Chhath Puja 2023: छठ के पर्व पर आज महापूजा, खरना कर बाद व्रती रखते हैं 36 घंटे निर्जला व्रत, जानिए पूरी विधि

Chhath Puja 2023: छठ के महापर्व का आज दूसरा दिन है। आज आज खरना पूजा के बाद 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण। व्रती खरना कर तन और मन को शुद्ध और मजबूत बनाती हैं ताकि अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत कर सकें।

kharna puja | Sach Bedhadak

Chhath Puja 2023: लोक आस्था महापर्व छठ के दूसरे दिन आज खरना पूजा है। छठ पर्व में खरना के 36 घंटे बाद निर्जला उपवास की शुरुआत होती है। चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व के खरना पूजा को महापूजा कहा जाता है। खरना का सही अर्थ है शुद्धिकरण। व्रती खरना कर तन मन को शुद्ध और मजबूत बनाते हैं ताकि अगले 36 घंटे का निर्जला व्रत कर सकें। नहाय-खाय (कद्दू भात) के दिन दाल, चावल कद्दू से बनी सब्जी के शुद्ध सात्विक प्रसाद खाने के बाद खरना के दिन व्रती पूरा दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इसके बाद रात को खरना पूजा कर प्रसाद ग्रहण करती हैं।

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खरना पूजा में मिट्‌टी के चूल्हे पर मिटी के बर्तन में खीर, गुड़ से बनी रसिया, पूरी या रोटी का भोग छठ माई को लगाती हैं इसके बाद वर्ती प्रसाद ग्रहण करती हैं। इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि किसी तरह का कोई शोर शराबा ना हो। एकदम शांत वातावरण में व्रर्ती प्रसाद ग्रहण करती हैं। अगर उनके कानों में किसी तरह की कोई आवाज सुनाई देती है तो वह प्रसाद ग्रहण करना बंद कर देती हैं।

खरना पूजा की विधि

व्रती सुबह-सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनकर पूजा पाठ करती हैं। फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस दौरान वह दिन में सोने में परहेज करती हैं। व्रत के दौरान सोना अच्छा नहीं माना जाता है। फिर शाम को दोबारा स्नान कर व्रती मिट्‌टी से बने चूल्हे पर मिट्‌टी की बर्तन में खीर-पूरी पकाती हैं। कई जगहों पर रोटी तो कई जगहों पर दोस्ती पूरी (एक साथ दो पुड़ी) बनाने का भी रिवाज है।

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36 घंटे का रखा जाता है निर्जला व्रत

गन्ने का रस या फिर गुड़ के रस में बने रसिया का प्रसाद बनाया जाता है और केले के पत्ते पर फल, पानी सुपारी के साथ तैयार प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दौरान व्रती जितने सूप दउरा पर पूजा करती हैं उतनी जगह केले के पत्ते पर भोग लगाया जाता है। इसके बाद दीया और अगरबत्ती जलाकर पूजा के पश्चात व्रती प्रसाद ग्रहण और जल ग्रहण करती हैं। प्रसाद जल ग्रहण के बाद 36 घंटे तक चलने वाले निर्जला व्रत की शुरुआती होती है।