अब सफाई कर्मचारी बनने के लिए देना होगा प्रेक्टिकल EXAM, हाईकोर्ट ने भर्ती का रास्ता किया साफ

नगरीय विकास विभाग में सफाई कर्मचारी की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।

image 98 | Sach Bedhadak

जयपुर। नगरीय विकास विभाग में सफाई कर्मचारी की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। भर्ती प्रक्रिया को चेलेंज कर स्टेदेने संबंधी याचिका के मामले में बुधवार को हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश सुदेश बंसल ने बड़ा फैसला सुनाते हुए भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने के आदेश दिए हैं। यह आदेश मोहम्मद रईश व अन्य की याचिका पर दिए हैं।

इस आदेश के बाद अब अभ्यर्थियों को सफाई कर्मचारी बनने के लिए प्रेक्टिकल और इंटरव्यू प्रक्रिया से गुजरना होगा। 13184 पद पर होने वाली इस भर्ती में कुल 8 लाख 39 हजार आवेदन आए थे। इनमें हाई एजुकेशन डिग्रीधारी युवाओं ने भी सफाई कर्मचारी बनने में दिलचस्पी दिखाई थी।

हाई कोर्ट ने ये दिया निर्णय

 मामले में 11 सितंबर को सुनवाई हुई थी, जिसका फैसला बुधवार को आया। हाई कोर्ट के एकल पीठ ने फैसला देते हुए कहा कि सरकार की ओर से जारी भर्ती प्रकिया पूरी तरह से वैध है। भर्ती प्रक्रिया को कराने के लिए निर्णय लेने में सरकार स्वतंत्र है। हालांकि, न्यायाधीश सुदेश बंसल ने भर्ती प्रक्रिया के लिए लॉटरी और इंटरव्यू दोनों को ही सही माना है।

उन्होंने कहा कि सफाई कर्मचारी के लिए सरकार चाहे तो लॉटरी या इंटरव्यू प्रक्रिया से भर्ती कर सकती है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं को भर्ती में शामिल करने का भी निर्णय दिया और कहा कि वे चाहे तो भर्ती होने के बाद भी याचिका दुबारा कर सकते है। 

भर्ती प्रकिया को चेलेंज करते हुए मांगा था स्टे 

सफाई कर्मचारियों की भर्ती को लेकर नौ जून को एक भर्ती विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमें सरकार ने सफाई कर्मचारी बनने के लिए एक वर्ष का अनुभव, वाल्मिकी समाज को प्राथमिकता देने का प्रावधान किया था। इसके बाद वाल्मिकी समाज की मांग को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया में संशोधन करते हुूए 50 अंकों का प्रेक्टिकल और 30 अंको का साक्षात्कार करने का नियम बना दिया। ऐसे में वाल्मीकि समाज के अलावा भर्ती में शामिल अन्य दोवदारों में विरोध होने लगा।

सरकार की ओर से सुनवाई नहीं होने पर मोहम्मद रईश और अन्य की तरफ से एक अगस्त को हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई। इस याचिका में चयन प्रकिया को चेलेंज कर भर्ती पर स्टे, प्रेक्टिकल को अवैध घोषित कर लॉटरी से ही चयन प्रक्रिया करने की मांग की गई थी, हालांकि इन मांगों के लिए याचिकाकर्ताओ की ओ ं र से कई तरह की दलीलें भी पेश की गई थी।