केसरिया महापंचायत : जाट, ब्राह्मण के बाद अब क्षत्रियों का ‘केसरिया’ प्रदर्शन …चटख होने वाला है राजस्थान के चुनाव का रंग !

जाट महाकुंभ, ब्राह्मण महापंचायत के बाद जयपुर अब केसरिया महापंचायत की हुंकार सुनेगा। इस महापंचायत के जरिए क्षत्रिय वर्ग अपने लिए भी दूसरी जातियों की…

केसरिया महापंचायत

जाट महाकुंभ, ब्राह्मण महापंचायत के बाद जयपुर अब केसरिया महापंचायत की हुंकार सुनेगा। इस महापंचायत के जरिए क्षत्रिय वर्ग अपने लिए भी दूसरी जातियों की तरह समान अधिकार की मांग करेगा। साथ ही 21 सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने रखेगा। केसरिया महापंचायत के जरिए क्षत्रिय वर्ग अपने लिए आरक्षण और निगम-बोर्ड बनाने की मांग उठा रहा है। ऐसे में संभावना है कि चुनाव के पहले जाट, ब्राह्मण के बाद क्षत्रिय वर्ग भी अपने लिए हिस्सेदारी की जोह बाट रहा है।

क्षत्रिय भी दिखाएंगे अब ताकत

जाट महाकुंभ में जाटों ने आरक्षण बढ़ाने, राजनीति में अपनी हिस्सेदारी देने समेत कई मांगे उठाई थी इस महाकुंभ को जाटों का शक्ति प्रदर्शन भी कहा गया था। उसी तरह ब्राह्मण महापंचायत में भी इस बार ब्राह्मणों ने अपनी ताकत दिखा दी। कई विश्लेषकों का तो यह भी कहना है कि ब्राह्मण महापंचायत की ताकत भांपकर ही भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष का जो फेरबदल किया है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। तो वहीं अब इसके ठीक बाद केसरिया महापंचायत का होना इस बात का संकेत देता है कि राजस्थान का क्षत्रिय वर्ग भी अब अपने लिए बराबर की हिस्सेदारी हर क्षेत्र में चाहता है। चाहे वह ईडब्ल्यूएस आरक्षण हो, निगमों,बोर्डों का गठन हो, पंचायत और निकाय में उन्हें आरक्षण देना हो या फिर राजनीतिक प्रतिनिधित्व की बात हो।

नजरअंदाज हो रही है करणी सेना?

केसरिया महापंचायत राजपूत करणी सेना के द्वारा आयोजित की जा रही है। सेना का कहना है कि वह चुनाव में किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं देती है ना ही कभी दिया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपनी बात नहीं उठा सकते। या हमारी कोई मांगें नहीं है। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुप्रीमो सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने हाल के दिनों में कहा था कि अभी जयपुर में जाट महाकुंभ हुआ था। लेकिन उससे पहले ही सरकार ने जाट समाज की कई मांगों को मान लिया था। जिससे तो मतलब साफ निकलता है कि जाट समाज के शक्ति प्रदर्शन को सरकार ने भांप लिया था और उनकी मांगे मांगने से पहले ही पूरी कर दी थी।इसलिए हमें भी अब आने वाले समय में अपने अस्तित्व को अपने अधिकारों को बचा कर रखना है।

छोटे-बड़े राजपूत ने समाज में फैलाई वैमनस्यता

उन्होंने कहा था कि राजनीतिक पार्टियों ने अपने समय में अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए हमें छोटे-बड़े राजपूतों में बांट दिया था। जिससे हमारे समाज में भी वैमनस्यता बढ़ गई है। लेकिन हम एक होना चाहते हैं, हम एक होना चाहते हैं। इसलिए केसरिया महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। जहां पर हर क्षत्रिय वर्ग के सदस्य का स्वागत सम्मान होगा। उसकी आवाज उठाई जाएगी, हम एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग करेंगे।

करणी सेना का कहना है कि सरकार एक तरफ सभी जाति समुदायों के लिए बोर्ड और आयोग बना रही है। यहां तक कि ब्राह्मणों की भी इसमें कई प्रतिशत तक हिस्सेदारी है लेकिन हमारे लिए ही क्यों कुछ नहीं होता। इसलिए हम अपनी 21 सूत्री मांगों को इस महापंचायत के जरिए सरकार के सामने रखेंगे।

ये हैं प्रमुख मांग

1- 10 फ़ीसदी आरक्षण को बढ़ाकर 14 प्रतिशत करना

2- पंचायत और निकाय चुनाव में ईडब्ल्यूएस को आरक्षण देना

3- क्षेत्रीय जन कल्याण बोर्ड का गठन करना

4- ईडब्ल्यूएस से जुड़ी जमीन, मकान, प्लाट की शर्त हटाना

5- ईडब्ल्यूएस बेरोजगार युवाओं के लिए विशेष प्रशिक्षण

6- युवाओं को बिना ब्याज के लोन

7- समाज के इतिहास औऱ महापुरुषों की छवि से छोड़चाड़ करने पर संवैधानिक कार्यवाही

8-फर्जी मुकदमों की वापसी

3-3 मंच…हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा..बेहद भव्य होगी यह महापंचायत

करणी सेना की मांगों से यह तो साफ है कि अब वह चुप नहीं बैठने वाली है। केसरिया महापंचायत को भी ब्राह्मण और जाट महाकुंभ की तरह इस शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। देशभर से इस महापंचायत में करीब 50 हजार से ज्यादा लोगों के आने की संभावना है। महापंचायत को भव्य और शानदार बनाने के सारे इंतजाम किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश भी होगी। यही नहीं महापंचायत में 3-3 मंच भी तैयार हो रहे हैं। जिसमें एक मंच तो साधु संतों के लिए होगा। वहीं दूसरा दूसरे संगठनों से आने वाले लोगों का होगा, तो वही तीसरा मंच देश-प्रदेश के प्रमुख लोगों और सवर्ण संगठन के लिए होगा।

नहीं आएंगे बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री

केसरिया महापंचायत में कई बड़े-बड़े लोगों के आने की संभावनाएं भी जताई जा रहे हैं। जिसमें बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री का भी नाम शामिल है। हालांकि आज उन्होंने केसरिया महापंचायत में आने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों से इस महापंचायत में आकर इसे सफल बनाने की अपील की है। अब तो राजनीतिक और चुनावी माहौल में रंग चुके राजस्थान में केसरिया महापंचायत कौन सा नया रंग मिलाने वाला है, यह देखना बेहद दिलचस्प रहेगा, क्योंकि इस रंग के मिलने से चुनावी रंग और भी ज्यादा चटख होगा।

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