राजस्थान में अभी तक बिना विभाग के मंत्री, आखिर कहां अटका है भजनलाल कैबिनेट में विभागों का बंटवारा?

राजस्थान में बीजेपी को बंपर जीत मिले करीब महीना भर हो गया है लेकिन अभी भी मंत्री बिना विभाग के हैं.

sach 1 1 | Sach Bedhadak

Rajasthan Government Cabinet: देश के 3 राज्य मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जीत के बाद बीजेपी ने सिलसिलेवार तरीके से तीनों राज्यों में सरकार का गठन किया जहां एमपी और छग में सरकार पूरे साकार रूप में आ गई है लेकिन राजस्थान में सीएम की कैबिनेट तैयार होने के बाद भी अभी तक मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है. राजस्थान में बीजेपी को बंपर जीत मिले करीब महीना भर हो गया है लेकिन अभी भी मंत्री बिना विभाग के हैं. वहीं जानकारी के मुताबिक भजनलाल सरकार के कई मंत्रियों की बड़े विभागों के लिए जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग चल रही है.

माना जा रहा है कि मंत्रियों के विभागों का बंटवारे दो-तीन दिन में हो सकता है. वहीं सियासी गलियारों में एक सवाल बना हुआ है कि आखिर मंत्रियों ने जब शपथ ले ली तो विभागों के बंटवारे में क्यों देरी हो रही है. आइए कुछ कारणों पर गौर करते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि विभागों का बंटवारा आखिर कहां अटका हुआ है.

डीजी कॉन्फ्रेंस में पीएम का राजस्थान दौरा

दरअसल भारत के गृह मंत्री अमित शाह 3 दिनों तक जयपुर में होने वाली डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस में शामिल होने जयपुर आ रहे हैं जहां वह 5 से 7 जनवरी तक जयपुर में रहेंगे. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6-7 जनवरी को जयपुर में रहेंगे. ऐसे में बताया जा रहा है कि इस कॉन्फ्रेंस के बाद ही मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो सकता है.

करणपुर चुनाव भी एक वजह!

हालांकि बताया जा रहा है कि मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं होने के पीछे करणपुर विधानसभा चुनाव भी एक वजह है जहां बीजेपी ने उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मतदान से पहले ही मंत्री बनाकर बड़ा दांव खेला है. माना जा रहा है कि यहां वोटिंग के बाद मंत्रियों को विभाग मिल सकते हैं. मालू्म हो कि करणपुर में मतदान 5 जनवरी को होना है.

दिल्ली से ही होना है फैसला!

इसके अलावा बताया जा रहा है कि विभागों में बंटवारे में देरी की एक वजह दिल्ली के कारण हो रही है जहां बीते दिनों केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी के बाद ही मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई थी. वहीं सूबे में चुनावों की शुरुआत से लेकर आखिर तक ही हर फैसला दिल्ली में होता रहा है. हालांकि कुछ बड़े मंत्रालयों को लेकर पेच भी फंसा हुआ है जिसको लेकर दिल्ली में बीजेपी आलाकमान लगातार मंथन कर रहा है.