ना चाय पिलाऊंगा, ना पोस्टर लगाऊंगा…जिसको वोट देना है दे दे- नितिन गडकरी

सीकर। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी आज सीकर के खाचरियावास में पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत की स्मृति सभा में शामिल हुए। यहां प्रदेश भाजपा…

नितिन गडकरी

सीकर। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी आज सीकर के खाचरियावास में पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत की स्मृति सभा में शामिल हुए। यहां प्रदेश भाजपा का शीर्ष नेताओं का जमघट लगा रहा। मंच पर वसुंधरा राजे, सीपी जोशी, राजेंद्र राठौड़, गजेंद्र सिंह शेखावत मौजूद रहे और उनका प्रतीक चिह्न देकर सम्मान किया गया।

शेखावत ने कभी समझौता नहीं किया

नितिन गडकरी ने सभा में एक बहुत बड़ी बात बोल दी, इन्होंने साफ कह दिया कि इस बार मैं ना पोस्टर लगाऊंगा, ना चाय पिलाऊंगा, ना ही विशाल रैलियां करूंगा, जिसको वोट देना है दे दे। दरअसल नितिन गडकरी ने भैरो सिंह शेखावत को याद करते हुए कहा कि मैं आप सभी का अभिवादन करता हूं और शेखावत जी को याद करने के लिए मुझे सौभाग्य मिला, इसका मैं बहुत-बहुत आभारी हूं। जनसंघ का इतिहास काफी पुराना रहा है और ये आसान भी नहीं रहा है। शेखावत ने अपने जीवन को प्रदेश की जनता के लिए समर्पित किया, मेहनत की, उनका समर्पण था उसकी बदौलत हम जैसे नए पीढ़ी के लोग जहां खड़े हैं। उसमें उनका नाम सबसे अहम है। वे हमारे उपराष्ट्रपति रहे, उनके विचारधारा से बड़े-बड़े नेता प्रभावित थे। भैरो सिंह अपने सिद्धांत के साथ जनसंघ के साथ रहे, उन्होंने इसके लिए कभी समझौता नहीं किया।

शेखावत तो जनसंघ की आत्मा हैं

अक्सर कहा जाता है कि सही नेता वो होता है जो सच की आवाज उठाने की हिम्मत रखता है। कांग्रेस की सत्ता चरम सीमा पर थी, लग रहा था कि जनसंघ की सरकार मुश्किल ही बन सकता है। लेकिन उन्होंने अपने आप को दृढ़ रखते हुए सदस्यों को मनोबल बढ़ाया और आखिर में प्रचंड बहुमत से हमने सरकार बनाई। वे जनसंघ की आत्मा हैं। उनसे ही हमने कई बातें सीखीं हैं। राष्ट्र के लिए हम समर्पित हैं, सुशासन और विकास हमारा मिशन है, सत्ता का उपयोग सामाजिक परिवर्तन, जनहित की बात, जनता के मुद्दों के लिए न हो तो वो बेकार हैं। समाज के आखिरी पायदान पर जो खड़ा है, उसे हम भगवान माने, सेवा करें और जिस दिन रोटी, कपड़ा मिलेगा तब सरकार का बनना फलीभूत होगा।

बेहद कठिन हालातों में लड़ा था चुनाव

राजनीति में जब तक समाज का भला नहीं होगा, समाज नहीं बदलेगा तो वो राजनीति ही नहीं है, लेकिन आज तो सिर्फ सत्ता बदलना राजनीति बन गया है। सिर्फ सरकार बदलने से ही राजनीति का हित पूरा नहीं होता, बल्कि जन सरोकारों में काम करने पड़ते हैं। मैं आपको बता दूं कि मैंने बहुत कठिन हालातों में चुनाव लड़ा था, मुझे तो सभी नेताओं ने मना कर दिया था, लेकिन शेखावत मुझे बुलाते और मुझे ढांढस बंधाते थे।

ना पोस्टर लगाऊंगा ना चाय पिलाऊंगा

चुनाव जीतने के लिए इस बार ना मैं पोस्टर लगाऊंगा, ना चाय पिलाउंगा, ना कहीं रैलियां कर वोट मांगूंगा। जिसको देना है दे दे वोट। क्योंकि वोट जनता के काम करने से मिलता है। युवाओं को रोजगार, गरीबों को सहूलियत, बच्चों को शिक्षा देने से वोट मिलता है। राजनीति का सही अर्थ लोगों तक सुविधाएं पहुंचाना हैं। ये शेखावत की का ध्येय था। सिर्फ बातों से नहीं बल्कि कार्य कर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

पानी की समस्या कई राज्यों में है

पानी की समस्या उठाते हुए गडकरी ने कहा कि ये समस्या सिर्फ यहां नहीं बल्कि कई राज्यों में है। देश में पानी की कमी नहीं है, जब बाढ़ आती है तो कितना पानी आ जाता है। 1970 में कई पानी के स्रोत चलते थे लेकिन धीरे-धीरे सब खत्म होते चले गए। पानी को लेकर राजस्थान के हालात बदलेंगे अगर यहां पर अच्छी सरकार होगी। गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में रहेगा, पीने का पानी लोगों को मिलेगा। इतना पानी हो गया, पानी के कारण तस्वीर बदल जाती है। गांव-गरीब-किसान हर किसी के समस्याएं खत्म हो जाती है। 65 प्रतिशत लोग गांव में है और अब ये लोग बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं। किसी ना किसी मजबूरी में जा रहे हैं।

सब कुछ बदल जाएगा- गांव, गरीब, किसान नहीं बदलेंगे

शेखावत कहते थे कि योजनाएं ऐसी बनानी चाहिए कि पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को तक ये स्कीम्स पहुंचे। गांवों की सड़कों को हाइवे से जोड़ने का काम किसी ने किया था तो शेखावत ने किया था। आज समय के साथ हालात बदले हैं। मेरा सपना है कि पेट्रोल को खत्म कर ईथनॉल से गाड़ी चलाएंगे। मेरा भरोसा है अंत्योदय के रूप में किया गया काम भैरो सिंह शेखावत का हम फलीभूत कर सकें तो वही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। सब कुछ बदल जाएगा लेकिन गांव, गरीब किसान नहीं बदलेंगे। लोग वहीं रहेंगे। इसिलए हर किसी को इनके लिए काम करने की सोच को बढ़ावा देने का काम करना चाहिए।

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