तहखाने में धूल फांक रही गहलोत-धारीवाल की मूर्तियां, क्या खुद को महापुरुष साबित करना चाहते थे ये नेता?

विकास का सपना दिखाकर किस तरह से खुद को महापुरुष साबित करने का खेल कांग्रेस की सरकार में खेला गया। इसकी एक बानगी कोटा नगर विकास न्यास में सामने आई है।

Gehlot-Dhariwal

Heritage Chambal Riverfront : कोटा। विकास का सपना दिखाकर किस तरह से खुद को महापुरुष साबित करने का खेल कांग्रेस की सरकार में खेला गया। इसकी एक बानगी कोटा नगर विकास न्यास में सामने आई है। कांग्रेस राज में लाखों रुपए खर्च करके अशोक गहलोत और शांति धारीवाल की मूर्तियां बनवाई गई थी। जिन्हें चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट पर लगाया जाना था। लेकिन, राजस्थान में बीजेपी सरकार आने के बाद अब ये मूर्तियां हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट के तहखाने में धूल फांक रही है। दूसरी ओर ये मामला सामने आने के बाद अब मूर्तियों पर विवाद खड़ा हो गया है और मांग उठ रही है कि बीजेपी इस मामले को लेकर एसीबी में केस दर्ज करवाएं।

दरअसल, गहलोत राज में नगर विकास न्यास की ओर से कोटा में 1455 करोड़ की लागत से हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण करवाया था। इस दौरान शांति धारीवाल चाहते थे ये आने वाली पीढ़ियों को पता रहे कि हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण किसने कराया? शायद यही वजह रही कि सरकारी धन का दुरुपयोग भी किया गया था।

लाखों रुपए खर्च करके नगर विकास न्यास की ओर से अशोक गहलोत और शांति धारीवाल की मूर्तियां बनवाई गई थी। खास बात ये है कि तीनों मूर्तियों में धारीवाल नजर आ रहे है। इन मूर्तियों को चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट पर लगाया जाना था। लेकिन, राजस्थान में सरकार बदलने के बाद अब इन मूर्तियों को रिवरफ्रंट पर बने संग्रहालय में छिपाकर रखा गया है, जहां पर किसी को जाने की परमिशन नहीं है।

धारीवाल की तीन मूर्तियां आई सामने

पूर्व मंत्री धारीवाल ने तीन अलग-अलग मूर्तियां बनवाई है। जिनमें पहली मूर्ति में वे पूर्व सीएम अशोक गहलोत के साथ कुर्सी पर बैठे हुए नजर आ रहे हैं। दूसरी मूर्ति में शांति धारीवाल और रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया कुर्सी पर बैठे हुए हैं और टेबल पर एक नक्शा देख रहे हैं। इस दौरान अनूप भरतरिया धारीवाल को कुछ समझा रहे हैं। तीसरी मूर्ति में अनूप भरतरिया, अशोक गहलोत, शांति धारीवाल और यूआईटी के पूर्व सलाहकार आरडी मीणा खड़े हुए हैं, जो रिवरफ्रंट को निहार रहे हैं।

पूर्व विधायक ने पूछा-क्या खुद को अजर-अमर करना चाहते हैं ये नेता?

इन मूर्तियों का मामला सामने आने के बाद पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि क्या ये नेता खुद अजर-अमर बनाना चाहते थे। साथ ही उन्होंने कहा कि जनता के पैसे की बर्बादी की गई है। पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के निर्देश पर अनियोजित विकास करने वाले सभी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। इधर, नगर विकास न्यास के अधिशासी अभियंता अंकित अग्रवाल ने कहा कि इन मूर्तियों का निर्माण मेरी देखरेख में हुआ था और उच्च अधिकारियों ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था।