क्या है जल जीवन मिशन घोटाला जिसमें ED बार-बार राजस्थान के चक्कर लगा रही है?

जल जीवन मिशन घोटाले में ईडी की टीम खरीद के फर्जी बिलों को लेकर पूर्व मंत्री सहित अधिकारी और ठेकेदारों से पूछताछ कर रही है.

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Rajasthan Jal Jeevan Mission Scam: राजधानी जयपुर में एक बार फिर ईडी ने दस्तक दी है जहां जल जीवन मिशन में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच करती हुई केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने एक साथ कई राज्यों में छापेमारी की है. मिली जानकारी के मुताबिक ईडी की 10 टीमों ने बुधवार को जयपुर, दिल्ली और गुजरात 5 लोगों के ठिकानों पर एक्शन लिया है जिसमें गहलोत सरकार में पूर्व मंत्री रहे महेश जोशी के 2 घर, जलदाय विभाग के 2 ठेकेदारों और जलदाय विभाग के 2 अधिकारियों के ठिकाने शामिल हैं.

बताया जा रहा है कि ईडी के कई अधिकारी महेश जोशी के घरों पर कागज खंगाल रहे हैं. जानकारी के मुताबिक ईडी की टीम जल जीवन मिशन में हुई खरीद के फर्जी बिलों को लेकर पूर्व मंत्री सहित अधिकारी और ठेकेदारों से पूछताछ की जा रही है. बता दें कि इन बिलों की मंजूरी देने का अधिकार महेश जोशी के विभाग के पास ही था. आइए जानते हैं कि क्या है जल जीवन मिशन घोटाला जिसमें बार-बार ईडी राजस्थान के चक्कर लगा रही है.

मालूम हो कि ईडी की टीम राजस्थान में जल जीवन मिशन परियोजना में कथित अनियमितताओं को लेकर पहले भी पूछताछ कर चुकी है. इससे पहले ईडी की टीम ने राजस्थान में 25 जगहों पर छापा मारा था जिसमें आईएएस सुबोध अग्रवाल के कई ठिकानों पर जांच की गई थी.

क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?

दरअसल ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी गांवों में पीने के पानी की व्यवस्था होनी थी जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना तय किया गया था. वहीं इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाला जाना फिक्स किया गया लेकिन जानकारी के मुताबिक इसकी जगह पर एचडीपीई की पाइपलाइन डाल दी गई. वहीं पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर बिल तैयार किए गए.

फर्जी बिलों को लेकर ईडी के पास सबूत!

बता दें कि पीने के पानी को लेकर कई किलोमीटर तक जो पाइपलाइन डाली नहीं गई लेकिन कागजों में दिखाई गई और ठेकेदारों और जलदाय विभाग के अधिकारियों ने बिना पाइपलाइन डाले उसका बिल बनाकर पैसा उठाया. जानकारी के मुताबिक ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लाया और नए पाइप बताकर उन्हें डाला गया. वहीं ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर इस योजना का टेंडर लिया था.