इतिहास के पन्नों से…जानिए अभी तक के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व उनसे जुड़े किस्से

मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। इसके बाद अब राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष की चर्चाएं शुरू हो…

इतिहास के पन्नों से...जानिए अभी तक के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उनसे जुड़े किस्से

मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। इसके बाद अब राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि वर्तमान अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कार्यकाल अभी बाकी है यह भी तय नजर आ रहा है कि अगले विधानसभा तक वे ही अध्यक्ष रहेंगे। बीते 25 सितंबर को जब कांग्रेस के 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया था। तब यह चर्चा तेज हो गई थी कि अगर अशोक गहलोत ने अपना सीएम पद छोड़ा तो सीएम किसे बनाया जाएगा और उस स्थिति में प्रदेश का अध्यक्ष कौन बनेगा। हालांकि सीएम पद के आगे प्रदेश अध्यक्ष की बात तो बहुत पीछे रह गई थी। लेकिन अब जब कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हो चुका है तो अब यह सवाल फिर से अपना सिर उठाने लगा है।

प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बाद यह पद किसे दिया जाएगा इसका तो अभी पता नहीं।  लेकिन आज हम आपको राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के उन चर्चित चेहरों के बारे में बताएंगे जो किसी न किसी कारण चर्चा में रहे थे।

अशोक गहलोत

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कार्यकाल की क्रमानुसार अगर हम कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नामों के बारे में बताएं, तो उसमें सबसे पहले नाम अशोक गहलोत का आता है। अशोक गहलोत के बाद हीरालाल देवपुरा, परसराम मदेरणा, अशोक गहलोत, गिरजा व्यास, नारायण सिंह, बी डी कल्ला, सीपी जोशी, डॉक्टर चंद्रभान, सचिन पायलट और अब वर्तमान में गोविंद सिंह डोटासरा है।

सबसे पहले बात अशोक गहलोत की करते हैं। अशोक गहलोत वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं। इनके नाम राजस्थान के तीन बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष रहने का गौरव है। 18 सितंबर 1985 में मात्र 34 वर्ष की आयु में अशोक गहलोत पहली बार राजस्थान पीसीसी के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद 1989 हीरालाल देवपुरा उसके बाद 1989 से 1995 तक परसराम मदेरणा अध्यक्ष रहे थे। लेकिन इसके बाद एक बार फिर 1995 से 1999 तक अशोक गहलोत ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। 1 दिसंबर 1994 से जून 1997 तक अशोक गहलोत का प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल था। जबकि जून 1997 से 14 अप्रैल 1999 तक अशोक गहलोत का तीसरी बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल रहा।

हीरालाल देवपुरा

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अशोक गहलोत की तरह हीरालाल देवपुरा भी कांग्रेस के ऐसे प्रदेश अध्यक्ष बने जो राजस्थान के सीएम भी रहे। हालांकि मुख्यमंत्री के रूप में इनका कार्यकाल मात्र 16 दिन का था। हीरालाल देवपुरा का कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं बल्कि सिर्फ 7 महीने का रहा। हीरालाल देवपुरा 8 जून 1989 से 7 दिसंबर 1989 तक पीसीसी अध्यक्ष रहे।

परसराम मदेरणा

ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा के पिता परसराम मदेरणा दिग्गज राजनीतिज्ञ थे। हीरालाल देवपुरा के बाद परसराम मदेरणा ने राजस्थान पीसीसी की कमान संभाली तथा अध्यक्ष पद पर कार्य किया। परसराम मदेरणा लगभग 6 साल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। 8 दिसंबर 1989 से 25 नवंबर 1995 तक उन्होंने इस पद पर रहते हुए पार्टी में अपनी सेवाएं दी। अपने कार्यकाल के दौरान परसराम मदेरणा तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत से टक्कर लेते रहते थे।

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परसराम मदेरणा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे फिर भी वेसीएम नहीं बन पाए मदेरणा को किसान मसीहा और राजस्थान की राजनीति के लौह पुरुष के रूप में पहचान मिली थी। परसराम मदेरणा की अध्यक्षता में कॉन्ग्रेस 1990 और 1993 का विधानसभा चुनाव हार गई थी।

परसराम मदेरणा के बाद अशोक गहलोत एक बार फिर कांग्रेस के अध्यक्ष बने। अशोक गहलोत ने 1 दिसंबर 1995 से 14 अप्रैल 1999 तक कांग्रेस के अध्यक्ष पद के रूप में अपना कार्यभार संभाला। इस दौरान साल 1998 में जब विधानसभा चुनाव हुए तब राजस्थान में जाट आरक्षण का आंदोलन अपने चरम पर था उस समय अशोक गहलोत के रणनीतिक में राजस्थान में 200 सीटों में से 153 सीटों पर अपना कब्जा जमाया। 1998 में बने कांग्रेस सरकार में परसराम मदेरणा विधानसभा अध्यक्ष तो प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत पहली बार जनता के बीच आए।

गिरिजा व्यास

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अशोक गहलोत के बाद गिरजा व्यास कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रही थीं। गिरिजा व्यास कांग्रेस के दिग्गज नेता थीं। वे कांग्रेस में मेवाड़ के नेता के नाम से जानी जाती थी। गिरिजा व्यास ने उदयपुर शहर ही नहीं बल्कि पूरे देश की महिलाओं का नेतृत्व किया। गिरजा व्यास उदयपुर लोकसभा सीट से सबसे ज्यादा बार संसद पहुंचने वाली नेता रही हैं। गिरिजा व्यास 15 अप्रैल 1999 से 16 जनवरी 2004 तक राजस्थान पीसीसी के अध्यक्ष रहे। इसके साथ ही वे राजस्थान में सबसे लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने वाले नेताओं में शुमार हैं।

चौधरी नारायण सिंह

गिरिजा व्यास के बाद चौधरी नारायण सिंह 17 जनवरी 2004 से 22 अप्रैल 2005 तक राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे थे। चौधरी नारायण सिंह ऐसे नेता रहे हैं जो वार्ड पंच से लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तक के सभी चुनाव लड़ चुके हैं और ऐसा करने वाले वे एकमात्र नेता है चौधरी नारायण सिंह ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत सीकर के एक पंचायत के वार्ड वार्ड पंच चुनाव से की थी।

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जिसके बाद वह ग्राम पंचायत के सरपंच और फिर प्रधान बने इसके बाद चौधरी नारायण सिंह जिला प्रमुख बने और लगातार 17 साल तक सीकर के जिला प्रमुख के रूप में काम किया चौधरी नारायण सिंह सीकर की दातारामगढ़ विधानसभा सीट से 7 बार विधायक रहे और प्रदेश में मंत्री भी रहे। साल 2003 में जब कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई थी तब चौधरी नारायण सिंह को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी।

बीडी कल्ला

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राजस्थान की राजनीति के दिग्गज नेता बी डी कल्ला 13 अप्रैल 2005 से 24 सितंबर 2007 तक राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहे । वर्तमान में बीडी कल्ला राजस्थान सरकार में शिक्षा व संस्कृति कला मंत्री हैं। बीकानेर पश्चिम विधानसभा सीट सीट से 6 बार चुनाव जीत चुके हैं।

सीपी जोशी

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वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी हाल की राजनीति में बेहद चर्चित हुए थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की बात पर कांग्रेस के 92 विधायकों ने सीपी जोशी के आवास पर जाकर अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सीपी जोशी सुर्खियों में छा गए थे सीपी जोशी बीडी कल्ला के बाद 25 सितंबर 2007 से 16 जून 2011 तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। 2008 की राजस्थान विधानसभा चुनाव में मात्र 1 वोट से मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे और यह एक वोट उनकी पत्नी का ही था।

डॉक्टर चंद्रभान

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सीपी जोशी के बाद डॉक्टर चंद्रभान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे इनका कार्यकाल 17 जून 2011 से 20 जनवरी 2014 तक रहा। डॉ चंद्रभान के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि उनकी बार बार हाथ धोने की आदत उनके चुनाव हारने का कारण बनी थी। दरअसल डॉक्टर चंद्रभान की बचपन से ही बार बार हाथ धोने की आदत थी इस आदत को 2013 के चुनाव में विपक्षी दलों ने हथियार बना लिया उन्होंने दुष्प्रचार कर या फैलाना शुरू कर दिया कि डॉ चंद्रभान आम आदमी से हाथ मिलाने के बाद अपने हाथों को धोते हैं जिसका असर यह हुआ कि वह मंडावा के सीट से विधानसभा चुनाव हार गए।

सचिन पायलट

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राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक विधायक सचिन पायलट डॉ चंद्रभान के बाद राजस्थान पीसीसी के अध्यक्ष बने थे सचिन पायलट 21 जनवरी 2014 से 2018 तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। सचिन पायलट की अध्यक्षता में हैं 2018 में कांग्रेस ने भाजपा पर एक बहुत बड़ी जीत दर्ज की जिसके बाद अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन साल 2020 में सचिन पायलट में बगावत कर दी और अपने विधायकों को लेकर हरियाणा के मानेसर चले गए जिसके बाद राजस्थान की राजनीति में एक भूचाल सा आ गया था हालात यह हो गए थे कि उस समय सरकार गिरने ही वाली थी लेकिन तब आलाकमान ने स्थिति को संभालते हुए सचिन पायलट को फिर से अशोक गहलोत के बगल में लाकर खड़ा कर दिया।

गोविंद सिंह डोटासरा

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गोविंद सिंह डोटासरा सचिन पायलट के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने डोटासरा राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री भी रहे हैं डोटासरा को अशोक गहलोत का बेहद करीबी माना जाता है तथा प्रदेश का शेखावटी क्षेत्र डोटासरा का गढ़ माना जाता है। गोविंद सिंह डोटासरा ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की साल 2005 में उन्होंने सीकर के लक्ष्मणगढ़ सीट से पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ा इसके बाद वे पंचायत समिति के प्रधान भी चुने गए बता दें कि ड्यूटी जरा लगातार 7 साल तक सीकर के कांग्रेस जिलाध्यक्ष रहे हैं।

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