राजस्थान विधानसभा चुनाव : सफलता के रथ पर सवार ‘आप’ का अगला टारगेट है राजस्थान, कम नहीं है चुनौतियां

राजस्थान विधानसभा चुनाव : सिर्फ 10 साल में राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा हासिल कर चुकी आम आदमी पार्टी अब गुजरात, हिमाचल के बाद राजस्थान में…

राजस्थान विधानसभा चुनाव : सफलता के रथ पर सवार 'आप' का अगला टारगेट है राजस्थान

राजस्थान विधानसभा चुनाव : सिर्फ 10 साल में राष्ट्रीय पार्टी की दर्जा हासिल कर चुकी आम आदमी पार्टी अब गुजरात, हिमाचल के बाद राजस्थान में अपनी पैठ बढ़ाने की जुगत में लगी हुई है। आने वाले दिनों में केजरीवाल समेत पार्टी के कई नेता राजस्थान के दौरे पर रहेंगे और कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के मंत्र देंगे। पार्टी की पूरा फोकस अब राजस्थान पर है। यहां की चुनावी रणनीति को लेकर दिल्ली में चर्चाएं तक होने लगी हैं।

विधायकों-सांसदों का जल्द लगेगा जमावड़ा

राजस्थान में आप के विधायकों और सांसदों को जल्द जमावड़ा लगने वाला है। इसके संकेत खुद पार्टी ने दिए हैं। चर्चा यहां तक भी पहुंच गई है कि राजस्थान में उन सांसदों और विधायकों को भेजा जाएगा जिनका प्रदेश में जनाधार है और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहे हैं। हालांकि अभी इनके नाम जारी नहीं किए गए हैं। इतना जरूर सामने आ रहा है कि इनमें से राज्यसभा सांसदों को ज्यादा तवज्जो दी सकती है। कुछ नेताओं को राजस्थान में ही डेरा डालने को भी कहा जा सकता है।

संदीप पाठक को अब राजस्थान की जिम्मेदारी

जिन नेताओं का नाम इस लिस्ट में सबसे ऊपर माना जा रहा है उनमें संजय सिंह, संदीप पाठक सबसे मुख्य हैं। आपको बता दें कि संजय सिंह तो राजनीति में राष्ट्रीय पहचान रखते हैं, अपने बयानों से वे आए दिन सुर्खियों में छाए रहते हैं, वहीं संदीप पाठक को आप का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है। वे राज्यसभा सांसद भी हैं। संदीप पाठक को गुजरात और पंजाब का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया था। इन दोनों ही राज्यों में संदीप पाठक ने आप को अप्रत्याशित सफलता दिलाई, जिसका पुरस्कार उन्हें पार्टी ने दिया। अब संदीप का अगला टारगेट राजस्थान होगा, जहां वे पार्टी की खाता खोलने के साथ ही पार्टी की प्रदेश में राजनीतिक पकड़ बनाने का प्रयास करेंगे।

पिछले चुनाव में 180 सीटों में से एक भी नहीं जीत पाई थी आप

पिछले विधानसभा चुनावों की करते हैं। विधानसभा चुनाव 2018 में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा की 180 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनमें से एक भी उम्मीदवार नहीं जीता था। यहां तक कि इनमें से कई लोग तो अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। पिछली बार पार्टी के साथ समस्या थी कि उसने कोई मजबूत चेहरा नहीं उतारा था, जिसके दम पर इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस से टक्कर ले सके। दूसरी सबसे बड़ी समस्या थी कि आम आदमी पार्टी का विस्तार इतना नहीं हुआ था न ही वह इतनी मजबूत थी कि इतने बड़े प्रदेश में सालों से बनी परिपाटी को तोड़ सकते हैं, पंजाब इसमें अपवाद हो सकता है। लेकिन अगर गौर करें तो चुनाव के दौरान पंजाब के राजनीतिक समीकरण अलग थे और राजस्थान के अलग। लेकिन अब गुजरात और हिमाचल में वोट प्रतिशत बढ़ने के बाद अब राजस्थान उसका अगला टारगेट है।

राजस्थान के अलहदा है समीकरण

राजस्थान की राजनीति पंजाब से बेहद अलहदा है। हालांकि राजस्थान में हाल ही में गड़बड़ाए समीकरणों को लेकर अब यह भी चर्चा होने लग गई है कि कहीं राजस्थान का हाल पंजाब जैसा न हो जाए। ये बात भी इस परिप्रेक्ष्य में कही जा रही थी कि कहीं राजस्थान में मौजूदा सरकार गिरने की नौबत आई तो इसका फायदा भाजपा उठा सकती है और यह सर्वविदित है कि अगर ऐसे माहौल में चुनाव हुए तो भी आम आदमी पार्टी कहीं से भी इन दोनों पार्टियों को टक्कर नहीं दे पाएगी। इसलिए अगर आप को 200 विधानसभा सीटों पर अपने उतारने हैं तो इन कारणों पर ध्यान देकर उसे कुछ मजबूत कदम उठाने होंगे ताकि पिछले विधानसभा चुनाव के जैसे दोबारा उसे मुंह की न खानी पड़े।

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