दर्ज

वे कहते थे कि मंत्री महेश जोशी और पार्षद नहीं चाहते थे कि हम मकान बनाए लेकिन हमारे मकान के बगल में एक होटल बन रहा है, चार मंजिल उसकी तन चुकी हैं लेकिन आज तक अफसरों ने उस पर निगाह नहीं डाली। 2 दिन पहले जब हम मकान की छत डालने के लिए तैयार हो रहे थे, हमने मजदूर भी बुला लिए थे। तो पता नहीं कहां से निगम वालों को पता चल गया और उन्होंने रात को ही विजिलेंस टीम भिजवा दी और एक गार्ड भी बिठा दिया। उस गार्ड का नाम इदरीश है। वह लगातार चार दिनों तक हमारी निगरानी करने लगा कि हम कहीं मकान की एक ईंट ना जोड़ दें।

इससे मेरा बेटा रामप्रसाद मानसिक दबाव में आ गया और उसने परेशान होकर आत्महत्या कर ली। मैं कहता हूं कि हम उसी जगह पर मकान बना रहे हैं, जहां हमारे मकान का पट्टा है। राम प्रसाद की दो बेटी और एक छोटा बेटा है। अब घर भी नहीं है ना ही घर को चलाने वाला। हमें न्याय चाहिए।

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