आगरा-जयपुर हाईवे पर जुटा सैनी समाज, आरक्षण आंदोलन के लिए महिलाओं ने थामी लाठियां

भरतपुर। आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर राजस्थान में सैनी समाज उग्र हो गया है। आंदोलन की आग नेशनल हाईवे तक पहुंच चुकी…

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भरतपुर। आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर राजस्थान में सैनी समाज उग्र हो गया है। आंदोलन की आग नेशनल हाईवे तक पहुंच चुकी है। भरतपुर में आगरा-जयपुर नेशनल हाईवे-21 शुक्रवार शाम बजे से ही जाम है। इस बार सैनी, माली, कुशवाह और मौर्य समाज के लोगों ने 12 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर अरोदा और बेरी गांव के बीच हाईवे को बंद कर दिया। आंदोलन के तीसरे दिन रविवार को बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हाथों में लाठियां लेकर पहुंचे। रविवार को खराब मौसम में भी आंदोलकारी सड़क पर डटे हुए हैं। रविवार दोपहर 1 बजे तक नेशनल हाईवे-21 पर अरोदा गांव के पास बड़ी संख्या में समाज की महिलाएं, युवा और बुजुर्ग हाथों में लाठियां मौजूद हैं। आंदोलन के देखते हुए संभागीय आयुक्त सांवर मल वर्मा ने नेटबंदी रविवार रात 12 बजे तक बढ़ा दी है। शनिवार को आंदोलनकारियों ने सड़क पर टेंट में रात गुजारीं।

आंदोलनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात पुलिस दलों पर भी पथराव किया। इधर, आंदोलन के देखते हुए जयपुर या आगरा की ओर से आने वाले किसी भी वाहन को अरोदा गांव से नहीं निकलने दिया जा रहा है। जयपुर से आगरा की तरफ जाने वाले वाहनों को नगर-भरतपुर होते हुए निकाला जा रहा है। वहीं आगरा से जयपुर जाने वाले वाहनों को उच्चैन तिराहे और डेहरा मोड़ से डायवर्ट किया गया है। जबकि भारी वाहनों को उच्चैन तिराहे पर रोक दिया गया है। इससे नेशनल हाईवे पर उच्चैन से वाहनों की लंबी कतार लग गई है।

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सैनी आरक्षण संघर्ष समिति की नेता अंजलि सैनी ने कहा कि उनकी मुख्य मांग उनके नेता मुरारी लाल सैनी को पुलिस हिरासत से रिहा करना है। उन्होंने कहा, ‘हमने 12 जून, 2022 को एक आंदोलन शुरू किया, लेकिन 16 जून को कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री से मिलने के लिए हमारे नेता के एक प्रतिनिधिमंडल को ले जाने का आश्वासन देने के बाद वापस ले लिया।’

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी ने 21 अप्रैल से आंदोलन शुरू करने की घोषणा की। लेकिन, आंदोलन से एक दिन पहले ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सैनी ने कहा, ‘मुरारी लाल सैनी को रिहा किया जाना चाहिए। तभी हम सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार होंगे।’ आंदोलन की घोषणा के बाद पुलिस ने मुरारी लाल सैनी और कुछ अन्य नेताओं को एहतियातन हिरासत में ले लिया। गुरुवार को करौली में 11 और भरतपुर में 15 नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

शनिवार को हुई वार्ता में नहीं बनी सहमति…

फुले आरक्षण संघर्ष समिति के सह-संयोजक पप्पू भाई प्रधान ने बताया कि शनिवार को प्रशासन ने समाज के लोगों को वार्ता के लिए बुलाया था। संभागीय आयुक्त कार्यालय में वार्ता हुई। जिसमें प्रशासन ने आंदोलन को लेकर बात की और आगे की रणनीति के बारे में पूछा। इसके बाद मुरारी लाल सैनी से जेल में वार्ता की हुई। जहां उन्होंने आंदोलन के बारे में जाना और कहा कि आंदोलन शांतिपूर्वक चले, कोई अप्रिय घटना न हो। इसके अलावा समाज के लोग प्रशासन के विरोध में सामने न आए।

हाइवे पर 700 मीटर में रोड पर दोनों तरफ डाले पत्थर…

नेशनल हाइवे-21 पर शनिवार को आंदोलनकारी हाइवे पर जमे रहे। दोपहर में हाइवे पर कड़ी धूप से बचने के लिए टेंट लगाया गया। इसके बाद अरोदा, हतरा और बेरी गांव से गुजर रहे हाईवे पर 700 मीटर तक प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर पत्थर डाल दिए, जो दूर-दूर तक दिखाई दे रहे थे। प्रदर्शन स्थल से पुलिस की टीम करीब एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर बैठी हुई है।

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ये है समाज के लोगों की मुख्य मांग…

अब आंदोलनकारियों की मुख्य मांग है कि फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी सहित सभी लोगों को छोड़ा जाए। डीके कुशवाहा ने बताया कि प्रदेश में समाज की करीब 1.40 करोड़ से 1.50 करोड़ तक आबादी है। एक सर्वे में भी सामने आया है कि प्रदेश की कुल जनसंख्या की करीब 13 से 14 प्रतिशत आबादी सैनी, माली, शाक्य और कुशवाहा समाज की है। यही वजह है कि समाज की ओर से सरकार से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग की जा रही है।

समाज के लोगों का तो यह तक दावा है कि संभाग की 19 विधानसभा सीटों में से 50 प्रतिशत से अधिक सीटों पर समाज निर्णायक भूमिका में रहता है। हालांकि, इसका कोई आधिकारिक डाटा या प्रमाण उपलब्ध नहीं है। रोहिणी कमीशन के जरिए समाज का सर्वे करवाया जाए। एडवाइजरी बोर्ड के बजाए लवकुश बोर्ड गठित किया जाए, जिसमें अध्यक्ष, मेंबर और डेवलपमेंट के लिए फंड हो।

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