Chittorgarh: प्रदेश के अमीर मंदिरों शुमार सांवलिया सेठ का दानपात्र 15 दिन में खुला, आया करोड़ों का चढ़ावा

जिले के मंडफिया गांव में स्थित सांवलिया सेठ मंदिर प्रदेश में सबसे अमीर मंदिरों की लिस्ट में शुमार है। इस मंदिर में हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है।

Sanwaliya Seth temple | Sach Bedhadak

चित्तौड़गढ़। जिले के मंडफिया गांव में स्थित सांवलिया सेठ मंदिर प्रदेश में सबसे अमीर मंदिरों की लिस्ट में शुमार है। इस मंदिर में हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मेवाड़ के आराध्य देव श्री सांवलिया जी मंदिर का 15 दिन का दानपात्र खोला गया। दानपात्र से निकले चढ़ावे की गिनती में खुलासा हुआ कि इस बार मंदिर में कुल 3 करोड़ 59 लाख 83 हजार 268 रुपए का चढ़ावा आया। मंदिर में कड़ी सुरक्षा के बीच दानपात्र से निकले चढ़ावे की गिनती की गई।

जानकारी के मुताबिक इस बार 15 दिन बाद ही सांवलिया मंदिर का दानपात्र खोला गया। मंदिर के दानपात्र से गिनती में 3 करोड़ 9 लाख 26 हजार 100 रुपए कैश निकला। वहीं, दान पात्र में भक्तों ने 64 ग्राम 400 मिलीग्राम सोने के आभूषण चढ़ाए। दानपात्र से एक किलो 990 ग्राम चांदी के आभूषण निकले। साथ ही भक्तों ने ऑनलाइन व भेंट कक्ष में 50 लाख 57 हजार 158 रुपए जमा कराए और 168 ग्राम 800 मिलीग्राम सोने व 11 किलो 881 ग्राम चांदी के आभूषण भेंट किए।

होली पर दानपात्र से निकले थे 10 करोड़

इससे पहले होली के मौके पर सांवलिया सेठ मंदिर में डेढ़ महीने का दानपात्र खोला गया था। तब दानपात्र से कुल 10 करोड़ 01 लाख 33 हजार रुपए निकले थे। दानपात्र से निकले चढ़ावे की गिनती 3 चरणों में हुई थी। होलिका दहन के दिन 7 करोड़ 15 लाख 10 हजार रुपए, दूसरे दिन 2 करोड़ 16 लाख 55 हजार रुपए और तीसरे दिन 69 लाख 68 हजार रुपए दानपात्र से निकले थे।

ये है मंदिर की धार्मिक मान्यता

बता दें कि उदयपुर संभाग में चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया गांव में सांवलिया सेठ का मंदिर बना हुआ है। यह मेवाड़ का प्रमुख कृष्ण धाम मंदिर है। मान्यता है कि साल 1840 में भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाले ने बागुंड गांव के छापर में 3 दिव्य मूर्तियों को भूमिगत दफनाने का सपना देखा था। उस जगह जब खुदाई की गई तो भगवान कृष्ण की 3 मूर्तियां पाई गई। जिनमें से एक मूर्ति को मंडफिया, दूसरी को भादसोड़ा और तीसरी को बागुंड गांव के छापर में स्थापित किया गया। अब तीनों स्थानों पर मंदिर है और इन तीनों मंदिरों की दूरी मात्र पांच किमी है। लेकिन, इन तीनों मंदिरों में से मंडफिया के मंदिर को सांवलिया धाम के नाम से जाना जाने लगा। मंदिर में हजारों श्रद्धालु रोज दर्शन करने आते है। यहां अमावस्या के मौके पर हर महीने मेला भी भरता है। इस दौरान राजस्थान,मध्य प्रदेश,गुजरात से सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते है।

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